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लागत- पत्र की परिभाषा, विशेषताएँ एवं लाभ | लागत विवरण एवं लागत-पत्र में अन्तर

लागत- पत्र को परिभारिता कीजिए। इसकी विशेषताएँ एवं लाभ
लागत- पत्र को परिभारिता कीजिए। इसकी विशेषताएँ एवं लाभ

लागत- पत्र की परिभाषा

लागत (Cost Sheet) – अर्थ (Meaning) – लागत-पत्र एक ऐसा पत्र होता है जो वस्तु के उत्पादन से सम्बन्धित व्यवों को इस प्रकार व्यवस्थित और क्रमबद्ध रूप में प्रस्तुत करता है कि हमें एक निश्चित समयावधि में उत्पादित वस्तु इकाइयों को कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत ज्ञात हो सके। इसकी परिभाषाएँ कुछ विद्वानों द्वारा दी गयी है जो निम्नलिखित है-

1. श्री जे. आर. बाटलीबॉय के अनुसार, “एक लागत पत्र एक सारणीयुक्त विवरण है जो एक निश्चित अवधि के कुल उत्पादन की विस्तृत लागत दर्शाने के लिए तैयार किया जाता है। यह दोहरा लेखा लागत खातों का अंग नहीं होता। इसमें प्रायः वर्तमान लागत का पिछली अवधि की लागत से तथा गत वर्ष की तत्सम्बन्धी लागत से तुलना करने के लिए अतिरिक्त खाने भी होते हैं।”

2. श्री वाल्टर डब्ल्यू. बिग के अनुसार, “व्यय जो किसी अवधि के उत्पादन पर किया जाता है, वित्तीय पुस्तकों तथा सामग्री अभिलेखों से प्राप्त कर लिया जाता है और एक ज्ञापन विवरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यदि यह विवरण केवल उस अवधि में निर्मित इकाइयों की लागत ही दर्शाता है तो इसे लागत-पत्र कहते है।”

लागत- पत्र की विशेषता-

लागत-पत्र की उपरोक्त परिभाषाओं के विश्लेषण से इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ सामने आती है-

  1. यह एक ऐसा विवरण पत्र है जो सारणी के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
  2. इससे किसी निश्चित अवधि के कुल उत्पादन तथा उसके विभिन्न अंग प्रदर्शित होते है।
  3. इससे उत्पादन की इकाइयों की प्रति इकाई लागत की भी जानकारी होती है।
  4. इससे इस बात का भी स्पष्टीकरण होता है कि प्रति इकाई लागत में किन-किन मदों का योगदान है।
  5. इसके अन्तर्गत निर्मित माल (Finished Goods) के स्टॉक तथा बिक्री एवं लाभ नहीं दिखाये जाते है।
  6. तुलना के उद्देश्य से इसके अन्तर्गत विगत अवधि के उत्पादन से सम्बन्धित संख्याएँ भी दिखायी जा सकती है।
लागत- पत्र के लाभ (Advantages of Cost-sheet)

लागत- पत्र के मुख्य लाभ निम्नलिखित हैं-

  1. इससे उत्पादन की कुल लागत तथा प्रति इकाई लागत की जानकारी होती है।
  2. इससे प्रति इकाई लागत में विभिन्न व्ययों के भाग की जानकारी होती है।
  3. इससे विक्रम मूल्य के निर्धारण में सहायता मिलती है।
  4. इसके आधार पर निविदा मूल्य (Quotation Price) की गणना सरल ढंग से की जा सकती है।
  5. इसके लागत नियन्त्रण किया जाता है।
  6. इसकी तुलना प्रमाणित लागत से कर अपव्यय एवं बर्बादी को रोका जा सकता है।
  7. इससे उपभोक्ताओं सस्ती वस्तुएँ उपलब्ध करायी जा सकती है।
  8. इससे उत्पादकों की आय में वृद्धि की जा सकती है।
  9. प्रतिस्पर्द्धा के समय इससे व्ययों को कम किया जा सकता है।
  10. इससे व्यवसायिक अकुशलता को रोका जा सकता है।
लागत विवरण एवं लागत- पत्रक में अन्तर (Difference Between Statement of Cost And Cost-Sheet)

1. लागत विवरण के अन्तर्गत केवल कुछ लागत को ही दिखाया जाताहै, जबकि लागत पत्रक के अन्तर्गत उत्पादन को कुल मात्रा, कुल लागत एवं उत्पादन लागत के प्रत्येक अंग की प्रति इकाई लागत दिखायी जाती है।

2. यदि प्रश्न में उत्पादन की मात्रा नहीं दी गई हो तो लागत विवरण बनाना उपयुक्त समझा जाता है। दूसरी ओर, लागत- पत्रक उसी स्थिति में बनाया जाता है जबकि प्रश्न में उत्पादन की मात्रा दी गई होती है।

3. लागत विवरण के द्वारा दो अवधियों की लागत के बीच तुलनात्मक अध्ययन सम्भव नहीं होता है, जबकि लागत पत्रक के द्वारा दो अवधियों व दो उत्पादकों का तुलनात्मक अध्ययन सम्भव है।

4. लागत विवरण में लागत के विभिन्न अंगों के पारस्परिक प्रतिशत एवं अनुपात विस्तार से नहीं दर्शाये जा सकते, जबकि लागत-पत्रक में लागत के विभिन्न अंगों के पारस्परिक प्रतिशत एवं अनुपात दर्शाये जाते हैं।

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Anjali Yadav

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