एलिजाबेथ प्रथम का जीवन परिचय- Queen Elizabeth Biography in Hindi
एलिजाबेथ प्रथम | |
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इंग्लैंड और आयरलैंड की रानी
( अधिक… )
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शासन काल | 17 नवंबर 1558 – 24 मार्च 1603 |
राज तिलक | 15 जनवरी 1559 |
पूर्ववर्तियों | मैरी I और फिलिप |
उत्तराधिकारी | जेम्स आई |
उत्पन्न होने वाली | 7 सितंबर 1533 पैलेस ऑफ प्लेसेंटिया , ग्रीनविच , इंग्लैंड |
मर गए | २४ मार्च १६०३ (उम्र ६९) रिचमंड पैलेस , सरे , इंग्लैंड |
दफ़न | 28 अप्रैल 1603
वेस्टमिन्स्टर ऐबी
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मकान | ट्यूडर |
पिता जी | इंग्लैंड के हेनरी VIII |
मां | अन्न बोलीं |
धर्म | इंग्लैंड का गिरजाघर |
हस्ताक्षर |
1603 रानी एलिजाबेथ के राजकाज को ब्रिटिश इतिहास का स्वर्णयुग माना जाता है। उसने इंग्लैंड में प्रोटेस्टेंट आस्था और धार्मिक स्थिरता स्थापित की। स्पेनी आर्मडा को मात दी, सीमाओं का विस्तार किया और प्रजा से अपूर्व सम्मान अर्जित किया।
सम्राट हेनरी अष्टम की पुत्री ऐलिजाबेथ का जन्म ग्रीनविच पैलेस में तब हुआ जब सम्राट, उनके दरबारी और ज्योतिषी पुत्र के जन्म की आशा कर रहे थे। ऐलिजाबेथ दो वर्ष की ही थी कि किसी बात से क्षुब्ध सम्राट हेनरी ने उसकी मां एनी की टावग्रीन में गरदन उड़ा दी और बेटी को आयाओं की देखरेख में हैटफील्ड हाउस में भेज दिया। बरसों बाद सम्राट की छठवीं रानी कैथरीन उसे राजप्रासाद में लाई। यूं तो कैथरीन ने ऐलिजाबेथ को थॉमस सीमूर के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था और उसके लीसेस्टर के अर्ज राबर्ट डडले समेत कइयों से अंतरंग संबंध थे तथा फ्रांस के ड्यूक फ्रांसिस समेत अनेक सामंत उससे परिणय के आकांक्षी थे, किंतु विवाह से चिढ़ के चलते चतुर और विलासी रानी एलिजाबेथ आजीवन अविवाहित रही। चूंकि शादी शाही एवं राजनयिक आवश्यकता थी, अतः 1566 में जब उसके फंड रोके गए तो उसने संसद में कहा कि शादी नहीं, देश की भलाई उसकी वरीयता है और वह इंग्लैंड के साम्राज्य रूपी पति से बंधी है। पोप के आह्वान पर 1588 में स्पेन के सम्राट फिलिप द्वितीय ने इंग्लैंड विजय के प्रयोजन से अजेय आर्मडा तैयार किया तो रानी ने जोशीले भाषण से भयभीत एवं सशंकित ब्रितानियों को एकजुट कर दिया। 130 पोतों व 19 हजार सैनिकों का आर्मडा तहस-नहस हुआ और इंग्लैंड अजेय नौशक्ति बनकर उभरा। इसी दशक में उसने बेल्जियम नीदरलैंड में सेनाएं भेजीं और नीदरलैंड को संरक्षण में लिया। अगले दशक में उसने आयरलैंड में चुनौतियों से पार पाया। जहाजरानी और विदेश व्यापार को प्रोत्साहित किया और समृद्धि के नए द्वार खोले। उसके राजकाज में लंदन में शेक्सपियर के नाटक खेले गए। रेले और ट्रैक जैसों ने साम्राज्य का अपूर्व विस्तार किया और ईस्ट इंडिया कंपनी का गठन हुआ। प्रोटेस्टेंटों को राजकीय प्रतिष्ठा के बावजूद उसने कैथोलिक रिवाजों का पूर्ण उन्मूलन नहीं किया। जनता का अगाध विश्वास और अपूर्व निष्ठा उसकी अनमोल पूंजी थी, जिसकी बदौलत वह ब्रिटिश इतिहास में महानतम, सफलतम व सर्वाधिक लोकप्रिय साम्राज्ञी के तौर पर प्रतिष्ठित हुई।
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