पुनर्जागरण की क्या विशेषताएँ थी ? यह इटली में ही क्यों प्रारम्भ हुआ? संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
अथवा
पुनर्जागरण का उदय सर्वप्रथम इटली के नगरों में ही क्यों हुआ था, कारण लिखिए।
13वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य यूरोप में होने वाले कलात्मक, साहित्यिक, सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक परिवर्तनों को सम्मिलित रूप से पुनर्जागरण कहा जाता हैं। यही से मध्य युग की समाप्ति तथा आधुनिक युग का प्रारम्भ होता हैं।
पुनर्जागरण की विशेषताएँ:
पुनर्जागरण की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i) स्वतंत्र चिन्तन को प्रोत्साहन मिला।
(ii) मानवतावादी विचारधारा का विकास हुआ। इसमें संदेश निहित था कि धर्म एवं मोक्ष की चिन्ता छोड़ कर इस जीवन को आनंद से बीताना चाहिए।
(iii) स्वतंत्र व्यक्तित्व एवं व्यक्तिवादी विचारधारा का विकास।
(iv) लोक भाषाओं का विकास।
(v) जिज्ञासा प्रवृति, बौद्धिक दृष्टिकोण एवं वैज्ञानिक विचारधारा को विकास।
(vi) प्राचीन यूनानी एवं रोमन वैभव से प्रभावित।
(vii) मध्यकालीन व्यवस्था के अवशेषों पर नवीन युग का प्रारम्भ।
ये सभी मूलभूत विशेषताएँ पुनर्जागरण के साथ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई थी। सर्वप्रथम पुनर्जागरण का प्रारम्भ इटली में हुआ, इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित-
(1) उन्नत व्यापार एवं बड़े-बड़े नगरों का विकासः- भूमध्य सागर के मध्य स्थित होने के कारण इटली में व्यापार वाणिज्य की अत्यधिक उन्नति हुई क्योंकि नवीन जलमार्गों की खोज से पूर्व भूमध्य सागर पूर्व और पश्चिमी देशों का व्यापार का केन्द्र था। इससे वहाँ बड़े-बड़े नगरों-वेनिस, फ्लोरेन्स मिलान आदि का तथा धनी मध्यम वर्ग का विकास यूरोप से बहुत पहले हो गया था।
(ii) प्राचीन रोमन वैभव का प्रभावः- रोम भी ईसाई संस्कृति का केन्द्र था, वहा पोप के नेतृत्व में कला और साहित्य को संरक्षण प्रदान किया। पोप ने इटली के विभिन्न शहरों में सुन्दर नगरों का निर्माण करवाया था जिनमें बड़े-बड़े चर्च और उससे जुड़ी हुई अनेक इमारतें प्रमुख रूप से थी।
(iii) इटली के विश्वविद्यालय का स्वतन्त्र वातावरण जिसमें आपसी विचार विनिमय की प्रबल संभावना थी। इन विश्वविद्यालयों में स्वतन्त्र चर्चा होती थी।
(iv) इटली की राजनीतिक स्थिति का अनुकूल होना क्योंकि अशक्त पवित्र रोमन साम्राज्य के कारण उत्तरी इटली में स्वतन्त्र नगर राज्यों का विकास हो गया था।
(v) कुस्तुनतुनिया पर तुर्कों का अधिकार (1453 ई.) हो जाने के फलस्वरूप यूरोप के अनेक विद्वानों ने बड़ी संख्या में इटली के नगरों में शरण ली थी जिसके कारण वहाँ एक नयी सभ्यता और संस्कृति को पनपने का अवसर मिला था।
(vi) धर्म युद्धों से लौटने वाले ईसाईयों का बड़ी संख्या में इटली में ही बस जाना।
(vii) मार्कोपोलो की मंगोल दरबार एवं पूर्वी देशों की यात्रा।
संक्षेप में इटली में वो सभी कारक व परिस्थितियाँ विद्यमान थी जिनके फलस्वरूप पुनर्जागरण के लिए एक मंच तैयार हो पाया था।