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प्रश्नावली (Questionnaire)
प्रश्नावली मापन की एक प्रविधि है जिसकी सहायता से प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए जाते हैं जिनमें न्यादर्श के सदस्यों द्वारा स्वयं उत्तर लिखना पड़ता है। प्रश्नावली का सामाजिक विज्ञानों में प्रदत्त एकत्रीकरण में विशेष योगदान है, वस्तुतः जब अध्ययन इकाइयों का क्षेत्र विस्तृत होता है तो प्रतिचयन का आकार भी विस्तृत होता है।
अकोलकर महोदय ने प्रश्नावली की परिभाषा देते हुए कहा है कि ‘प्रश्नावली विचारपूर्वक एवं निश्चित रूप से चुने हुए शब्दों वाले प्रश्नों की एक सूची होती है। प्रश्नावली को डाक द्वारा लोगों के पास भेजा जा सकता है या साक्षात्कारकर्ता प्रश्नावली के प्रश्नों को अपने मन में रखकर बातचीत को आगे बढ़ा सकता है।”
According to Akolkar, “A questionnaire is a list of questions carefully and precisely worded. A questionnaire may be sent out to person by post or given to them in personal interview, or it may simply be kept in mind by the interviewer who steers his conversation in the light of that questionnaire.”
लुण्डबर्ग के अनुसार, ‘मूलरूप में प्रश्नावली उत्तेजकों का एक समूह है, जिस्का प्रयोग शिक्षित व्यक्तियों पर उन उत्तेजकों के प्रति उनके शाब्दिक व्यवहार का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।”
According to Lundberg, “Fundamentally a questionnaire is a set of stimuli to which literate people are exposed in order to observe their verbal behaviour under those stimuli.”
गुडे एवं हाट के अनुसार, ‘सामान्यतः प्रश्नावली किसी रूप में दिए गए प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने का एक साधन है, जिसे उत्तरदाता स्वयं भरता है।”
According to Goode and Hatt, “In general, the word questionnaire refers to a device for securing answers to questions by using a form which the respondent fills in himself.”
उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर स्पष्ट होता है कि प्रश्नावली प्रश्नों की एक उद्देश्यपूर्ण सुनियोजित सूची होती है। इसकी सहायता से अध्ययनरत् समस्या के लिए प्रयोज्यों से आँकड़े प्राप्त किए जाते हैं। प्रश्नावली का एक विशिष्ट स्वरूप होता है जिसका निर्माण या प्रयोग उद्देश्यों की पूर्ति को ध्यान में रखकर किया जाता है।
एक अच्छी प्रश्नावली की विशेषताएँ (Characteristics of a Good Questionnaire)
एक अच्छी प्रश्नावली में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है-
1) प्रत्येक प्रश्नावली के साथ एक ‘प्राथमिक पत्र’ (Covering Letter) होना चाहिए जो कि अनुसन्धानकर्ता एवं अनुसन्धान एवं सम्बन्धित संस्था के उद्देश्यों का विस्तार से परिचय दे सके।
2) प्रश्नावली के अन्दर लिखित निर्देश एवं उत्तर देने की विधि अति सुन्दर, सुस्पष्ट एवं पूर्ण रूप से लिखी होनी चाहिए। विशेष पदों की समुचित व्याख्या एवं अनुचित पदों को अलग कर देना चाहिए।
3) प्रश्नावली में प्रश्नों की संख्या बहुत अधिक नहीं हो किन्तु प्रश्न सभी आवश्यकताओं को संकलित करने वाले हो।
4) प्रश्नावली में उन पदों को कभी नहीं रखना चाहिए जिन्हें अन्य साधनों द्वारा सरलता से प्राप्त किया जा सकता है।
5) प्रश्नावली देखने में सुन्दर, सुव्यवस्थित एवं मुद्रण त्रुटियों से मुक्त होनी चाहिए।
6) ऐसे प्रश्नों को नहीं रखना चाहिए जो उत्तरदाता में ईर्ष्या, क्रोध आदि संवेगों को उत्पन्न करने वाले हों।
7) पदों को भली-भाँति वर्गीकृत कर देना चाहिए- जिससे उत्तर देने में सुविधा रहे।
प्रश्नावली के प्रकार (Types of Questionnaire)
प्रश्नावली निम्नलिखित प्रकार की होती हैं-
1) अप्रतिबन्धित प्रश्नावली (Unrestricted Questionnaire) – इसे अप्रतिबन्धित (Unrestricted) प्रश्नावली भी कहते हैं। इसमें प्रयोज्य कम से कम प्रतिबन्धित होता है। इसे खुली (Open) प्रश्नावली भी कहते हैं। प्रयोज्य अपने विचारों का किसी प्रश्न पर स्वच्छन्द प्रकाशन कर सकता है। उदाहरणार्थ-
i) कक्षा-कक्ष में सकारात्मक पुनर्बलन का प्रभाव अधिक स्थाई क्यों होता है?
ii) वर्तमान शिक्षा प्रणाली के मूल्यांकन में क्या-क्या दोष हैं?
iii) विद्यालय में पाठ्य सहगामी क्रियाओं में छात्रों की घट रही सहभागिता के क्या कारण हैं?
iv) छात्रों की भागीदारी विद्यालय अनुशासन व्यवस्था की गतिविधियों में कैसे बढ़ाया जाए?
2) प्रतिबन्धित प्रश्नावली (Restricted Questionnaire)- इस प्रश्नावली में प्रयोज्य प्रश्नों के उत्तर देने की स्वायत्तता पर प्रतिबन्धित होते हैं। इस प्रश्नावली में प्रश्नों को संरचित करने के उपरान्त प्रयोज्य उत्तर के लिए दिए गए विकल्पों को ध्यान में रखकर ही अपने प्रश्नों का उत्तर देता है। इस प्रश्नावली में प्रश्नों के उत्तर अधिकांशतः हाँ या नहीं, या दिए गए विकल्प में से चुनकर देने होते हैं, जैसे-
i) विज्ञान विषय में आपकी कितनी रुचि है?
- a) कम
- b) सामान्य
- c) बहुत अधिक
ii) विद्यालय में आयोजित कार्यक्रमों में आपकी भागीदारी कैसी होती है?
- a) कम
- b) सामान्य
- c) बहुत अधिक
iii) कक्षा के नवीन छात्रों के साथ आप कैसे मेल-जोल स्थापित कर लेते हैं?
- a) तुरन्त
- b) कुछ समय बाद
- c) कभी नहीं
iv) क्या आप विज्ञानं शिक्षक से डरते हैं- हाँ/नहीं
3) चित्रात्मक प्रश्नावली (Pictorial Questionnaire) – ऐसी प्रश्नावली में प्रश्न चित्रों के रूप में होते हैं, उदाहरणार्थ- फोटोग्राफ, रेखाचित्र, चित्र आदि। प्रयोज्य को प्रस्तुत उत्तेजक सामग्री में से अपने उत्तरों का चुनाव करना होता है। इस प्रकार की प्रश्नावली का प्रयोग विशेष रूप से अशिक्षित एवं उन व्यक्तियों के लिए जो भिन्न भाषायी होते हैं या छोटे बालकों के लिए किया जाता है।
प्रश्नावली विधि की सीमाएँ (Limitations of Questionnaire Methods)
प्रश्नावली विधि की सीमाएँ निम्नलिखित हैं-
1) केवल उच्च स्तर के शिक्षित व्यक्तियों का अध्ययन (Study of Only Highly Educated Persons) – प्रश्नावली विधि का प्रयोग केवल उच्च स्तर के शिक्षित व्यक्तियों पर ही साध्य है। अशिक्षित व्यक्तियों पर इसका प्रयोग सम्भव नहीं है। साथ ही प्रश्नावली को भरने के लिए पर्याप्त शिक्षा की आवश्यकता होती है। अतः इसके अध्ययन का क्षेत्र पर्याप्त संकुचित होता है।
2) पक्षपातपूर्ण प्रतिचयन (Biased Selection) – प्रश्नावली द्वारा प्रतिदर्श के पक्षपातपूर्ण रहने के दो कारण होते हैं-
i) जब अध्ययन में केवल उच्च स्तर के शिक्षित व्यक्तियों को ही सम्मिलित किया जा सकता है। तब इससे अध्ययन अपनी समष्टि का पूर्णतः प्रतिनिध्यात्मक नहीं रह पाता।
ii) यदि उच्च स्तर के शिक्षित व्यक्त्तियों का चयन यादृच्छिकृत प्रतिचयन के आधार पर किया भी जाता है, तब भी प्रतिदर्श का स्वरूप प्रतिनिध्यात्मक नहीं रहने पाता क्योंकि प्रश्नावली के उत्तर भरकर उसे लौटाने वालों की संख्या कम ही रहती है। अतः प्रश्नावली के न्यून लौटाने से प्रतिदर्श का स्वरूप पक्षपातपूर्ण हो जाता है।
3) सार्वभौमिक प्रश्नों की रचना में कठिनाई (Difficulty in Formulating Universal Questions)- प्रश्नावली का उपयोग प्रायः विस्तृत समष्टि के अध्ययन में किया जाता है, है, जिनमें विभिन्न भाषाओं वाले समूह समाहित रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों के लिए एक भाषा में प्रश्नावली की रचना अनिवार्यतः अपर्याप्त रहती है, दूसरे विभिन्न शब्दों व पदों के विभिन्न स्थानीय क्षेत्रों में प्रायः विभिन्न अर्थ रहते हैं। अतः ऐसे सार्वभौमिक प्रश्नों की रचना करना अति कठिन रहता है जिनका समस्त शिक्षित व्यक्ति एक समान अर्थ ही लगाएँ।
4) अधिकांश उत्तरों का अपर्याप्त रूप में उपलब्ध होना (Inadequate Availability of Most Answers)- प्रश्नावली के द्वारा अध्ययन के अधिकतर अपर्याप्त उत्तर उपलब्ध होते हैं, इससे प्रायः कुछ कारण रहते हैं- प्रश्नों का कठोर रहना, प्रश्नों के अर्थ समझने में भाषा सम्बन्धी कठिनाई, उत्तर देने में संवेगात्मक रस का अभाव संकुचित व संक्षिप्त उत्तर, आधुनिक व्यक्ति का अतिं व्यस्त होना तथा विस्तृत लिखित जानकारी देने के प्रति उदासीन होना।
5) गहन तथा सतत् अध्ययन के लिए अनुपयुक्त (Inappropriate for Intensive and Continued Study) – प्रश्नावली द्वारा अध्ययन का स्वरूप एक प्रकार से औपचारिक अवैयक्तिक तथा यान्त्रिक ही रहता है। इसमें व्यक्तिगत सम्पर्क तथा उत्तर देने में संवेगात्मक रसपान का अभाव रहता है। अतः इसके द्वारा गहन अध्ययन साध्य नहीं रहता, दूसरे प्रश्नावली से एक समस्या का जब बार-बार अध्ययन किया जाता है, तब सम्बन्धित व्यक्ति इसके उत्तर देने में ऊब जाते हैं और एक या दो बार से अधिक उत्तर देने से बचने का जानबूझकर प्रयास करने लगते हैंवास्तव में अनुसूची जैसी प्रश्नावली में कुछ गुण अवांछनीय भी हो सकते हैं।