इवान चतुर्थ का जीवन परिचय
जन्म : 1530
मृत्यु : 1584
इतिहास में इवान द टेरीबल के नाम से ख्यात इवान चतुर्थ ने पहले पहल जार का राजमुकुट धारण किया। उसने विरोधियों का कठोरता से दमन किया, रूस की सीमाओं का विस्तार किया और मुद्रण तथा अनूठी मस्कोवीय वास्तुकला को प्रोत्साहन दिया।
जब पिता की मृत्यु हुई राजकुमार इवान तीन वर्ष के शिशु थे। मां ने रीजेंसी का पद ग्रहण कर बोयर यूमा के साथ राज चलाया। इवान ने बचपन से ही दुरभिसंधि छल प्रपंच देखा और 16 का होते ही अपने एकमात्र विश्वासपात्र रूसी चर्च प्रमुख मैत्रोपालितन मकारी के परामर्श से बोयरों को शक्तिहीन कर दिया। उसने सुंदरी, विदुषी और सद्गुणी बोयर कन्या अनास्तासिया रोमनोव से विवाह किया और 1547 में जार की पदवी धारण की। राजसंचालन एवं मंत्रणा के लिए उसने परिषद का गठन किया तथा 1550 में उच्च एवं निम्न सदन की संसद सोबोर की नींव डाली। इसी साल उसने नई विधि संहिता ‘जार संहिता’ लागू की। उसने रूसी सेना का पुनर्गठन किया और वंशानुगत जागीरें बांटने के बजाय उन्हें व्यक्तिगत और सशर्त देने की परिपाटी शुरू की। तातारों से रूस की स्थायी सुरक्षा के प्रयोजन से इवान कजान फतह किया और चार साल बाद अस्त्राखान जीतकर वहां धार्मिक सहिष्णुता 1552 में की नीति लागू की। लिवोनिया- युद्ध में अपने अधीनस्थ सामंत कुरब्स्की के विश्वासघात से 1564 में जार इवान को इतना गहरा आघात लगा कि अगले करीब कई साल तक वह विरोधियों पर कहर ढाता रहा। इस साल दिसंबर में गुप्त रूप से मस्क्वा छोड़कर उसने अलेक्संद्रोव में मठनुमा मुख्यालय स्थापित कर गुप्त दमनकारी संगठन ‘ओप्रिच्चिना’ की स्थापना की। दर्जनों बोयरों व उनके सेवकों को फांसी दे दी गई। नोवगोरोद नगर उजाड़ दिया गया और लगातार सात वर्ष तक काले कपड़े पहनने वाले इवान के वफादार ओप्रिनिकियों ने आतंक- विध्वंस का निर्मम खेल खेला। इसके बाद किसी की इवान के खिलाफ सिर उठाने की हिम्मत नहीं हुई। शासन के अंतिम काल में अतामान इरमक ने पश्चिमी साइबेरिया को जीतकर उसे जार को सौंप दिया। इवान ने टुकड़ियां भेजकर साइबेरिया में रूसी साम्राज्य का और विस्तार किया। इवान के काल में मस्क्वा में 1553 में छापाखाना खुला और स्लाव पुस्तकों की छपाई का सिलसिला शुरू हुआ। इस दौर में एक नवीन वास्तुशैली विकसित हुई, जो बजंतीस परंपरा से पृथक थी। उत्पीड़न ग्रंथि से पीड़ित इस कला प्रेमी सम्राट का 54 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया।
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