प्राकृतिक विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
वस्तुत: पार्थिव लक्षणों का अध्ययन करने वाले सभी विज्ञान प्राकृतिक विज्ञान कहलाते हैं तथा मानवीय विभिन्न लक्षणों, घटनाओं का अध्ययन सामाजिक विज्ञान में किया जाता हैं।
प्राकृतिक विज्ञान- इसके अन्तर्गत मुख्यतः स्थलाकृति, भूविज्ञान, जलमण्डल, जलनितल, भूतल पर निर्णायक प्रभाव डालने वाले एवं उससे सम्पर्क बनाए हुए वायुमडल एवं जैव जगत का अपनी इकाइयों में विविध विज्ञानों के नाम से जैसे, भौतिकी, रसायन विज्ञान, वनस्पति एवं प्राणी विज्ञान, जलवायु एवं मौसम विज्ञान, स्थलाकृति विज्ञान आदि नामों से अध्ययन किया जाता है। इन सभी में भूगोल विज्ञान की विषय सामग्री सम्मिलित है। अतः भूगोल के माध्यम से प्रकृति के यह सभी विज्ञान एक सूत्र में बंधे हैं।
सामाजिक विज्ञान – सभी सामाजिक विज्ञानों में मानवीय घटनाएं प्राण तन्तु हैं क्योंकि सामाजिक विज्ञान सिर्फ मानव-समाज एवं उसे सभी प्रकार से प्रभावित करने वाले तत्त्व दर्शन का विज्ञान है। मानवीय घटनाएं न सिर्फ क्रियाशील हो रही हैं। उनमें घटनाओं की प्रतिक्रिया एवं परिणाम स्वरूपी प्रभाव भी दिखाई देते हैं। अतः प्राकृतिक नियम जो कि व्यवस्थित एवं घटनाक्रम का अध्ययन करते चलते हैं ऐसे मानवीय घटना क्रम से जो कि क्रिया-प्रतिक्रिया एवं परिणाम पर आधारित हैं, अधिक व्यापक रूप में जटिल अन्तर्सम्बन्धों से बन्धे हुए हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण तथ्य यह है कि मानव जो कि सामाजिक विज्ञान का आधार – स्तम्भ है भूगोल का वर्तमान में सशक्त कारक तत्त्व है। अतः इनमें न सिर्फ मानवीय घटनाओं एवं क्रियाओं का ही अध्ययन किया जाता है वरन् वर्तमान में तो मानव मस्तिष्क चिन्तन का व्यापक स्तर पर आचरण भूगोल में अध्ययन किया जाने लगा है। सामाजिक विज्ञान निरन्तर बढ़ने एवं विकसित होते मानव समुदाय के साथ-साथ तेजी से व बहुविधी से अनेकानेक अंगों उपांगों में बंटा हुआ है।
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