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भूगोल में मूल्यांकन की आवश्यकता और महत्व

भूगोल में मूल्यांकन की आवश्यकता और महत्व
भूगोल में मूल्यांकन की आवश्यकता और महत्व
भूगोल में मूल्यांकन की आवश्यकता और महत्व का विवेचन कीजिये ।

भूगोल ऐसा विषय है जो सामाजिक विज्ञान और विज्ञान दोनों ही है। इस में मानव और उसके वातावरण के मध्य चलने वाली क्रिया और प्रतिक्रिया का अध्ययन किया जाता है। सामाजिक विज्ञान में यह ऐसा एक मात्र विषय है जिसमें छात्रों को सैद्धान्तिक ज्ञान के अतिरिक्त प्रायोगिक कार्य भी करवाया जाता है। अर्थात् ज्ञानात्मक विकास के साथ-साथ कौशल विकास भी भूगोल शिक्षण का उद्देश्य है। इस उद्देश्य की जाँच के लिए भूगोल में मूल्यांकन का महत्वपूर्ण स्थान है। मूल्यांकन के बारे में मुफात ने लिखा है-‘मूल्यांकन निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है और यह छात्रों की औपचारिक शैक्षिक उपलब्धि से अधिक सम्बन्धित है। यह व्यक्ति के विकास को उसकी भावनाओं, विचारों तथा क्रियाओं से सम्बन्धित विचारों तथा क्रियाओं से सम्बन्धित वांछित व्यवहार परिवर्तनों के रूप में व्यक्त करता है।’ मूल्यांकन एक सतत् प्रक्रिया हैं जिसका सीधा सम्बन्ध शिक्षा के उद्देश्यों से है। मूल्यांकन का प्रमुख प्रयोजन व्यवहारगत परिवर्तनों की दिशा, प्रकृति एवं स्तर के बारे में निर्णय करना है। छात्रों के परिणामों की गुणवत्ता के आधार पर उसके भावी कार्यक्रमों का निर्धारण करना है। मापन की अपेक्षा मूल्यांकन का क्षेत्र व्यापक होता है। मूल्यांकन में गुणात्मक तथा परिणानक दोनों प्रकार के निर्णय किये जाते हैं। यह संख्यात्मक और वर्णनात्मक दोनों प्रकार का होता है।

भूगोल में मूल्यांकन की आवश्यकता:

( 1 ) शिक्षण कार्य में सुधारः- मूल्यांकन से पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति का पता लगाकर शिक्षक अपनी शिक्षण पद्धति, तथा सहायक सामग्री के उपयोग में सुधार कर सकता है।

(2) समूहों में वर्गीकरण:- छात्रों के उपयुक्त शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षक छात्रों का उनकी योग्यता, क्षमता तथा रूचियों के आधार पर वर्गीकरण कर सकता है।

( 3 ) पाठ्यक्रम में सुधार:- पाठ्यक्रम का निर्माण शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है। मूल्यांकन के परिणामों के आधार पर पाठ्यक्रम में सुधार किया जा सकता है।

( 4 ) बालक को समझने में सहायक:- भूगोल के शिक्षक को अपनी कक्षा के छात्रों को समझने में मूल्यांकन सहायक है। छात्रों को समझकर शिक्षण के समय शिक्षक वैयक्तिक विभिन्नता के सिद्धान्त का पालन कर सकता है।

( 5 ) उत्तरदायित्व का भार साधक बनाने में सहायक:- सर्वेक्षण में समूह का नेतृत्व करने का कार्य अथवा भूगोल क्लब में पदाधिकारियों का चयन करने में भी मूल्यांकन सहायता करता है।

( 6 ) शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन में सहायक :- भूगोल के छात्रों ·को भावी जीवन की तैयारी का परामर्श देने के लिए भी मूल्यांकन आवश्यक है।

( 7 ) छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन :- मापन व्यावहारिक परिवर्तन जाँचने का एक मात्र आधार नहीं हो सकता है। मूल्यांकन से ही व्यावहारिक परिवर्तन का सही ज्ञान हो सकता है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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