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निबन्धात्मक परीक्षण के गुण व दोषों का वर्णन कीजिये।
लिखित परीक्षाओं का प्रयोग मूल्यांकन करने में किया जाता है। लिखित परीक्षाएँ प्राय: दो प्रकार की होती हैं-
- निबन्धात्मक परीक्षण (Essay type Test)
- वस्तुनिष्ठ परीक्षण (Objective type Test)
निबन्धात्मक परीक्षण:- यह ऐसा परीक्षण है जिसमें प्राय: 8 से 10 प्रश्न होते हैं। इसमें से छात्र को पाँच प्रश्न करने होते हैं। इस प्रकार के प्रश्न पत्र में आन्तरिक और बाह्य दोनों प्रकार के विकल्प दिये होते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर छात्र को विस्तार से देना होता है। प्रश्नपत्र हल करने के लिए छात्र को 2 1/2 से 3 घण्टों का समय 2 दिया जाता है। निबन्धात्मक परीक्षण का प्रचलन पुराना है।
निबन्धात्मक परीक्षण के गुण (Merits of Essay type Test)
निबन्धात्मक परीक्षणों में निम्न गुण पाये जाते हैं-
- निबन्धात्मक प्रश्न पत्र का निर्माण सरल होता है। इसमें प्रश्न आसानी से तथा कम समय में बनाये जाते हैं।
- छात्रों द्वारा दिये गये उत्तरों से उनकी स्मरण शक्ति और कल्पना शक्ति का मापन होता है।
- इसमें छात्रों अपने विचार अभिव्यक्त करने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।
- इस परीक्षा के निर्माण के लिए प्रश्न पत्र निर्माता को किसी प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है।
- इस परीक्षा द्वारा छात्र के भाषा पर अधिकार का पता चलता है।
- इस परीक्षा में छात्रों को उत्तरों का मूल्यांकन कार्य सरल है।
- छात्र द्वारा विषयवस्तु प्रस्तुतीकरण की शैली का ज्ञान होता है।
निबन्धात्मक परीक्षण के दोष (Demerits of Essay type Test)
(i) इसमें प्रश्नों की संख्या कम होने से ये परीक्षण पूरे पाठ्यक्रम का मूल्यांकन करने में असमर्थ रहते हैं। छात्र भी इसी कारण पाठ्यक्रम के सीमित अंशो का ही अध्ययन करते हैं।
(ii) स्मरण शक्ति पर आधारित होने से निबन्धात्मक परीक्षण रटने पर अधिक बल देते हैं।
(iii) ये परीक्षण प्रश्न पत्र निर्माता की व्यक्ति निष्ठता से प्रभावित होते हैं। कभी कभी प्रश्न सरल होते हैं तो कभी क्लिष्ट प्रश्न होते हैं। यह प्रश्न पत्र निर्माता के स्वभाव का प्रतिफल होता है।
(iv) इनमें विश्वसनीयता का अभाव होता है।
(v) इनमें उद्देश्य आधारित प्रश्न न होने से वैधता की भी कमी होती है।
(vi) इनके प्रश्नों के उत्तर की कुंजी बनाना कठिन है। अतः इनमें वस्तुनिष्ठता का अभाव होता है।
(vii) उत्तरों के अंकन कार्य को परीक्षक की मनोदशा अधिक प्रभावित करती है।
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