मापन के कार्य का विस्तृत रूप में उल्लेख कीजिए।
मापन के कार्य- मापन प्रक्रिया द्वारा वस्तु विशेष के गुणों को परिमाण में बदल लिया जाता है। इसके द्वारा निम्नलिखित प्रमुख कार्य सम्पन्न होते हैं-
1. भविष्यवाणी – मापन द्वारा शिक्षक एवं मनोवैज्ञानिक छात्रों के भविष्य में होने वाले व्यवहारों का पूर्वकथन या पूर्वानुमान करते हैं। मापन के परिणामों के आधार पर ही कहा जा सकता है कि बालक किसी विषय विशेष या व्यवसाय में आगे चलकर किस प्रकार की उन्नति करेगा। शिक्षक मापन के द्वारा ही छात्रों को योग्यतानुसार शैक्षिक तथा व्यावसायिक मार्ग-दर्शन प्रदान करते हैं।
2. तुलना – मापन द्वारा ही विद्यार्थियों, कक्षाओं, समूहों विभिन्न शिक्षण नीतियों में तुलना सम्भव हो पाती है। प्रारिम्भक व्यवहार तथा अन्तिम व्यवहार की तुलना मापन के द्वारा की जाती है।
3. परामर्श तथा निर्देशन – मापन के द्वारा छात्रों को परामर्श तथा निर्देशन भी प्रदान किया जाता है। व्यावसायिक निर्देशन हेतु छात्रों की अनेक प्रकार की रुचियों, अभियोग्यताओं तथा रुझानों का अध्ययन करके बालक को उसकी बुद्धि तथा शारीरिक क्षमता के अनुकूल व्यवसाय चुनने को कहा जा सकता है।
4. निदान – शिक्षा तथा मनोविज्ञान के क्षेत्र में बालक की कमजोरियों, दुर्बलताओं तथा समस्यात्मक एवं असमायोजित व्यवहार का निराकरण करने से पूर्व निदान करना अत्यन्त आवश्यक है। मापन के अनेक उपकरणों द्वारा निदान कार्य किया जा सकता है। इस कठिनाइयों, कमियों या कमजोरियों तथा समस्याओं को दूर करने के लिए उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था का आधार भी मापन ही प्रदान करता है। निदान-परीक्षाएँ बालक के उपचार में अत्यन्त सहायक होती हैं।
5. संशोधन – छात्र की कमजोरियों तथा दुर्बलताओं के ज्ञान के आधार पर अध्यापक अनेक संशोधन कार्य भी कर सकता है तथा शिक्षण-पद्धति एवं पाठ्यक्रम में परिवर्तन भी किया जा सकता है।
6. अनुसन्धान तथा शोध-कार्य- मनोवैज्ञानिक एवं शैक्षिक शोध के लिए मापन एक अत्यन्त आवश्यक कार्य है। अनुसन्धानकर्ता आँकड़ों का संकलन मापन-उपकरणों की सहायता से करते हैं। मापन द्वारा एकत्रित आँकड़ों का विश्लेषण करना एवं उनसे निष्कर्ष निकालना अपेक्षाकृत सरल, विश्वसनीय तथा प्रामाणिक होता है।
7. वर्गीकरण – मापन परिणामों के आधार पर छात्रों का विभिन्न वर्गों में वर्गीकरण भी किया जाता है।
IMPORTANT LINk
- समस्या समाधान विधि के चरण
- भूमि निर्वाह नीति की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- शिक्षण योजना पर टिप्पणी लिखिये।
- भूमि निर्वाह नीति से आपका क्या अभिनय है? इसके चरणों को लिखिये।
- इकाई योजना से आपका क्या अभिप्राय है? समझाइये।
- वार्षिक योजना तैयार करने के चरणों को संक्षेप में लिखिये।
- राजनीति विज्ञान में समस्या समाधान विधि द्वारा समस्या चयन सम्बन्धी कौनसी सावधानियाँ रखी जानी चाहिए?
- सतत्- आन्तरिक मूल्यांकन एवं सत्रान्त-बाह्य मूल्यांकन की तुलना कीजिये ।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की संकल्पना को विकसित कीजिये।
- भूगोल शिक्षण में मूल्यांकन की विशेषताएँ
- कक्षा-कक्ष सहभागिता का आंकलन करने की मुख्य कसौटी किस प्रकार की हो सकती है?
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के गुणों की विवेचना कीजिये।
- इकाई योजना के सोपानों को लिखिये।
- इकाई के प्रकारों का उल्लेख कीजियें।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की आवश्यकता को बताइये।
- पाठ योजना के प्रकार समझाइये।
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