पाठ योजना के उपागमों का वर्णन कीजिए।
पाठ योजना के उपागम
पाठ-योजना को लिखने का कोई एक स्वरूप नहीं है। अलग-अलग लोगों ने इसके लिखने के अलग-अलग उपागमों का प्रयोग किया है। पाठ-योजना तैयार करने के मुख्य उपागम निम्न है-
हरबार्ट का पाँचपदीय उपागम – जर्मनी के प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री एवं दार्शनिक हरबर्ट ने पाठ योजना को पांच पदों में बांटा है। इन्हीं के आधार पर पाठ-योजना का निर्माण हुआ। अधिकतर शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय इसी का प्रयोग करते हैं।
हरबर्ट के पाँच पद निम्न है- प्रस्तावना, प्रस्तुतीकरण, तुलना, सामान्यीकरण तथा प्रयोग इन उपागमों में मुख्य केन्द्र बिन्दु ‘सीखना’ माना गया है। यदि अध्यापक को सीखने सीखाने की प्रक्रिया भली भाँति समझ में आ जाये तो वह एक शिक्षक बन सकता है।
पाठ योजना का निर्माण – पाठ योजना के सिद्धान्त हरबर्ट द्वारा प्रतिपादित किये गये। जिसके निम्नलिखित चार चरण (सिद्धान्त) हैं-
1. स्पष्टता 2. सम्बन्ध 3. व्यवस्था 4. प्रयोग
हरबर्ट की पंचपदी – हरबर्ट द्वारा उक्त क्रम को सैद्धान्तिक रूप में प्रस्तुत किया गया और इसके प्रसिद्ध शिष्य मिलर ने स्पष्टता वाले सोपान को दो भागों में बाँट दिया – प्रस्तावना एवं प्रस्तुतीकरण। दूसरे शिष्य राइन ने एक पद उद्देश्य और जोड़ दिया और इस प्रकार संशोधित रूप निम्नांकित रूप में प्राप्त हुआ 1. प्रस्तावना, 2. उद्देश्य कथन, 3. प्रस्तुतीकरण, 4. पुनरावलोकन, नियमीकरण तथा सिद्धान्त निर्धारण, 5. प्रयोग या अभ्यास कार्य। जिन्हें ‘हरबर्ट की पंच-पद प्रणाली’ के नाम से जाना जाता है।
सामान्यतः निम्न पदों को भी आजकल काम में लेते है :-
1. तैयारी 2. प्रस्तुतीकरण 3. तुलना 4. सामान्यीकरण 5. अनुप्रयोग व 6. पुनरावृत्ति
इस उपागम में पाठ-योजना की संरचना के शीर्षक इस प्रकार है-
1. सामान्य उद्देश्य 2. विशिष्ट उद्देश्य 3. प्रस्तावना 4. उद्देश्य कथन 5. विकास 6. पुनरावृत्ति 7. गृहकार्य
IMPORTANT LINk
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