वाद-विवाद विधि पर टिप्पणी लिखिये।
वाद-विवाद हेतु तैयारी
बिना किसी योजना तथा पूर्व तैयारी के किसी कार्य को सम्मानित करने हेतु प्रयास करना असफलता का द्योतक है। किसी कार्य में सफलता हेतु कार्य की सम्पादित करने से पूर्व योजना बना लेना आवश्यक है। बीच में बाधा न पड़े, इसके लिए पूर्व तैयारी करना आवश्यक होता है। इसी प्रकार वाद-विवाद प्रारम्भ करने से पूर्व योजना बना लेना तथा वाद-विवाद हेतु आवश्यक तैयारी कर लेना सफलता का द्योतक है, अतः अध्यापक को वाद-विवाद कराने से पहले एक सुनियोजित व्यवस्था कर लेनी चाहिए।
वाद-विवाद प्रारम्भ करने से पूर्व अध्यापक को कक्षा का वातावरण ऐसा बना देना चाहिए जिसमें सभी छात्र स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकें। वातावरण जितना सुखदायी होगा, परिणाम भी उतने ही अच्छे निकलेंगे। अध्यापक को छात्रों के बैठने की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। सर्वोत्तम व्यवस्था वह है जिसमें सभी छात्र एक-दूसरे को देख सकें। इसके लिए अर्द्धचन्द्राकार रूप में छात्रों के बैठने की व्यवस्था करनी चाहिए और अध्यापक को ऐसे स्थान पर बैठना चाहिए जहाँ से वह सभी छात्रों पर दृष्टि रख सके।
वाद-विवाद प्रारम्भ करने के लिए यह भी आवश्यक है कि विषय-वस्तु छात्रों की स्पष्ट हो, अतः अध्यापक को विषय-वस्तु प्रस्तुत करते समय ही एक प्रस्तावनात्मक भाषण के द्वारा छात्रों को समस्या का रूप बतला देना चाहिए।
समस्या का निर्माण किसी क्रिया से सम्बन्धित होना चाहिए। यदि समस्या किसी क्रिया से सम्बन्धित है तो छात्र उसमें अधिक रूचि लेंगे।
वाद-विवाद हेतु पहले से तैयारी करना जिस प्रकार अध्यापक के लिए आवश्यक है ठीक उसी प्रकार छात्रों के लिए तैयारी करना भी आवश्यक है। छात्र दी हुई समस्या का जब तक भली प्रकार अध्ययन करके नहीं आते वे वाद-विवाद में भली प्रकार भाग न ले सकेंगे, अतः छात्रों को पहले से ही समस्या दे देनी चाहिए और छात्रों को उस समस्या का अध्ययन करके वाद-विवाद हेतु तैयारी कर लेनी चाहिए। वाद-विवाद हेतु छात्र किस प्रकार अध्ययन करें, इस सम्बन्ध में वेस्ले तथा रॉन्सकी महोदय् ने निम्नलिखित सुझाव दिए है:-
- विषय-वस्तु तथा समस्या का हर समय ध्यान रखों,
- प्रत्येक सर्वोत्तम साधन से सूचनाएं एकत्रित करों,
- मासिक पत्रिकाएं तथा पुस्तिकाएं आदि पढ़ो,
- सामाचार पत्रों का अध्ययन करो,
- पाठ के महत्त्वपूर्ण अंगों को ध्यान से पढ़ो,
- सोद्देश्य रूप से पढ़ो, निरर्थक तथ्यों को छोड़ दो,
- आलोचनात्मक रूप से पढ़ो,
- वस्तुनिष्ठ रूप से पढ़ो,
- तथ्यों तथा विवादों में स्तर करके पढ़ो,
- लेखक के विचारों को समझने हेतु धैर्यपूर्वक पढ़ो,
- पढ़ने से अपनी सूचनाओं के भण्डार में वृद्धि करो,
- पढ़कर निष्कर्ष निकालिए, एवं सामान्यीकरण कीजिए,
- अन्त में पाठ का सारांश निकालिए,
- मुख्य बिन्दुओं को तार्किक रूप में समझाइए,
- सावधानीपूर्वक तैयारी कीजिए।
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