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पाठ्य-पुस्तक से क्या तात्पर्य है? (What do you mean by text-book?)
पाठ्य पुस्तकें विषय सामग्री का नियमित संग्रह होती हैं जिन्हें विद्यार्थियों को पढ़ाया जाता है। ये नई धारणाओं तथा कौशलों का विकास करती हैं तथा प्राप्त ज्ञान को बनाकर रखती हैं तथा सैद्धान्तिक ज्ञान का जीवन के व्यावहारिक पक्ष के साथ सह सम्बन्ध स्थापित करने में सहायता करती हैं।
वैबस्टर शब्दकोश में पाठ्य पुस्तकों को इस प्रकार परिभाषित किया गया है, “A manual of instructio, a book containing a presentation of the principles of the subject used as a basis of instruction.”
बेकन (Becon) ने पाठ्य पुस्तक को इस प्रकार परिभाषित किया है, “कक्षा में प्रयोग के लिए विशेषज्ञों द्वारा ध्यानपूर्वक तैयार की गई तथा शिक्षण युक्तियों से सम्पन्न पुस्तक।”
“A book designed for classroom use, carefully prepared by expert in the field and equipped with the usual teaching devices.”
एक अधिक व्यापक परिभाषा शैक्षिक शोध के विश्व कोष के तीसरे संस्करण में दी गई हैं। यह कहता है, “In the modern sense and as commonly understood, the text book is a learning instrument usually employed in school and colleges to support a programme of instruction. In ordinary usage, the text book is printed. It is non- consumable. It is hard bound. It serves an avowed instructional purpose and it is placed in the hands of the learner.”
पाठ्य-पुस्तकों की आवश्यकता एवं महत्त्व (Need and Importance of Text-Books)
1. पाठ्य पुस्तक प्रकाशित रूप में सहायक अध्यापक है (Text book is an assistant master in print)- एक पाठ्य-पुस्तक विषय सामग्री के साथ अनुदेशनात्मक तकनीक भी होती है। इस तकनीक का उद्देश्य विषय सामग्री को विद्यार्थियों के लिए उन परिस्थितियों में भी समझने योग्य बनाना होता है, जब उन्हें अध्यापक की सहायता प्राप्त न हो।
2. एक पाठ्य पुस्तक का फ्रेमकार्य निर्मित होता है (A text book has a designed framework)- पाठ्य-पुस्तक अनिवार्यतः कुछ पूर्व-निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित नहीं होती, जो एक पाठ्य पुस्तक की सीमाओं की व्याख्या करने के अतिरिक्त उस स्तर को भी निर्धारित करते हैं जिस पर इसे लिखा जाना होता है। यह अध्यापकों तथा विद्यार्थियों दोनों के लिए पाठ्यक्रम की व्याख्या करती है।
3. पाठ्य-पुस्तक कुछ अनुदेशनात्मक उद्देश्यों की एक युक्ति है (A text-book is a device of some instructional objectives)– अनुदेशन के एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में, पाठ्य-पुस्तक पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए एक उपकरण है
4. पाठ्य-पुस्तक अध्यापक के लिए एक महत्त्वपूर्ण उपकरण है (A text-book is an important tool for the)– पाठ्य-पुस्तक दैनिक पाठ योजना बनाने में, दत्तकार्य तैयार करने में तथा कक्षा क्रियाओं के संगठन में अध्यापक की सहायता करता है।
5. पाठ्य-पुस्तक विद्यार्थी का एक वफादार साथी है (A text-book is a loyal companion of a student)- पाठ्य-पुस्तक घर में तथा स्कूल में विद्यार्थियों के अधिगम में सहायता करता है। एक विद्यार्थी इसे निरन्तर रूप से प्रयोग करता है। यह विशेषता उसे सामान्य तथा सन्दर्भ पुस्तक से पृथक् करती है। पाठ्य पुस्तक का प्रत्येक शब्द प्रत्येक विद्यार्थी न केवल पढ़ता है बल्कि उसे समझने की आशा भी उससे की जाती है।
6. पाठ्य पुस्तक एक युक्ति है- पाठ्य-पुस्तक विद्यार्थियों को अपने स्वयं के प्रयत्नों से सीखने योग्य बनाती है। पाठ्य-पुस्तक विद्यार्थी को मूल्यांकन के अवसर प्रदान करती है। विद्यार्थी विशिष्ट सूचना प्राप्त कर सकता है। उसे ऐसी पुस्तक की आवश्यकता होती है जो पहले या बाद में दी गई असम्बन्धित जानकारी से रहित हो । वह सीखी गई सामग्री के सम्बन्ध में भ्रमण धारणाओं को दूर करने के लिए समय-समय पर विषय – सामग्री का पुनः अवलोकन कर सकता है।
7. पाठ्य-पुस्तक तर्कपूर्ण तथा विस्तृत सामग्री प्रदान करती है (A text book provides logical and extensive material) – तर्कपूर्ण व विस्तृत रूप में दी गई एक अच्छी पाठ्य-पुस्तक सभी वर्गों के लिए विद्यार्थियों द्वारा की जाने वाली निम्नतम उपलब्धियों के स्तर को स्थापित करती है। अध्यापक के लिए, यह एक ही स्थान पर अनिवार्य जानकारी प्रदान करती है। इस प्रकार, एक पाठ्य-पुस्तक इतिहास अध्यापक के लिए एक ठोस सहारा बन सकती है।
8. पाठ्य-पुस्तक संस्कृत की सम्प्रेषक है (A text book is a transmitter of culture)- यह जनसंचार के माध्यम का कार्य करती है। यह वांछित सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में संकारात्मक भूमिका निभाती है। यह पुरातन मूल्यों, रूढ़ियों तथा रस्मों को हटाती है।
9. पाठ्य-पुस्तक समाज के परिवर्तन में सहायता करती है (A text book helps to transform the society)– पाठ्य पुस्तक का प्रयोग केवल सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए ही नहीं किया जाता बल्कि एक समाज में, इसके मूल्यों, रस्मों, परम्पराओं तथा सामाजिक व्यवस्था में क्रान्ति लाने के लिए भी किया जाता है।
10. यह एक सामान्य बिन्दु का कार्य करती है (A text book serves as a rallying point)- अध्यापकों तथा विद्यार्थियों दोनों के लिए एक सामान्य आधार भूमि प्रदान करके पाठ्य-पुस्तक समान मुद्दों, घटनाओं, श्रृंखलाओं तथा स्थितियों की ओर उनका ध्यान आकर्षित करती है।
11. पाठ्य-पुस्तक कार्यशाला के रूप में कार्य करती है (A text book serves as a laboratory)- पाठ्य-पुस्तक अधिगम के पुनर्बलन में घर पर दत्तकार्य करने में, परीक्षा की तैयारी करने में तथा आगे अध्ययन के लिए निर्देशन प्रदान करके विद्यार्थी की सहायता करती है यह पठन, विश्लेषण, रूपरेखा तैयार करने तथा सारांश प्रस्तुत करने के लिए एक सामान्य आधार प्रदान करती है।
12. पाठ्य-पुस्तक लगभग सभी विधियों के लिए एक आधार का कार्य करती है (A text book serves as a basis for almost all the methods)- लगभग सभी शिक्षण-विधियों जैसे दत्तकार्य, इकाई विधि, चर्चा तथा परियोजना विधि का प्रयोग पाठ्य-पुस्तक की सहायता से किया जा सकता है।
13. पाठ्य-पुस्तक निश्चित जानकारी देती है (A text book gives definite . information) – पाठ्य-पुस्तक विभिन्न प्रकार के अधिगम अनुभवों के लिए आवश्यक मूलभूत तथा निश्चित जानकारी का संग्रह घर है। पाठ्य पुस्तक का प्रयोग इकाई के सभी विचारों को संक्षिप्त व निष्कर्षित करने, उपविषय को बुद्धिपूर्ण रूप से पढ़ने में विद्यार्थियों की सहायता कर सकता है।
14. पाठ्य-पुस्तक शैक्षिक अन्तर्क्रिया में सहायक है (A text-book fabricate educational interaction)- पाठ्य पुस्तक कक्षा में अध्यापक तथा शिक्षार्थी के मध्य तथा एक शिक्षार्थी की अन्य सह-शिक्षार्थियों से अन्तर्क्रिया में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिगम सामूहिक रूप में होता है।
15. पाठ्य-पुस्तक एक पाठ्यक्रम ‘डि-फ़ेक्टोक’ के रूप में कार्य करती है (A text-book serves as a syllabus de-facto)- अध्यापक अपनी शिक्षण विषय-वस्तु को परिभाषित तथा सीमांकित करता है। वह समूह कार्य तथा व्यक्तिगत दत्तकार्यों द्वारा विविध शिक्षात्मक अनुभवों के विकास के लिए पाठ्य पुस्तक को एक प्रमुख अनुदेशनात्मक सामग्री के रूप में प्रयोग करता है।
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