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प्रोजेक्ट पद्धति के लाभ | Benefits of the project method in Hindi

प्रोजेक्ट पद्धति के लाभ | Benefits of the project method in Hindi
प्रोजेक्ट पद्धति के लाभ | Benefits of the project method in Hindi

प्रोजेक्ट विधि के लाभ बताइये।

प्रोजेक्ट पद्धति के लाभ

1. यह मनोवैज्ञानिक विधि हैं:- यह विधि शिक्षा मनोविज्ञान के नियमों पर आधारित है। शिक्षा मनोविज्ञान इस बात पर बल देता है कि सिखाने से पहले विद्यार्थियों को सीखने के लिए प्रेरित करना चाहिए, उनकी शिक्षा क्रियात्मक ढंग से होनी चाहिये। योजना विधि में ये सभी बात ठीक बैठती हैं इस विधि में छात्र अपनी रुचि के अनुकूल कार्य करता हैं इससे वे खुशी-खुशी कार्य करते है तथा अपना अधिगम प्राप्त करता है। इसमें छात्र स्थिति का अनुभव करके योजना तैयार करता हैं तथा फिर वह इस तरह सीखने को प्रेरित होता हैं।

2. समय और शक्ति की बचत :- इसमें बालक अपनी रुचि के अनुसार कार्य करते हैं जिससे कार्य बड़ी तेजी से होता है। थोड़े समय में और थोड़ी शक्ति के व्यय से ही अच्छा प्रतिफल मिलता हैं।

3. विद्यार्थियों को स्वतन्त्रता :- योजना पद्धति में अध्यापक छात्रों को प्रदत स्थिति से लेकर प्रोजेक्ट को चुनने, योजना बनाने क्रियान्वित करने, मूल्यांकन करने तथा आलेखन में उनका मार्गदर्शन करता तथा इसमें कार्य छात्र अपनी रुचियों के अनुसार करते हैं। इसमें उनको कार्य करने की स्वतन्त्रता होती है। अपने आप सीखने के कारण उनके व्यक्तित्व का विकास होता है।

4. श्रम की महानता :- इस विधि में बच्चें सारा कार्य अपने हाथों से करते हैं। इस कार्य में हस्तकलाएं भी सम्मिलित हैं। इससे वे श्रम की महानता को जानते हैं और हाथ से काम तथा उस काम को करने वालों को वे हेय नहीं समझते।

5. पुस्तकीय शिक्षण के दोषों से मुक्त है:- पुस्तकीय विधि पाठ्य पुस्तक पर केन्द्रित होती है जिन्हें वे अपनी रुचियों के अनुकूल प्राप्त नहीं कर पाते। पुस्तकीय विधि नीरस, शुष्क तथा निष्क्रिय विधि है। जबकि योजना विधि रोचक व मनोरंजक क्रियाओं से युक्त होती है। इस प्रकार योजना पद्धति पुस्तकाय विधि के दोषों से मुक्त होती हैं।

6. सामाजिक समायोजन का प्रशिक्षण :- योजना विधि में छात्र को कार्य करते हुए विभिन्न प्रकार की स्थितियों से गुजरना पड़ता है। इसमें कार्य करते हुए दूसरों के भी सहयोग की भी जरुरत पड़ती हैं। जिससे उसका सामाजिक समायोजन अपने आप होता है जो कि सामाजिक अध्ययन शिक्षण का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य होता है।

7. जीवन की वास्तविक परिस्थितियों में शिक्षा : योजना विधि का सम्बन्ध बालकों की प्रतिदिन की आवश्यकताओं तथा अनुभवों से होता है। इसमें केवल वही अंश पढ़ाए जाते हैं जो वास्तविक जीवन से संबन्धित होते हैं। यह ज्ञान क्रियात्मक, उपयोगी तथा उचित स्वभावों का निर्माण तथा अभिरुचियों का निर्माता होता हैं।

8. छात्र शिक्षक का आपसी सम्बन्ध :- यह विधि छात्र तथा शिक्षक को साथ साथ कार्य करने का मौका देती है जिससे शिक्षक छात्र को और छात्र शिक्षक को समझते हैं। छात्र स्वतन्त्र वातावरण में कार्य करते हैं और शिक्षक उन्हें कार्य करते हुए उनका निरीक्षण करता हैं तथा जिससे वह उनकी कई योग्यताओं, अभिरुचियों, रुचियों, प्रवृतियों तथा क्षमताओं को परखता है तथा उसी के अनुरूप वह उनका मार्गदर्शन करके उन्हें उचित मार्ग की ओर अग्रसर करता हैं।

9. स्व मूल्यांकन में सहायक :- यह विधि छात्र को स्व मूल्यांकन करवाने में सहायक होती है। इससे जहां उन्हें अपनी उपलब्धियों से सन्तुष्टि होती हैं वही अपनी त्रुटियों को जानकर उनमें सुधार करता है। स्व मूल्यांकन की यह प्रवृति उसके भावी जीवन के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

10. ज्ञान प्राप्ति का स्त्रोत :- योजना विधि में कई बार कार्य करते करते आकस्मिक ज्ञान भी प्राप्त होता रहता है। इस प्रकार का ज्ञान पुस्तकीय ज्ञान की अपेक्षा अधिक स्थाई होता हैं।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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