लिंग की समानता की शिक्षा में जनसंचार की भूमिका का वर्णन करें ।
वर्तमान युग जनसंचार के साधनों का युग है। इन साधनों ने देश की हजारों किलोमीटर की दूरी को कम कर दिया है। जनसंचार के साधनों के द्वारा कम समय में सूचनाओं का आदान-प्रदान विशाल जनसमूह तक किया जाता है। जनसंचार के साधनों का प्रयोग जिन-जिन क्षेत्रों में किया जा रहा है, वे निम्न प्रकार हैं-
- विचारों के आदान-प्रदान हेतु ।
- जागरूकता लाने हेतु ।
- महत्त्वपूर्ण विषयों तथा खबरों से अवगत कराने हेतु ।
- संवेदनाएँ व्यक्त करने हेतु ।
- आपस में ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी आदान-प्रदान हेतु ।
- शोषण तथा अन्याय के खिलाफ लड़ने में ।
- सांस्कृतिक संरक्षण एवं हस्तान्तरण में ।
- एक राय बनाने हेतु ।
- कम समय में तथा कम व्यय में अधिकतम लोगों तक पहुँचाने हेतु।
- दूरियों तथा भेद-भावों को मिटाने हेतु
- आधुनिकीकरण हेतु ।
- लोक कल्याण हेतु ।
- शिक्षा के प्रसार हेतु ।
- चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा की समानता हेतु ।
- स्त्रियों की दशा में उन्नयन हेतु ।
- राजनैतिक क्षेत्र में ।
- आर्थिक गतिविधियों तथा क्रिया-कलापों के ज्ञान हेतु ।
- राष्ट्रीय एकता और अखण्डता हेतु ।
- मानवता तथा प्रेम का सन्देश देने हेतु ।
- अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना के विकास हेतु ।
इस प्रकार जनसंचार के साधनों की पहुँच अत्यधिक व्यापक है और इनके द्वारा उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे हैं जिनसे इनकी उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। पारिवारिक शोषण, अभद्र व्यवहार, चिकित्सा, देशी उपचार, मनोरंजन, देश-विदेश की खबरें, भविष्यवाणी, अर्थ जगत् राजनीति, सांस्कृतिक जगत्, खेल-कूद एवं स्वास्थ्य आदि की खबरें घर बैठे व्यक्ति देखता है, ज्ञान प्राप्त करता है और जागरूक होता है तो यह सब जनसंचार के साधनों की ही देन हैं। जनसंचार के साधनों के व्यापक प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों द्वारा चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा की गति में तीव्रता आयी है। जनसंचार के साधनों के कई रूप हैं जिनका प्रयोग हम अपने नित्य प्रति के जीवन में मनोरंजन, जागरूकता और ज्ञान प्राप्ति के लिए करते हैं। इन साधनों का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
जनसंचार के साधनों का वर्गीकरण (Classification of Mass Media)
1. अमुद्रित इलैक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media)
- समाचार-पत्र
- पत्रिकायें
- पैम्फलेट
2. मुद्रित साधन (Printed Media)
- दूरदर्शन
- रेडियो
- टेलीफोन तथा फैक्स आदि
वर्तमान में इन सभी जनसंचार के साधनों का प्रयोग चुनौतिपूर्ण लिंग की शिक्षा की समानता हेतु जागरूकता के प्रसार में किया जा रहा है। जनसंचार के साधनों का जिनकी प्रभावी भूमिका चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा में है, वे निम्न प्रकार हैं—
- चित्र तथा फोटोग्राफी
- पत्र-पत्रिकाएँ,
- साहित्य,
- चलचित्र, दूरदर्शन, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, ग्रामोफोन,
- नाटक, लोक-नृत्य, नौटंकी तथा कठपुतली का खेल,
- प्रदर्शनी,
- फ्लालेनग्राफ,
- बुलेटिन या समाचार-पत्र,
- दीवाल लेखन,
- पोस्टर, चार्ट,
- फ्लैश कार्ड,
- टेलीफोन,
- कवि सम्मेलन, मुशायरा,
- वार्ता इत्यादि ।
जनसंचार के साधनों की उपयोगिता तथा महत्त्व शिक्षा के क्षेत्र में अत्यधिक है तथा इसके बढ़ते हुए महत्त्व को देखते हुए कार्य योजना, 1990 (Programme of Action Plan, 1990) के अनुसार- “शैक्षिक प्रयोजन के लिए समर्पित शैक्षिक दूरदर्शन चैनल और रेडियो प्रसारण के लिए पर्याप्त समय दिये जाने की आवश्यकता है। अतः ऐसे प्रसारण केन्द्र बढ़ाये जायें जो गैर-औपचारिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, सतत् शिक्षा, उच्च शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा की व्यवस्था करें। इस हेतु भारत में एक समर्पित शैक्षिक चैनल की तत्काल आवश्यकता है।”
चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा में जनसंचार की भूमिका
जैसा कि ज्ञात है कि जनसंचार के साधन वर्तमान में अत्यधिक प्रभावी हैं और कोई श्री क्षेत्र इनसे अछूता नहीं रह गया है। ग्रामीण हो या शहरी क्षेत्र, यहाँ तक कि दुर्गम स्थलों पर भी जनसंचार के साधनों की पहुँच हो गयी है। चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता हेतु शिक्षा में जनसंचार के साधनों की भूमिका का निरूपण निम्नवत् है-
(1) जनसंचार के साधनों द्वारा चुनौतीपूर्ण लिंग की समस्याओं से समाज को अवगत कराकर सहयोगात्मक वातावरण का सृजन किया जाता है ।
(2) जनसंचार के साधनों के द्वारा चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता हेतु शिक्षा के विषय में जागरूकता उत्पन्न की जाती है।
(3) जनसंचार के साधनों द्वारा विभिन्न प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है जिससे प्रौढ़ तथा स्त्री शिक्षा के प्रति जागरूकता में वृद्धि हो रही है।
(4) जनसंचार के साधन किताबों, कविताओं तथा लेखों के द्वारा चुनौतीपूर्ण लिंग के महत्त्व तथा शिक्षा और समानता का प्रसार कर रहे हैं
(5) जनसंचार के साधनों के द्वारा चुनौतीपूर्ण लिंग के साथ रहे दुर्व्यवहार, शोषण तथा अपराध एवं अशिक्षा सम्बन्धी समाचार लोगों तक पहुँचाये जाते हैं जिसके कारण इनकी समानता, स्वतन्त्रता और शिक्षा के प्रति जागरूकता में वृद्धि हो रही है।
(6) जनसंचार के साधन चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता हेतु शिक्षा के लिए लोगों को जागरूक बनाने के साथ-साथ उन्हें इस दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित भी करते हैं, जिसके परिणमस्वरूप वर्तमान में व्यक्तिगत प्रयास भी स्त्री शिक्षा की दिशा में दिये जा रहे हैं।
(7) जनसंचार के साधनों के द्वारा चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता हेतु शिक्षा के लिए कानून और प्रशासन पर दबाव बनाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप इनकी शैक्षिक उन्नति के कार्य को गति प्रदान करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं।
(8) जनसंचार के साधनों द्वारा महिलाओं की सशक्त छवि प्रस्तुत की जाती है ।
(9) जनसंचार के साधनों के द्वारा शिक्षित महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में योगदान से परिचय कराया जाता है जिसके कारण लोगों में चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा के प्रति आकर्षण में वृद्धि हो रही है।
(10) जनसंचार के साधन आँकड़े तथा डॉक्यूमेण्ट्री इत्यादि का प्रस्तुतीकरण करते हैं जिसमें यह दिखाया जाता है कि अशिक्षित स्त्रियों से भरे समाज की आगे और कैसी दयनीय स्थिति होगी, तो देखने वालों पर इसका जो प्रभाव पड़ता है वह चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा की दिशा में आगे आता है।
(11) जनसंचार के साधनों के द्वारा खुली बहस का आयोजन किया जाता है जिससे चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा में वृद्धि होती है।
(12) जनसंचार के साधन शिक्षा से व्यक्ति, समाज, राष्ट्र को होने वाले लाभ के साथ-साथ शिक्षा से सम्बन्धित योजनाओं के विषय में भी अवगत कराते हैं।
(13) कुछ जनसंचार के साधन ही ऐसे हैं जिनकी स्थापना चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा, सुरक्षा तथा समानता के लिए ही की गयी है, अतः ये इस क्षेत्र में प्रभावी भूमिका निभाते हैं।
(14) जनसंचार के साधनों द्वारा जन-सामान्य को उनकी दयनीय स्थिति से उबरने के लिए बिना किसी भेद-भाव के स्त्री शिक्षा को अपनाने हेतु प्रेरणा प्रदान की जाती है।
(15) जनसंचार के साधनों द्वारा लिंगीय समानता की दिशा में किये गये संवैधानिक प्रावधानों से लोगों को अवगत कराया जाता है जिससे चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता हेतु शिक्षा के कार्य में तेजी आ रही है।
चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा में जनसंचार की प्रभाविता हेतु सुझाव (Suggestions of Influencing Mass Media in Challenging Gender Equality of Education)
जनसंचार के साधनों की पहुँच तथा प्रभाव से कोई क्षेत्र, व्यक्ति, लिंग, आयु और स्तर का व्यक्ति अछूता नहीं रह गया है। ये साधन ज्ञान तथा सूचनाओं के पिटारे तो हैं ही, साथ ही साथ इन साधनों के द्वारा समसामयिक महत्त्व के विषयों पर जागरूकता लाने का कार्य सम्पन्न किया जाता है। जनसंचार के साधनों ने ऐसे ही एक क्षेत्र पर व्यापक प्रभाव और जागरूकता लाने का कार्य किया है, वह है चुनौतीपूर्ण लिंग की दशा । चुनौतीपूर्ण लिंग के अन्तर्गत ये साधन शिक्षा, समानता, स्वतन्त्रता आदि अधिकारों की वकालत करते हैं जिस कारण आज तस्वीर बदलती हुई नजर आ रही है। चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा में जनसंचार के साधनों को और भी प्रभावी बनाने हेतु सुझाव निम्न प्रकार दिये जा सकते हैं-
(1) जनसंचार के साधनों द्वारा जनसंवाद कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए जिससे लोगों में जागरूकता आये ।
(2) जनसंचार के साधनों को चाहिए कि वे सामान्य जनों से सम्पर्क स्थापित करें और चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण स्थापित करें।
(3) जनसंचार के साधनों को पढ़ी-लिखी महिलाओं की नकारात्मक छवि की प्रस्तुति से बचना चाहिए।
(4) जनसंचार के साधनों को महिलाओं की सशक्त छवि का प्रस्तुतीकरण करना चाहिए जिससे लोगों में अच्छा सन्देश जाये ।
(5) जनसंचार के साधनों द्वारा पढ़े-लिखे व्यक्तियों को उनकी नैतिक जिम्मेदारी और कर्त्तव्य-बोध से परिचित कराना चाहिए ।
(6) जनसंचार के साधन प्रभावी होते हैं और इनकी पहुँच तथा प्रभाव व्यापक होता है, अतः इनको नकारात्मक और हीनतासूचक कार्यक्रमों और शब्दावलियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
(7) जनसंचार के साधन कभी-कभी मनोरंजन के चक्कर में अपनी सीमाओं की उपेक्षा कर जाते हैं जिससे इनकी प्रामाणिकता और विश्वसनीयता कम होती है, अतः इस कार्य से बचना चाहिए।
(8) जनसंचार के साधनों द्वारा विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण लिंग की समस्याओं तथा समानता इत्यादि से सम्बन्धित सामग्री का प्रकाशन और प्रसारण करना चाहिए।
(9) जनसंचार के साधनों को लैंगिक भेद-भाव और दुर्भावना में वृद्धि करने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण नहीं करना चाहिए।
(10) जनसंचार के साधनों को चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता हेतु शिक्षा के लिए अन्य औपचारिक तथा अनौपचारिक अभिकरणों, जैसे परिवार, विद्यालय, समाज, समुदाय तथा राज्य आदि से सहयोग प्राप्त करना चाहिए।
(11) जनसंचार के साधनों को निष्पक्ष रूप से बिना किसी भी दबाव के चुनौतीपूर्ण लिंग के साथ हो रही असमानता के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए जिससे ऐसा करने वालों में भय व्याप्त होगा।
(12) जनसंचार के साधनों को महिला आयोग तथा चुनौतीपूर्ण लिंग की दशा में सुधार करने वाली संस्थाओं से सहयोग स्थापित करना चाहिए ।
(13) जनसंचार के साधनों को देश-विदेश की अग्रणी महिलाओं तथा उनके कार्य और संघर्षों से लोगों को परिचित कराकर चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की शिक्षा हेतु प्रयास करना चाहिए।
(14) जनसंचार के साधनों को प्रत्येक आयु वर्ग हेतु सामग्री तैयार करनी चाहिए जिससे चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता की दिशा में वातावरण सृजित किया जा सके।
(15) जनसंचार के साधनों को चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता हेतु शिक्षा के लिए सराहनीय कार्य करने वालों को पुरस्कृत करना चाहिए जिससे अन्य व्यक्ति प्रेरणा प्राप्त कर सकें।
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