लागत विवरण एवं लागत- पत्रक तैयार करने सम्बन्धी महत्वपूर्ण मदों की विवेचना कीजिए |
लागत विवरण एवं लागत- पत्रक तैयार करने सम्बन्धी महत्वपूर्ण मदें (Important Items Regarding Preparation of Statement of Cost and Cost-Sheet)
1. सामग्री की सामान्य हानि (Normal Loss of Material)- सामग्री की ऐसी हानि जिसे रोका नहीं जा सके अर्थात् जो प्रकृति की हो, सामग्री की सामान्य हानि कहलाती है, जैसे-वाष्पीकरण के परिणामस्वरूप सामग्री के वजन में कमी आना आदि। सामग्री की ऐसी हानि को सामग्री की लागत में से घटाया नहीं जाता है बल्कि इस हानि का भार सम्बन्धित उत्पादन पर ही डाला जाता है।
2. सामग्री की असामान्य हानि (Abnormal Loss of Material)- सामग्री के समुचित नियन्त्रण के अभाव में जो हानि होती है, उसे सामग्री की असामान्य हानि कहते हैं। वस्तुतः ऐसी हानि प्राकृतिक प्रकृति की नहीं होती है। ऐसी हानि को उचित नियन्त्रण से रोका जा सकता है, जैसे-आग से सामग्री की हानि, सामग्री की चोरी आदि। ऐसी हानि को लागत का भाग नहीं माना जाता है तथा इसे सामग्री की लागत में से घटा दिया जाता है।
3. सामान्य कार्यहीन समय की मजदूरी (Wages of Normal Idle Time) – कार्य के दौरान समय की ऐसी बर्बादी जो स्वाभाविक होती है और जिसे रोक पाना सम्भव नहीं होता है, सामान्य कार्यहीन समय कहलाता है। इस अवधि की मजदूरी को सामान्य कार्यहीन समय की मजदूरी कहा जाता है। ऐसी मजदूरी के भार को सम्बन्धित उत्पादन पर ही डाला जाता है। अतः सामान्य कार्यहीन समय की मजदूरी को श्रम की लगात में से घटाया नहीं जाता है।
4. असामान्य कार्यहीन समय की मजदूरी (Wages of Abnormal Idle Time) – समय की ऐसी बर्बादी जिसे समुचित नियन्त्रण से रोका जा सकता है, असामान्य कार्यहीन समय कहलाता है तथा उस अवधि की मजदूरी को असामान्य कार्यहीन समय की मजदूरी कहते है। इस अवधि की मजदूरी को लागत का भाग नहीं माना जाता है और परिणामतः इसे श्रम की लागत में से घटा दिया जाता है।
5. वृथा या दूषित या छीजन या अवशेष की बिक्री (Sake of Scrap, Defective, Salvage or Residue) – यदि इनके सम्बन्ध में प्रश्न में स्पष्ट सूचना दी गई हो तो इनका समायोजन सम्बन्धित लागत में ही किया जायेगा किन्तु यदि स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया हो तो इन्हें कारखाना लागत ज्ञात करने के पूर्व की लागत में से घटा दिया जाता है।
6. दूषित या रद्द किया गया कार्य (Defective or Rejected Work)- यदि उत्पादन प्रक्रिया में कुछ माल प्रमाप स्तर का नहीं हो पाता है और जिन्हें अतिरिक्त व्यय कर प्रमाप स्तर तक नहीं लाया जा सकता तो उन्हें अस्वीकृत कर दिया जाता है तथा उन्हें बाजार में रियायती दरों पर बेच दिया जाता है। बिक्री से प्राप्त रकम को कारखाना लागत में से तथा अस्वीकृत इकाइयों का उत्पादन की कुल इकाइयों में से घटा दिया जाता है किन्तु यदि दोषपूर्ण माल ऐसा है जिसे अतिरिक्त व्यय कर सुधारा जा सकता है अर्थात् विक्रय योग्य बनाया जा सकता है तो इस अतिरिक्त व्यय को कारखाना उपरिव्ययों में अतिरिक्त कारखाना उपरिव्यय के रूप में जोड़ दिया जाता है। इसके पश्चात् विक्रय योग्य इकाइयाँ एवं उनकी कुल लागत ज्ञात हो जाती है।
7. नगद बट्टा (Cash Discount)- नगद बट्टा लागत का अंग नहीं माना जाता है। यह शुद्ध वित्तीय प्रकृति की मद है अतः इसे लागत में शामिल नहीं किया जाता है, जबकि व्यापारिक बट्टे को विक्रय सम्वर्द्धन का व्यय मानते हुए विक्रय एवं वितरण व्यय में शामिल किया जाता है।
8. संयुक्त व्ययों का विभाजन (Allocation of Joint Expenses)- स्पष्ट निर्देश के अभाव में कारखाना उपरिव्ययों का विभाजन मजदूरी के अनुपात में तथा कार्यालय, विक्रय एवं वितरण व्ययों का विभाजन कारखाना लागत के अनुपात में किया जाता है।
9. व्यापारिक छूट (Trade Discount)- व्यापारिक छूट वह छूट है जो वर्तमान अथवा भावी ग्राहकों को दी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य बिक्री की मात्रा को बढ़ाना होता है। इसका लेखा दो ढंग से हो सकता है। प्रथम, व्यापारिक छूट की राशि सकल बिक्री राशि से घटा दी जाती है एवं द्वितीय, इसे विक्रय एवं वितरण उपरिव्यय माना जा सकता है किन्तु प्रथम विधि ही अधिक उपयुक्त होती है।
10. बँधाई व्यय (Packing Charges)- बँधाई व्यय का लेखा इसकी प्रकृति पर निर्भर करता है। यदि पैंकिंग के अभाव में माल का बेचा जाना सम्भव नहीं हो (जैसे-सेविंग क्रीम का पैंकिंग आदि) तो उस व्यय को प्रत्यक्ष सामग्री व्यय माना जाता है। यदि पैकिंग का खर्च अर्द्धनिर्मित माल के सम्बन्ध में कारखाने के अन्तर्गत माल को इधर-उधर सुरक्षित ढंग से करने के उद्देश्य से किया जाता है तो इस व्यय को कारखाना उपरिव्यय माना जाता है, जबकि निर्मित माल के सम्बन्ध में बिक्री के उद्देश्यों से किया गया व्यय विक्रय एवं विवरण उपरिव्यय के रूप में माना जाता है।
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