छिपे हुए पाठ्यक्रम पर एक टिप्पणी लिखें ।
एक छिपे हुए पाठ्यक्रम से आशय उन गतिविधियों से है जो कोर पाठ्यक्रम का भाग नहीं होती अर्थात् एक विद्यालय प्रणाली में एक प्रकार की अनौपचारिक शिक्षा छिपा हुआ पाठ्यक्रम एक प्रकार से किसी बालक के जीवन में तभी से आकार लेना शुरू कर देता है जब बालक औपचारिक (विद्यालयी) शिक्षा में प्रवेश करता है, उदाहरण के लिए विद्यालय में व्यवहार, विद्यार्थी यह भी सीखता हैं, कि उससे विद्यालय, शिक्षकों की क्या अपेक्षा है । उदाहरण के लिए प्रत्येक विद्यार्थी यह अवधारणा विकसित करता है कि वर्षान्त में होने वाली परीक्षाओं का क्या महत्त्व है ? यह व्यवहार उन्हें कोर पाठ्यक्रम के माध्यम से नहीं सिखाए जा सकते ।
भारतवर्ष में मूल रूप से छिपा हुआ पाठ्यक्रम क्षेत्र, लिंग, धर्म, नैतिक, राष्ट्रीयता एवं भाषायी आधार पर निर्भर होता है, उदाहरण के लिए आज हमारे यहाँ कई तरह के विद्यालय होते हैं जो केवल बालक शिक्षा अथवा सह-शिक्षा के होते हैं, इसी आधार पर विद्यालय देखने को मिलेंगे, हो सकता है कि इनके कोर पाठ्यक्रम लगभग वही हों परंतु छिपा हुआ पाठ्यक्रम एवं विद्यार्थी का अनुभव काफी अलग होता छिपे पाठ्यक्रम की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
1. अनुभवों से प्रत्येक लाभ उठाने की योग्यता पर आधारित- छिपा पाठ्यक्रम मनुष्य के अपने अनुभवों से भावी जीवन में लाभ उठाने की योग्यता पर निर्भर करती है जो आने वाले जीवन में उत्तरोत्तर उन्नति के आधार बनते हैं ।
2. रुचियों पर आधारित- छिपा पाठ्यक्रम में रुचि जैसी होगी वही पाठ्यक्रम स्वतंत्रता रहती है पर पाठ्यक्रम रुचियों और मूल्य प्रवृत्तियों पर आधारित होता है ।
3. लेने की निरंतर गतिशील (Continuous Process) – पाठ्यचर्या जन्म से मृत्यु तक चलने वाली शैक्षिक अनुभवजन्य प्रक्रिया है।
4. अनुभव पर आधारित- छिपा पाठ्यक्रम अनुभव पर आधारित होता है। इसके लिए अलग से प्रभागों व व्यवस्था की आवश्यकता नहीं होती क्योंकि इस व्यवस्था के लिए जितना स्रोत मनुष्य विस्तृत सामाजिक और भौगोलिक वातावरण प्राप्त करेंगे हमारे अनुभव उतने ही विस्तृत होंगे।
5. परिवेश के स्रोतों पर आधारित- छिपी पाठ्यचर्या के मुख्य के अपने चारों ओर के वातावरण, परिवार, पड़ोस, समाज आदि हैं।
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