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वस्तुनिष्ठ परीक्षण के गुण व दोष लिखिये।
वस्तुनिष्ठ परीक्षण से आशय ऐसे परीक्षण से है जिसमें प्रश्नों की संख्या अधिक होती है, प्रश्नों के उत्तर छोटे होते हैं, छात्र को कम लिखना पड़ता है। इसी प्रकार शिक्षक को अंक देने में कम समय लगता है लेकिन इसकी सबसे बड़ी विशेषता अंकों की विश्वसनीयता, वैधता और वस्तुनिष्ठता है। इन परीक्षणों के गुणों के कारण वर्तमान में वस्तुनिष्ठ परीक्षण अधिक लोकप्रिय हुए हैं और इनका उपयोग विद्यालय, विश्वविद्यालय और प्रतियोगी परीक्षाओं में वृहत स्तर पर होता है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षण के गुण:-
इन परीक्षणों में निम्न गुण पाये जाते हैं-
- इनमें वैधता का गुण पाया जाता है। जिस उद्देश्य से परीक्षा ली जाती है। परीक्षण लिए जाने पर उसी उद्देश्य की पूर्ति होने की सम्भावना अधिक होती है।
- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों में विश्वसनीयता अधिक होती है।
- इसमें छोटे-छोटे प्रश्नों की अधिकता के कारण ये सम्पूर्ण पाठ्यक्रम के मापन में सहायक होते हैं। इन परीक्षणों द्वारा छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहन नहीं मिलता है।
- इन परीक्षणों से छात्रों की मुख्य बिन्दुओं पर ही ध्यान केन्द्रित करने की प्रवृति समाप्त होती है। छात्र सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पर ध्यान देते हैं।
- वस्तुनिष्ठ परीक्षण का अंकन कार्य सरल होने से कोई भी व्यक्ति कुंजी की सहायता से अंकन कर सकता है।
- इन परीक्षणों में छात्र को कम लिखना पड़ता है अतः भाषा और लेख का है अंकन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
वस्तुनिष्ठ परीक्षणों के दोषः-
इन परीक्षणों में अनेक गुण होने पर भी इनमें कुछ दोष पाये जाते हैं-
- वस्तुनिष्ठ परीक्षण के प्रश्नों का निर्माण करना कठिन होता है और इनके निर्माण में समय भी अधिक लगता है।
- प्रश्नों के उत्तर एक या दो शब्दों में होने से छात्र अपने विचार स्वतंत्र रूप में प्रकट नहीं कर पाता है।
- वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का प्रशासन भी कठिन होता है क्योंकि परीक्षा के समय शिक्षक को अनेक निर्देश देने होते हैं।
- इस में छात्र को सुलेख या उत्तम भाषा का कोई लाभ नहीं मिलता है।
- प्रश्नों के उत्तर ज्ञात न होने की स्थिति में छात्र अनुमान के आधार पर भी उत्तर देते हैं।
- यदि सभी छात्रों को एक सा प्रश्न पत्र दिया गया है तो छात्र इशारें या संकेतों के आधार पर नकल करने का प्रयास कर सकते हैं।
- भाषा पर अधिकार का परीक्षण वस्तुनिष्ठ परीक्षण द्वारा सम्भव नहीं है।
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