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विद्यालय के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | घर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | बाहर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | यौन शिक्षा की प्रभाविता हेतु सुझाव

विद्यालय के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | घर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | बाहर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | यौन शिक्षा की प्रभाविता हेतु सुझाव
विद्यालय के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | घर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | बाहर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य | यौन शिक्षा की प्रभाविता हेतु सुझाव

युवाओं में सकारात्मक लैंगिक सुझाव एवं यौन शिक्षा पर प्रकाश डालें !

युवाओं में सकारात्मक लैंगिक झुकावों के लिए प्रारम्भ से ही विद्यालय, घर तथा बाहर हमारे समाज को कुछ कार्यों का सम्पादन करना चाहिए, जो निम्न प्रकार हैं-

विद्यालय के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य

विद्यालय में यौन शिक्षा पूर्व निश्चित उद्देश्यों की निर्धारित समयावधि में प्रदान की जाती हैं । भारतीय समाज पुरुष-प्रधान है। पुरुषों को महिलाओं की अपेक्षा श्रेष्ठ माना जाता है, परन्तु विद्यालय में बालक तथा बालिकाओं दोनों के प्रति अभेदपूर्ण व्यवहार किया जाता है । दोनों को ही आगे बढ़ने के लिए समान अवसर प्रदान किये जाते हैं। विद्यालय में सामूहिक क्रिया-कलापों पर बल दिया जाता और विद्यालय के द्वारा युवाओं में सकारात्मक लैंगिक झुकावों का कार्य निम्न प्रकार सम्पन्न किया जाता है-

1. विद्यालय में बालक तथा बालिकाओं की सह-शिक्षा द्वारा सकारात्मक लैंगिक झुकाव उत्पन्न किये जाते हैं।

2. विद्यालयी क्रिया-कलापों में बालक तथा बालिकाओं को भाग लेने के समान अवसर प्रदान किये जाते हैं, जिससे युवाओं में सकारात्मक लैंगिक झुकावों की उत्पत्ति होती है।

3. विद्यालय में युवाओं में सकारात्मक लैंगिक झुकावों की उत्पत्ति के लिए सामूहिकता की भावना पर बल दिया जाता है।

4. परस्पर लिंग के प्रति आदर तथा सम्मान की भावना की शिक्षा प्रदान की जाती है।

5. पाठ्यक्रम तथा पाठ्य सहगामी क्रियाओं को बिना किसी भेद-भाव के प्रभावी रुप से विद्यालय प्रदान करते हैं, जिससे भ्रान्तियाँ पनपती हैं और स्वस्थ लैंगिक दृष्टिकोण का विकास होता है।

6. विद्यालयों में यौन शिक्षा के द्वारा स्वस्थ लैंगिक दृष्टिकोणों का विकास किया जाता है।

7. विपरीत लिंग के महत्त्व से विद्यालय अवगत कराते हैं, जिससे उनके प्रति सकारात्मक भाव जाग्रत होता है।

8. विद्यालय में कार्यशालाओं, गोष्ठियों तथा वाद-विवाद इत्यादि के द्वारा बालक तथा बालिकाओं को स्वस्थ जानकारी प्राप्त होती है।

9. विद्यालय में बालक और बालिकाओं में स्वस्थ लैंगिक अवधारणाओं के विकास हेतु यौन तथा व्यक्तिगत परामर्श तथा निर्देशन की व्यवस्था की जाती है ।

10. स्वस्थ लैंगिक दृष्टिकोण के विकास हेतु विद्यालय बालक तथा बालिकाओं को आत्म-प्रकाशन के पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं ।

घर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य

बालक तथा बालिकाओं के शरीर तथा मनो-मस्तिष्क पर पारिवारिक वातावरण का प्रभाव अत्यधिक होता है । लिंगीय भेद-भाव ऐसा नहीं है कि केवल सार्वजनिक स्थलों या हमारे समाज में ही होता है, इनकी शुरुआत किसी-न-किसी परिवार से ही होती है और सकारात्मक लैंगिक झुकाव के विकास के लिए परिवार के कार्य निम्नवत् हैं-

1. परिवार को लिंगीय हीनता सूचक शब्दावली का प्रयोग नहीं करना चाहिए ।

2. परिवार में बालक तथा बालिकाओं की समुचित शिक्षा तथा पालन-पोषण के प्रबन्ध द्वारा लैंगिक समानता का कार्य कर सकारात्मक लैंगिक झुकावों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

3. यौन शिक्षा को ग्रहण करके परिवार सकारात्मक लैंगिक झुकावों के विकास का कार्य करते हैं।

4. परिवारों से ही समाज बनता है। अतः परिवार में बालकों में श्रेष्ठता का भाव बालिकाओं की अपेक्षा ज्यादा नहीं भरना चाहिए, अपितु स्वस्थ लैंगिक भाव उत्पन्न करना. चाहिए जिससे समाज में बालिकाओं के लिए सुरक्षा का वातावरण बनेगा ।

5. परिवार में बालक तथा बालिकाओं से यौन शिक्षा तथा लिंगीय मुद्दों पर बात करके सकारात्मक लैंगिक झुकाव युवाओं में उत्पन्न किया जा सकता है।

बाहर के सकारात्मक लैंगिक झुकाव हेतु कार्य

लैंगिक झुकावों के सकारात्मक होने का खामियाजा हमारे समाज में बेटियाँ और उनके घर वाले भुगत रहे हैं। आये दिन बलात्कार, छेड़खानी, एसिड अटैक की घटनायें समाचार-पत्रों में प्रमुखता से छपती हैं, क्योंकि हमारे समाज में यौन विषयों पर बात करना अपराध जैसा है, जिससे युवा पीढ़ी गलत धारणाओं और भ्रान्तियों की शिकार हो गयी हैं और वे अपनी कुण्ठा और अवसाद को निकालने के लिए ऐसी हरकतें करते हैं, जिससे मानवता भी शर्मसार होती है, साथ-ही-साथ उनका भविष्य भी अन्धकारमय हो जाता है। यह सत्य है कि घर में भी बेटियाँ सुरक्षित नहीं हैं, फिर भी घर की अपेक्षा हमारे सामाजिक स्थल अर्थात् घर से बाहर ज्यादा असुरक्षित हैं। घर में यदि माता-पिता बेटी को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं तो बाहर समाज में हजारों व्यक्ति क्यों नहीं ? परन्तु इस विषय में कोई उत्तरदायित्व नहीं लेना चाहता । समाज का क्षेत्र और शक्ति परिवार से कहीं अधिक व्यापक है । अतः युवाओं में सकारात्मक लैंगिक झुकाव के कार्य का सम्पादन निम्न प्रकार किया जाना चाहिए—

1. समाज को पुस्तकालयों तथा वाचनालयों की स्थापना द्वारा लोगों को जागरूक करना चाहिए ।

2. सामाजिक क्रिया-कलापों में बालक तथा बालिकाओं को समान रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना ।

3. यौन शिक्षा के प्रति उदार तथा व्यापक दृष्टिकोण

4. सामाजिक सुरक्षा का वातावरण तैयार करना ।

5. अभद्र शब्दावली तथा व्यवहार के प्रति हेय भाव रखना ।

6. समाज को युवाओं में सकारात्मक लैंगिक झुकावों के लिए समय-समय पर इससे सम्बन्धित आयोजनों को आयोजित करना चाहिए ।

7. अन्य अभिकरणों को सहयोग प्रदान करना चाहिए ।

8. किसी भी प्रकार के लैंगिक दुर्भाव और यौन अभद्रता पर आगे आना चाहिए ताकि आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों में भय व्याप्त हो सके और वे सकारात्मक लैंगिक दृष्टिकोण के विकास हेतु बाध्य हो सकें ।

यौन शिक्षा की प्रभाविता हेतु सुझाव (Suggestions for Sex Education influencing)—

 यौन शिक्षा की आवश्यकता अत्यधिक है, क्योंकि बालकों के पास आज इन विषयों पर जानकारी प्राप्त करने के अनगिनत साधन हैं, पर वे एक पक्षीय हैं। इससे उनके मन में भ्रान्तियाँ और काल्पनिकता प्रभावी हो जाती हैं, जिसके दुष्परिणाम निम्न प्रकार हो सकते हैं-

  1. भाषायी अभद्रता।
  2. घर वालों तथा समाज के प्रति उपेक्षा ।
  3. पढ़ाई में मन न लगना ।
  4. निराशा
  5. यौन इच्छाओं की पूर्ति हेतु समाज की मान्यताओं के विरुद्ध कृत्य करना ।
  6. अश्लील साहित्य तथा सामग्री के प्रति रुचि।
  7. कुण्ठा ।
  8. चिड़चिड़ापन
  9. मानसिक विकार ।
  10. स्त्रियों के प्रति अनादर ।
  11. अश्लील हरकतें करना इत्यादि।

इस प्रकार यौन शिक्षा यदि प्रदान नहीं की जायेगी तो युवाओं में परस्पर लिंग के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास नहीं होगा, जिससे विद्यालय, घर तथा बाहर कहीं भी सुरक्षात्मक वातवरण का सृजन नहीं हो सकेगा। अतः यौन शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए घर, विद्यालय तथा समाज हेतु कुछ सुझाव निम्नवत् हैं-

  1. यौन शिक्षा और यौन से सम्बन्धित विषयों के प्रति शर्म नहीं अपितु जागरूकता का भाव रखना ।
  2. यौन इच्छाओं को तथा क्रियाओं को विकास की प्रक्रिया या क्रम मानना ।
  3. विद्यालय तथा समाज प्रजातान्त्रिक मूल्यों में आस्था रखने वाले हों ।
  4. विद्यालयी क्रिया-कलापों में सामूहिकता की भावना पर बल ।
  5. सह-शिक्षा को प्रोत्साहन ।
  6. सह-सम्बन्ध का महत्त्व बताना ।
  7. घर में लिंगीय असमानता और भेद-भाव न होना ।
  8. समाज को सुरक्षित बनाकर ।
  9. बालक तथा बालिकाओं के मध्य सकारात्मक लैंगिक झुकाव के लिए विविध प्रकार के आयोजन तथा विशेषज्ञों द्वारा समस्या का समाधान
  10. निर्देशन एवं परामर्श की सुविधा ।
  11. समुचित पाठ्यक्रम द्वारा ।
  12. प्रौढ़ शिक्षा के प्रसार द्वारा ।
  13. बालिकाओं के विद्यालयीकरण को प्रोत्साहित करके ।
  14. अश्लील गीतों, साहित्य तथा सामग्री पर रोक लगाना ।
  15. अश्लील कृत्य करने वालों को कानून के हवाले करना ।
  16. लैंगिक समानता हेतु बनाये गये कानूनों का पालन करना ।
  17. अन्ध-विश्वास तथा रूढ़ियों की समाप्ति द्वारा ।
  18. व्यावसायिक शिक्षा द्वारा
  19. माता-पिता तथा परिवार द्वारा इन विषयों पर संवाद स्थापित करना ।
  20. अन्य अभिकरणों से सहयोग स्थापित करना ।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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