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प्रक्रिया लागत लेखांकन को परिभाषित कीजिए। प्रक्रिया लागत लेखांकन की विशेषताएँ एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
प्रक्रिया लागत लेखांकन की परिभाषा (Definitions of Process Cost Accounting)
प्रक्रिया लागत लेखांकन की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं-
1. शार्ल्स के अनुसार, “विधि लागत लेखे ऐसे उद्योगों में प्रयोग किये जाते हैं जिनकी वस्तुओं का निर्माण विभिन्न प्रक्रियाओं में होता है तथा प्रत्येक प्रक्रिया की लागत ज्ञात किया जाना आवश्यक होता है। “
2. बी. के. भार के अनुसार, “प्रक्रिया परिव्ययांकन एक या अधिक प्रक्रियाओं की लागत ज्ञात करने की एक विधि है जो कि कच्ची सामग्री को निर्मित उत्पाद में रूपान्तरित किये जाने से सम्बद्ध हैं।”
3. हेल्डन के अनुसार, “प्रक्रिया परिव्ययांकन लागत ज्ञात करने की एक विधि है के जिसका उपयोग प्रत्येक प्रक्रिया, प्रत्येक परिचालन अथवा उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर उत्पादन की लागत ज्ञात करने के लिए किया जाता है।”
प्रक्रिया लागत लेखांकन की विशेषताएँ (Characteristics of Process cost Accounting) –
प्रक्रिया लागत लेखांकन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. इसके अन्तर्गत उतपादन कार्य कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरता है तथा किसी प्रक्रिया का प्लाण्ट किसी एक उत्पाद (Product) का निर्माण करता है।
2. इसके उत्पाद सजातीय व सदृश्य होते हैं तथा एक प्रक्रिया की इकाइयाँ एक ही प्रकार की होती है। हाँ. प्रक्रिया A की इकाइयाँ प्रक्रिया B की इकाइयों से भिन्न हो सकती हैं।
3. उत्पादन के लिए प्रक्रियाओं का क्रम निर्धारित होता है, साथ ही प्रक्रिया की क्रियाएँ भी निर्दिष्ट होती है।
4. प्रक्रिया व प्रक्रिया के उत्पाद, दोनों प्रमाणित होते हैं।
5. एक प्रक्रिया का निर्मित माल अगली प्रक्रिया को सामग्री होता है और यह क्रम वस्तु के निर्माण कार्य पूर्ण होने तक चलता रहता है।
6. एक प्रक्रिया की प्रति इकाई लागत प्रक्रिया के स्टॉक (प्रारम्भिक/अन्तिम) के मूल्यांकन का आधार होती है।
प्रक्रिया लागत लेखांकन के उद्देश्य (Objects of Process Cost Accounting)
प्रक्रिया लागत लेखांकन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. प्रत्येक प्रक्रिया की लागत ज्ञात करना (To Ascertain the Cost of Each Process) उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर क्या लागत आती है, इसकी जानकारी आवश्यक होती है जिसकी पूर्ति प्रक्रिया लागत लेखांकन पद्धति से होती है। इसके आधार पर उत्पादक यह निर्णय ले सकता है कि वस्तु का अपने यहाँ उत्पादन किया जाय या बाजार से खरीदा जाय। उदाहरण के लिए वस्त्र उत्पादन गृह में प्रथम प्रक्रिया में सूत का उत्पादन होता है जिसकी लागत मान लिया 25रु. प्रति पौण्ड है, जबकि बाजार में वह 22 रु. प्रति पौड ही उपलब्ध है। ऐसी स्थिति में बाजार से ही सूत (Yarn) खरीदना लाभप्रद होगा। इसके विपरीत, स्वयं सूत का उत्पादन करना हानिप्रद होगा।
2. उपोत्पाद की लागत ज्ञात करना (To Ascertain the Cost of Bye-Product) – मुख्य उत्पाद (Main Product) के साथ-साथ जो सहायक उत्पाद (By Product) प्राप्त होता है, उसे उपोत्पाद कहते हैं, जैसे- सरसों तेल के उत्पादन (मुख्य उत्पाद) के साथ-साथ उपोत्पाद (खली) का प्राप्त होना। इस उपोत्पाद की लागत की भी जानकारी प्रक्रिया लागत लेखांकन पद्धति से ही होती है।
3. उत्पादन प्रक्रिया में होने वाले क्षय का ज्ञान (To Know the Wastage in Each Process of Production) – किसी वस्तु के उत्पादन के क्रम में विभिन्न प्रकार के क्षय होते हैं, जैसे-भार में कमी होना, (Loss in Weight), सामान्य क्षति (Normal Wastage) तथा असामान्य क्षति (Abnormal Wastage) आदि। इन क्षयों की मात्रा व लागत दोनों की जानकारी प्रक्रिया लागत लेखांकन से ही हो पाती है।
4. प्रत्येक विधि का लाभ या हानि ज्ञात करना (To Ascertain the Profit or Loss of Each Process)- प्रत्येक प्रक्रिया के द्वारा उत्पादित वस्तु स्वयं की विक्रय योग्य वस्तु होती है जिसकी कभी-कभी उत्पादक के द्वारा बिक्री कर दी जाती है। बिक्री के क्रम में होने वाली हानि अथवा लाभ की जानकारी भी प्रक्रिया लागत लेखांकन से होती है।
5. प्रत्येक अगली प्रक्रिया के प्रारम्भिक रहतिया व अन्तिम रहतिया के मूल्यांकन का आधार (Base of Valuation of Opening and Closing Stock of Each Next Process)- प्रत्येक प्रक्रिया की उत्पादन लागत में उत्पादित वस्तु की संख्या से भाग देकर प्रति इकाई उत्पादन लागत ज्ञात की जाती है। इसी लागत के आधार पर अगली प्रक्रिया के प्रारम्भिक एवं अन्तिम स्टॉक का मूल्यांकन किया जाता है।
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