सामाजिक विज्ञान का भूगोल तथा विज्ञान के साथ सम्बन्धों की व्याख्या कीजिये।
सामाजिक विज्ञान तथा भूगोल का सह-सम्बन्ध – सामाजिक विज्ञान तथा भूगोल में अति निकटता का सम्बन्ध है। यह तथ्य सर्वमान्य है कि किसी देश की भौगोलिक अवस्था का प्रभाव वहाँ के नागरिकों के चरित्र, सामाजिक व राजनीतिक जीवन एवं संस्थाओं पर पड़ता है। राजनीति विज्ञान के विचारक एवं चिन्तक अरस्तू ने कहा है कि “भूगोल के बिना सामाजिक एवं राजनीतिक ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। ” फ्रांसीसी विचारक रूसो का मत है कि “उष्ण जलवायु स्वेच्छाचारी शासन को जन्म देती है, शीत जलवायु क्रूरता व कठोरता उत्पन्न करती है तथा शीतोष्ण जलवायु अच्छी सामाजिक व्यवस्था को उत्पन्न करती हैं।”
किसी देश की आर्थिक दशा उसकी भौगोलिक स्थिति एवं वहाँ की ऊपज, खनिज, पद्धार्थों एवं उद्योगो पर निर्भर होती है। राष्ट्रों की अंतर्निर्भरता उनकी भौगोलिक विशेषताओं के कारण ही होती है। भूगोल प्राकृतिक वातावरण की व्याख्या के माध्यम से मानवीय कार्यों की ही व्याख्या करता है, क्योंकि मानव अपने प्राकृतिक वातावरण के परिप्रेक्ष्य में समस्त कार्यकलाप करता है। इसलिए पी.डी. घाटे का कथन है कि “मानव की अपनी भूमिका का अभिनय करने के लिए भूगोल एक रंगमंच प्रस्तुत करता है। इस प्रकार नागरिक शास्त्र की अध्याय वस्तु नागरिकों के सम्बन्ध एवं क्रियाकलापों का रंगमंच भूगोल है, जिससे सहसम्बन्ध किये बिना सामाजिक तथ्य स्पष्ट नहीं होते।”
सामाजिक विज्ञान की पाठ्यवस्तु में कुछ अध्याय अथवा प्रसंग ऐसे चुने जा सकते हैं, जिनके अध्ययन-अध्यापन में भूगोल से सहसम्बन्ध अपेक्षित रहता है। जैसे राज्य के तत्व प्रकरण में भौगोलिक एकता तत्व को विभिन्न राष्ट्रों की भौगोलिक सीमाएं, विश्व शांति में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका प्रकरण में विश्व के संघर्षरत राष्ट्रों की स्थिति, संघर्ष के कारणों एवं उनके समाधान के उपाय, भारत की खाद्य समस्या प्रकरण को भारत की भौगोलिक विशेषताओं तथा भारत की विदेश नीति का स्पष्टीकरण भी भूगोल से सह-सम्बन्ध किये बिना नहीं हो सकता। यह सह-सम्बन्ध मानचित्र, ग्लोब चित्र आदि उपकरणों की सहायता से स्पष्ट करना चाहिए।
सामाजिक विज्ञान तथा सामान्य विज्ञान – सामाजिक विज्ञान के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए यह तथ्य सर्वप्रमुख है कि वह कला एवं विज्ञान दोनों है। सामाजिक विज्ञान नागरिकता एवं विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संस्थाओं के सफल संचालन के सिद्धान्तों को व्यावहारिक रूप देने के कारण कला है, तथा कार्य-कारण सम्बन्ध स्थापित कर निष्कर्ष निकालने एवं किसी समस्या के समाधान हेतु वैज्ञानिक पद्धति अपनाने के कारण यह विज्ञान भी है। अत: सामान्य विज्ञान के तथ्यों से सहसम्बन्ध सामाजिक विज्ञान के शिक्षण में सहायक हो सकता है। इसके अतिरिक्त सामान्य विज्ञान के अन्तर्गत विज्ञान की विभिन्न शाखाएं स्वास्थ्य व सफाई, जीव-विज्ञान आदि तथा वैज्ञानिक आविष्कारों के प्रभाव से नागरिक जीवन से सह-सम्बन्ध है। यद्यपि यह सहसम्बन्ध प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता तथापि परोक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से यह सम्बन्ध अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
जीव विज्ञान से विदित होता है कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है। यह ज्ञान नागरिकों में पेड़-पौधों के प्रति सहानुभूति तथा उनके संरक्षण की अभिवृत्ति उत्पन्न कर सकता है। विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं का वैज्ञानिक विधि से विश्लेषण कर उनका समाधान खोजने में विज्ञान से सह-सम्बन्ध विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न कर सकता है। सामाजिक विज्ञान के शिक्षण के दौरान अनेक ऐसे विषय एवं अध्याय हो सकते है जिनके चयन से सह-सम्बन्ध स्थापित करने में आसानी रहती है। जैसे समाज का उद्भव एवं विकास, समुदायों की उत्पत्ति एवं प्रकार, नागरिकों के गुण, कर्त्तव्य, अन्तर्राष्ट्रीय सद्भाव, ग्राम पंचायत या नगरपालिका के कार्य, जिला परिषद एवं स्वास्थ्य व सफाई जनसंख्या सम्बन्धी समस्या, विदेश नीति आदि प्रकरणों में प्रसंगानुकूल विज्ञान से सह-सम्बन्ध द्वारा तथ्यों को स्पष्ट, रोचक एवं बोधगम्य बनाया जा सकता हैं।
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