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ठेका की लगात योग पद्धति क्या है? लागत योग ठेका पद्धति के लाभ

ठेका की लगात योग पद्धति क्या है? लागत योग ठेका पद्धति के लाभ
ठेका की लगात योग पद्धति क्या है? लागत योग ठेका पद्धति के लाभ
ठेका की लगात योग पद्धति क्या है? यह पद्धति कब उपयुक्त होती है? लागत योग ठेका पद्धति के लाभ एवं दोष बताइये।

ठेका की लागत योग पद्धति (Cost Plus Method of Contract)- ठेका की लागत योग पद्धति के अन्तर्गत ठेका का मूल्य पूर्व निर्धारित नहीं होता है बल्कि ठेकादाता (Contractee) ठेकेदार (Contractor) को यह आश्वासन देता है कि कार्य की जो वास्तविक लागत आवेगी, उसमें कुल प्रतिशत अप्रत्यक्ष व्ययों उपरिव्ययों या लाभ के लिए जोड़कर जो मूल्य आता है, वह ठेकेदार को देने के लिए तैयार हो जाता है। यह विशेष प्रकार के ठेका होता है क्योंकि कुछ परिस्थितियाँ ऐसी होती हैं जब ठेकेदार दृढ़तापूर्वक यह अनुमान नहीं लगा पाता है कि ठेके का सही मूल्य क्या होगा? ऐसी स्थिति में ठेकादाता (Contractee) ठेकेदार को ठेका लेने उत्साहित करने के लिए। ठेके की लागत से कुछ अधिक मूल्य देता है जिसे ‘लागत योगा’ ठेका कहते हैं।

उदाहरणत; युद्ध के समय में या अन्य आर्थिक उथल-पुथल की स्थिति में यह अनुमान लगाना असम्भव हो जाता है कि भविष्य में श्रम व सामग्री का मूल्य क्या होगा? अतः ठेकेदार अपने ठेकों का टेण्डर मूल्य (Tender Price) निर्धारित करने में करीब-करीब असमर्थ हो जाते है। ऐसे ठेके बहुधा युद्ध काल में सरकार देती है क्योंकि सरकार कार्य को शीघ्र कराना चाहती है तथा निविदा आमंत्रित करके समय नष्ट नहीं करना चाहती है। दूसरे शब्दों में, इस प्रणाली के अन्तर्गत ठेकेदार को ठेके पर निश्चित प्रतिशत से लाभ प्राप्त होने का आश्वासन सरकार द्वारा दिया जाता है। अतः ठेकेदार तुरन्त ही कार्य करने के लिए तैयार हो जाते है।

ठेका की लागत योग पद्धति का प्रयोग (Application of Cost Plus Method of Contract)- हालांकि, इस पद्धति का प्रयोग मुख्य रूप से युद्धकालीन परिस्थितियों या अन्य आर्थिक उथल-पुथल की स्थिति में सरकार द्वारा किया जाता है। फिर भी, निम्नलिखित परिस्थितियों में इस पद्धति का प्रयोग उपयोगी सिद्ध होगा-

  1. जहाँ उत्पादन का कार्य शीघ्र ही सम्पन्न कराना आवश्यक हो ।
  2. जब सामग्री, श्रम व अन्य व्ययों में वास्तविक लागत का अनुमान लगाना कठिन होः
  3. यदि सामग्री व संयन्त्र विदेशों से आयात करना हो ।
  4. यदि नयी किस्म का कार्य हो जिसके सम्बन्ध में ठेकेदार द्वारा व्ययों का अनुमान लगाना कठिन हो ।
  5. यदि सामग्री, यन्त्र तथा विशेषज्ञ आदि की व्यवस्था स्वयं ठेकादाता (contractee) करे तथा ठेकेदार केवल कार्य सम्पन्न कराये।

लागत योग ठेका पद्धति के लाभ (Advantages of Cost Plus Contract Method)

(A) ठेकेदार को लाभ (Advantages to the Contractor)

  1. हानि के भय से मुक्त।
  2. सामग्री, श्रम व अन्य व्यय के मूल्य में वृद्धि होने की स्थिति में भी लाभ की निश्चितता।
  3. निविदा मूल्य (Tender Price) की स्वीकृति कराने की समस्या से मुक्त।
  4. कार्य का शीघ्र सम्पन्न होना।
  5. सामग्री, श्रम व विशेषज्ञों की सेवा की प्राप्ति सम्भव ।

(B) ठेकादाता को लाभ (Advantages to the Contractee)

  1. कार्य का शीघ्र सम्पन्न होना।
  2. कार्य उच्च कोटि का होना।
  3. संकटकाल में कार्य कराना सरल होना आदि।

लागत योग ठेका पद्धति के दोष (Disadvantages of Cost Plus Contract Method)

  1. सामान्यतः ठेका मूल्य अनावश्यक रूप में बढ़ जाना।
  2. ठेकेदारों द्वारा व्ययों में अत्यधिक वृद्धि किया जाना क्योंकि इन्हें लागत में वृद्धि की चिन्ता नहीं होती है।
  3. ठेकेदारों द्वारा सामग्री व श्रम का दुरूपयोग किया जाना।
  4. ठेकेदारों को सीमित आय की प्राप्ति ।
  5. ठेकेदारों में शिथिलता की भावना का पनपना आदि।

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Anjali Yadav

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