वस्त्र उद्योग, लोहा व कोयला उद्योग, यातायात संचार प्रणाली में हुए क्रांतिकारी परिवर्तनों का परिचय दीजिए।
वस्त्र उद्योग में क्रांति
इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रांति का प्रारंभ वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में हुआ। 1760 के बाद हुए अनेक आविष्कारों ने इस उद्योग का मशीनीकरण कर दिया। वक्र एडम्स के अनुसार आविष्कारों तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए पूँजी की आवश्यकता थी और यह पूँजी ईग्लैण्ड को भारत से प्राप्त हुई थी। यह कोई संयोग नहीं हैं कि प्लासी के युद्ध के निकट ही औद्योगिक क्रांति के शुरूआत का समय माना जाता हैं। वस्त्र उद्योग में हुए महत्वपूर्ण आविष्कार निम्नलिखित थे-
(i) 1733 में जॉन के ने फ्लाइंग शटल बनाया जिससे वस्त्र दुगुनी गति से बुना जा सकता था फलस्वरूप अब जुलाहों के लिए अधिक सूत की आवश्यकता पड़ने लगी।
(ii) 1765 में हारग्रीब्ज ने स्पिनिंग जैनी का आविष्कार किया। इसमें अब एक मनुष्य उतने ही समय में आठ गुना सूत काट सकता था।
(iii) 1769 में आर्कराइट ने वाटरफ्रेम का निर्माण किया जिसे जलशक्ति से चलाया जा सकता था इस आविष्कार ने कारखाना युग को प्रारम्भ किया।
(iv) 1779 में क्राम्पटन ने स्पिनिंग म्यूल का आविष्कार किया जिससे अब बारकी ओर मजबूत सूत तैयार होने लगा था।
(v) 1784 में कार्टराइट ने पावरलूम का आविष्कार किया जो जलशक्ति से चलता था। अब वस्त्रों की बुनाई का काम शीघ्रता से होने लगा।
(vi) 1785 में वस्त्रों को छापने के लिए रोलर प्रणाली प्रारंभ हुई जिससे अब छपाई का काम अच्छा व शीघ्रता से होने लगा। 1793 में ठिहरने ने फोरनजिन का आविष्कार कर बिनौले को रूई से अलग करने की क्षमता को 50 गुणा बढ़ा दिया। वस्त्र उद्योग में इन आविष्कारों ने क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया। इससे इस उद्योग का बहुत विकास हुआ।
लोहा व कोयला उद्योगों में क्रांति
मशीनों की मांग बढ़ने से लोहा उत्पादन में वृद्धि तथा उसकी किस्म में सुधार की आवश्यकता हुई। अब तक लोहा गलाने के लिए लकड़ी का कोयला प्रयुक्त किया जाता था जो अधिक व्ययशील तो था ही लकड़ी के कोयले में तेजी से कमी भी आने लगी। इसी समय यह पता चला कि पत्थर के कोयले से बना कोक को लोहा गलाने में प्रयुक्त किया जा सकता हैं। कोक की तेज उष्मा से लोहा गलाने एवं साफ करने का काम सुगम व सस्ता हो गया। कोक की माँग बढ़ने से पत्थर के कोयले के खनन में भारी प्रगति हुई। 1784 में हेनरी कोर्ट ने अच्छा बनाने की विधि खोज निकाली जिससे लोहे की छड़े व चादर बनाने की विधि निकाली गयी। 1790 में सीमेंस ने इस्पात बनाने की विधि का आविष्कार किया। बाद में हेनरी बेसमेट ने इसे और अधिक उन्नत और सस्ता बना दिया।
खनिको की सुरक्षा के लिए 1815 में हम्फ्री डेवी ने सुरक्षा लैम्प बनाया। हेट्समैन ने स्टील को मोड़ने की नई विधि का आविष्कार किया। इन आविष्कारों के फलस्वरूप इंग्लैण्ड में लोहा और कोयले का युग आरम्भ हुआ।
(स) यातायात एवं संचार क्षेत्र में क्रान्ति:- उद्योग और यातायात में घनिष्ठ संबंध है। जब इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति हो रही थी तब यह भी आवश्यक हो गया था कि यातायात और संचार प्रणालियों में भी विकास किया जाए ताकि बड़ी मात्रा में कच्चा माल और निर्मित वस्तुएँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर सुगमता से भेजी जा सके।
(i) सड़क निर्माण की नई विधि का आविष्कार स्कॉट इंजीनियर मैकेडम ने किया जिसने यातायात को शीघ्रगामी व सुरक्षित बना दिया।
(ii) 1761 में ब्रिडले नामक इंजीनियर की सहायता से इंग्लैण्ड में प्रथम यातायात नहर (जिसे ब्रिज वाटर नहर कहा गया) बोर्सली से मैनचेस्टर तक बनायी गयी। इससे यातायात व्यय पहले से कम हो गया।
(iii) राबर्ट फुल्टन ने 1803 में वाष्प शक्ति चालित नौका का आविष्कार किया जिसने जल यातायात में क्रान्ति ला दी इसके बाद वाष्प चालित बड़े-बड़े जहाजों का निर्माण होने लगा।
(iv) 1814 में जार्ज स्टीफेन्सन ने वाष्प शक्ति से चलित रेल इंजन का आविष्कार कर रेल यातायात की शुरूआत की। 1830 में मैनचेस्टर तथा लीवरपुल के मध्य पहली रेल चली। अब कम समय व कम खर्च में लोहे, कोयले तथा निर्मित वस्तुओं में परिवर्तन होने लगा।
(v) 1880 में पेट्रोल के इंजन के आविष्कार ने यातायात के क्षेत्र में एक बार फिर क्रान्ति पैदा कर दी।
(vi) 1844 में सैमुअल मोर्स ने टेली ग्राफ प्रणाली का आविष्कार किया और 1866 में अमेरिका से यूरोप को तार भेजने के लिए अटलांटिक महासागर में केबिल लाइनें बिछाई गयी, इसी समय (1840 में) इंग्लैण्ड में आधुनिक डाक व्यवस्था (पेनी पोस्टज) का आरम्भ किया था।
1876 में ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार करके संचार व्यवस्था को ही बदल दिया।