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भूगोल की शिक्षा में भ्रमण के महत्व

भूगोल की शिक्षा में भ्रमण के महत्व
भूगोल की शिक्षा में भ्रमण के महत्व
भूगोल की शिक्षा में भ्रमण के महत्व की व्याख्या कीजिये।

भूगोल शिक्षण में क्षेत्रीय भ्रमण का महत्वपूर्ण स्थान है। क्षेत्रीय भ्रमण ऐसी शिक्षा पर बल देता है जो अधिक मात्रा में व्यावहारिक, जीवनोपयोगी तथा अधिकतम ज्ञान प्रदान कर सकें। क्षेत्रीय भ्रमण शिक्षण को आकर्षक, मनोरंजक तथा सरल बनाती है। क्षेत्र भ्रमण कक्षा-कक्ष के बाहर भ्रमण करने का व्यवस्थित एवं सौद्देश्य रूप है जिसका संचालन विद्यालय द्वारा पाठ्यक्रम के एक अंग के रूप में किया जाता है। क्षेत्रीय भ्रमण भूगोल शिक्षण में एक प्राकृतिक प्रयोगशाला के रूप में कार्य करता है। क्षेत्र भ्रमण लघु या सामान्य अवधि के हो सकते हैं।

भूगोल शिक्षण में क्षेत्रीय भ्रमण का महत्व निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट हैं-

1. स्वयं निरीक्षण करके सीखना :- भूगोल विषय में अनेक प्राकृतिक घटक ऐसे हैं जिनका सही मान स्वयं निरीक्षण करने से होता है। कक्षा शिक्षण में शिक्षक प्राकृतिक तत्वों से संबंधित काल्पनिक चित्रों का छात्रों के मस्तिष्क में निरूपण कराता है। लेकिन निरीक्षण करने पर उस तत्व का यथार्थ चित्रण छात्र के मस्तिष्क में होता है।

2. नवीन अनुभवों की उपलब्धि :- क्षेत्रीय भ्रमण से छात्रों को अनेक नवीन अनुभव अर्जित करने का लाभ प्राप्त होता है। प्रकृति में भ्रमण करने से उनको ज्ञात होता है कि मानव के हस्तक्षेप में प्रकृति अपनी प्राकृतिक शोभा को किस प्रकार खो रही है। नदी प्रदूषण का रूप कैसा होता है? प्रवाहित जल के कार्यों का रूप कैसा होता है? आदि बातें ज्ञात होती हैं।

3. सहयोग की भावना का विकास :- भ्रमण में कक्षा के सभी छात्र समूह में यात्रा करने, खाना खाने और पर्यटन के संचालन में सहायता करने से सहयोग के महत्व को समझते हैं तथा विद्यालय में उसी सहयोगी भाव से कार्य करते हैं।

4. छात्रों की जिज्ञासा तथा शंकाओं का समाधान :- भूगोल में अनेक प्रकरण ऐसे है जिनके बारे में छात्रों में उत्पन्न जिज्ञासा और शंका का समाधान शिक्षक कक्षा में प्रयुक्त उत्तम शिक्षण विधि और सहायक सामग्री के प्रयोग से भी नहीं कर पाता हैं। लेकिन क्षेत्रीय भ्रमण इन शंकाओं के निवारण का एक उत्तम माध्यम हैं।

5. छात्रों में उत्तरदायित्व वहन एवं नेतृत्व करने की क्षमता का विकास : क्षेत्रीय भ्रमण की व्यवस्था में सभी छात्रों को भागीदार बनाकर उनमें उत्तरदायित्व वहन एवं नेतृत्व करने की क्षमता का विकास किया जा सकता है।

6. छात्रों में मानसिक स्वस्थता का विकास :- छात्र लम्बे समय तक विद्यालय की चाहर दीवारी में बंद रहते हैं तथा प्रतिदिन कक्षा में शिक्षक के भाषण सुनते-सुनते घुटन का अनुभव करने लगता है। अतः उसका मन भी बाहर जाकर स्वछन्दता अनुभव करने का होता है।

7. छात्र और शिक्षकों के मध्य निकटता में वृद्धि होती है।

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Anjali Yadav

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