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ठेका लागतन लेखांकन एवं ठेका खाता से क्या आशय है? ठेका खाता तैयार करने की विधि बताइये ठेका से सम्बन्धित डेबिट क्रेडिट मदों का विश्लेषण कीजिए।
ठेका लागत लेखाकंन (Contract Cost Accounting)- ठेकेदार ठेका लागत की उत्तर विस्तृत जानकारी हेतु एक खाता बही रखते है जिसमें प्रत्येक ठेके के लिए पृथक् खाता खोला जाता है। सामान्यतया एक पृष्ठ पर एक ही ठेक से समबन्धित खाता रखा जाता है तथा उसमें उस ठेक से सम्बन्धित सभी व्यय प्राप्तियाँ, हानि, लाभ आदि का लेखा किया जाता है। वर्ष के अन्त में लाभ-हानि की गणना की जाती है और जिसे लाभ-हानि खाता में हस्तान्तरित कर दिया जाता है। ठेका खाताबही (Contract Ledger) या तो जिल्दबार रजिस्टर के रूप में रखा जाता है या फिर खूले पन्ने में यदि विभिन्न ठेकों से सम्बन्धित खानों में भिन्नता रखना आवश्यक हो तो ठेका खाताबड़ी का खुले पन्नों में रखा जाना अधिक उपयुक्त समझा जाता है। दूसरी ओर, खानों में समानता रखने पर जिल्दबार रजिस्टर का रखा जाना उपयुक्त होता है।
ठेका खाता (Contract Account)- ठेकेदार प्रत्येक ठेके के लिए खाताबही में एक पृथक खाता खोलता है जिसे ठेका खाता कहते हैं। इस खाते पर ठेका नम्बर, कार्य-स्थल, ठेका मूल्य आदि का उल्लेख रहता है। इसके नाम पक्ष (Debit Side) में ठेक सम्बन्धित व्ययों का लेखा होता है तथा इसके जमा पक्ष (Credit Side) में ठेका मूल्य व चालू कार्य (Work-in-Progress) आदि के मूल्य का लेखा होता है।
ठेका खाता तैयार करने की विधि (Method for the Preparation of Contract Account)
ठेका खाता के डेबिट पक्ष में प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष मजदूरी, प्रत्यक्ष व्ययों व अप्रत्यक्ष व्ययों को दिखाया जाता है। यदि कोई प्लाण्ट किसी एक ही ठेका खाता में प्रयुक्त होता है तो इसके पूरे मूल्य को इसके खाते के डेबिट में दिखाया जाता है किन्तु यदि कोई प्लाण्ट एक से अधिक टेका में प्रयुक्त होता है तो केवल ह्रास की रकम ही आनुपातिक ढंग से इस खाते के डेबिट में दिखायी जाती है। ध्यान रहे, ऐसी स्थिति में प्लाण्ट की लागत को नहीं दिखाया जाता है।
ठेके का कार्य समाप्त हो जाने पर ठेके के मूल्य से ठेकेदाता के व्यक्ति खाते (Personal A/c of Contractect) के नाम लिखकर ठेका खाता क्रेडिट कर दिया जाता है। इसके अलावा अन्त में शेष सामग्री व प्लाण्ट का मूल्यांकन करके उनके मूल्य से टेके खाते को क्रेडिट किया जाना है। इस प्रकार ठेका कार्य पर लाभ या हानि ज्ञात हो जाती है।
समय-समय पर शिल्पाकार (Architect) ठेके की जाँच करके ठेकेदार को पूरे किये गये कार्य का प्रमाण पत्र देते रहते है। इन प्रमाण-पत्रों के ही आधार पर ठेकेदार को ठेकादाता ( Contractee ) म अग्रिम धनराशि (Advance Money) प्राप्त होती रहती है। यह राशि प्रमाणित कार्य का एक निश्चित प्रतिशत होती है, जैसे- 75%, 80%, या 90% आदि। प्रमाणित कार्य की पूरी राशि की अदायगी इसलिए भी नहीं की जाती है कि कहीं ठेकेदार बीच में ही अधूरा काम न छोड़ दे। अतः ठेकाद्यता द्वारा प्रमाणित कार्य के मूल्य का 10% या 20% धनराशि रोक ली जाती है जिस प्रतिधारणा धन (Retention Money) कहते हैं। जो राशि ठेकादाता (Contractee) से प्राप्त होती है, उसे बैंक खाते में डेबिट तथा ठेकादाता के व्यक्ति खाते में क्रेडिट किया जाता है। अनः इस प्रविष्टि का ठेका खाता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ठेका पूरा होने पर ठेका मूल्य म ठेकादाना का खाना डेबिट तथा ठेका खाता क्रेडिट किया जाता है। अन्त मे, ठेकादाता से शेष धनराशि प्राप्त कर उसका खाता बन्द कर दिया जाता है।
ठेके खातों से सम्बन्धित विभिन्न मदों का स्पष्टीकरण (Explanation of Various Items Concerned With Contract Accounts)
(A) ठेका खाता के डेबिट पक्ष की मदें (Items of Debit Side of Contract Account
(1) सामग्री (Materials)- प्रत्येक ठेके के लिए प्रयुक्त सामग्री ठेके की प्रमुख लागत होती है। अतः टंक के लिए प्रयुक्त सकल सामग्री (Gross Material) को ठेके खाते के डेबिट की और दिखाया जाता है। टंक में प्रयुक्त सामग्री निम्नलिखित श्रोतों से प्राप्त हो सकती है-
- ठेकेदार के अपने स्टार्स से सामग्री का निर्गमन,
- बाजार में क्रय करक
- अन्य टंकों से हस्तान्तरित करके।
( 2 ) प्रत्यक्ष मजदूरी (Direct Wages )- कार्य-स्थल पर लगे हुए श्रमिकों क मजदूरी प्रत्यक्ष मजदूरी कहलाती है। मजदूरी की इस रकम को भी ठेका खाता के पक्ष (Dr.) में दिखाया जाता है यदि अवधि पूरी हो गयी हो और मजदूरी की कोई राशि अदत्त (Outstanding) हो तो इसे भी ठेका खाता के पक्ष में दिखाया जाता है। यदि ठेकेदार का एक साथ कई ठेकों का कार्य चल रहा हो तो पारिश्रमिक संक्षिप्ति (Wages Abstract) समय एवं उपकार्य प्रपत्रों की सहायता से प्रत्येक ठेके की प्रत्यक्ष श्रम लागत का ज्ञान प्राप्त करके उससे सम्बन्धित ठेके खाते को नाम (Debit) किया जाता है।
( 3 ) प्रत्यक्ष व्यय ( Direct Expenses)- सामग्री तथा श्रम के अलावा ठेके के सम्बन्ध में अन्य प्रत्यक्ष यय होते हैं, जैसे- नक्शा बनाने का खर्च, ठेके सम्बन्धी वैधानिक व्यय, ठेका के सर्वेक्षण सम्बन्धी व्यय, ठेका प्राप्त करने के यय, ढुलाई व्यय, ठेका सम्बन्धी आने-जाने के व्यय तथा यंत्रों का किराया आदि। इन समस्त व्ययों को भी ठेका खाता के नाम पक्ष में दिखाया जाता है। इनसे सम्बन्धित अदत्त (Outstanding) व्ययों को भी डेबिट में दिखाया जाता है।
( 4 ) अप्रत्यक्ष व्यय (Indirect Expenses )- वे व्यय जिनका सम्बन्ध अनेक ठेकों से होता है, अप्रत्यक्ष व्यय के अन्तर्गत आते हैं, जैसे- निरीक्षकों का वेतन, प्रबन्धन का वेतन, कार्यालय सम्बन्धी व्यय, इंजीनियरों तथा तकनीशियन का वेतन आदि। इन व्ययों का विभाजन एक समुचित आधार पर करके ठेका खातों के डेबिट में दिखाया जाता है।
(5) संयन्त्र एवं मरीन तथा ह्रास (Plant Machinery And Depreciation ) प्रत्येक ठेका में संयंत्र और मशीन का प्रयोग होता है। जब किसी ठेके के लिए इनका निर्गमन होता है तो इनकी लागत से ठेका खाता को डेविट किया जाता है। वर्ष के अन्त में संयन्त्र की लागत से ह्रास की राशि को घटाकर शेष राशि को ठेका खाता में क्रेडिट में दिखाया जाता है। यदि किसी संयन्त्र का प्रयोग विभिन्न ठेकों में किया जाता है तो ऐसी स्थिति में अपातिकतः केवल ह्रास की रकम को ही ठेका खाता के नाम किया जाता है अर्थात् न तो ठेका खाता के डेबिट में प्लाण्ट को लागत मूल्य पर दिखाया जाता है और न ही हासित मूल्य को ठेका खाता में क्रेडिट में दिखाया जाता है। जो प्लाण्ट स्टोर को वापस किया जाता है, उस पर भी ह्रास घटाकर शेष राशि को क्रेडिट में दिखाया जाता है। यदि बेचे गये प्लाण्ट की तिथि नहीं दी हो तो उस पर ह्रास चार्ज नहीं करेंगे।
(6) प्लाण्ट की बिक्री पर लाभ व हानि (Profit or Loss on Sale of Plant) यदि प्लाण्ट के किसी भाग को बेचने से लाभ होता है तो बिक्री से प्राप्त मूल्य को ठेका खाता के क्रेडिट में तथा लाभ की राशि को ठेका खाता के डेबिट में प्लाण्ट की बिक्री पर लाभ के रूप में तथा हानि को ठेका खाता के जमा पक्ष (Cr. Side) में दिखाया जायेगा।
( 7 ) उप-ठेका लागत (Sub-contract Cost)- जब ठेकेदार ठेके के एक भाग को अथवा ठेका सम्बन्धी किसी कार्य को अन्य व्यक्ति को ठेके पर दे देता है तो उस पर जो व्यय करना होता है, उसे उप-ठेका लागत कहते है। इस लागत से भी ठेका खाता को डेबिट किया जाता है।
(8) अतिरिक्त कार्य का व्यय (Expenses of Extra Work)- यदि ठेका के मूल्य कार्य के अलावा ठेकेदार को ठेकादाता से कोई अन्य कार्य अतिरिक्त भुगतान देकर करने के लिए कहा जाता है तो उस अतिरिक्त कार्य पर किये गये सम्पूर्ण व्यय को भी ठेका खाता के डेबिट में दिखाया जाता है, साथ ही उससे प्राप्त अतिरिक्त धन को ठेका खाता के क्रेडिट में दिखाया जाता है जिसे बाद में लाभ-हानि खाता में ले जाया जाता है।
(9) सामग्री के विक्रय पर लाभ (Profit on Sale of Materials)- यदि ठेके के लिए क्रय की गयी सामग्री का प्रयोग ठेका में नहीं करके उसे लाभ पर बेच दिया जाय तो प्राप्त राशि को ठेका खाता के क्रेडिट में दिखाया जायेगा तथा लाभ की राशि को ठेका खाता के डेबिट में, सामग्री की बिक्री पर लाभ के रूप में दिखाया जायेगा।
(10) सम्भावित व्ययों के लिए आयोजन (Provision for Contingencies)- कभी-कभी ठेका का कार्य पूरा हो जाने के बाद भी ठेका मूल्य का पूर्ण अथवा आंशिक भुगतान कुछ समय तक कार्य की जाँच करने के बाद किया जाता है। इस अवधि में होने वाले सम्भावित व्ययों के लिए आयोजन करने के बाद ही शेष राशि को लाभ माना जा सकता है। अतः आयोजन की इस राशि को भी ठेका खाता के डेबिट में दिखाया जाता है।
( 11 ) चालू कार्य का प्रारम्भिक मूल्य (Opening Value of work-in Progress) – यदि ठेका खाता विगत कई वर्षो से चालू है तो नये वर्ष में सर्वप्रथम प्रारम्भिक चालू कार्य (Opening Work-in-Progress) की राशि ठेका खाता में डेबिट की जायेगी। इससे गत वर्ष तक का कुल व्यय तथा उस पर गत वर्ष तक माना गया लाभ का योग लिखा जायेगा। उदाहरण के लिए, यदि गत वर्ष तक किसी ठेके पर 1:50,000रु. व्यय किया जा चुका था तथा 25,000 रु. उस पर लाभ मानकर लाभ-हानि खाता ने हस्तान्तरित किया जा चुका था जोकि उपरोक्त राशि में शामिल नहीं है तो प्रारम्भिक चालू कार्य मूल्य 1,75,000 रु. होगा और जिसे ठेका खाता में डेबिट किया जायेगा।
(B) ठेका खाता के क्रेडिट पक्ष की मदें (Items of Credit Side of Contract Account)-
ठेका खाता के क्रेडिट पक्ष की मदें दो बातों पर निर्भर करती हैं-
(1) ठेका पूर्ण होने पर तथा ठेका अपूर्ण होने पर
(I) जब ठेका पूर्ण हो गया हो (When Contract is Completed)
(1) ठेका मूल्य (Contract Price)- यदि ठेका पूर्ण हो गया हो तो ठेका मूल्य (Contract Price) ठेका खाता में क्रेडिट किया जाता है। इसके लिए ठेका खाता के क्रेडिट पक्ष में ठेकादाता (Contractee) के व्यक्तिगत खाते का नाम लिखा जायेगा और उसी राशि से ठेकेदाता (Contractee) का खाता डेबिट किया जायेगा ध्यान रहे, अपूर्ण ठेका की स्थिति में ठेका मूल्य का प्रयोग ठेका खाता में नहीं किया जाता है।
(2) शेष सामग्री (Balance of Material)- ठेका का कार्य समाप्त हो जाने पर यदि सामग्री शेष हुई हो तो इसे ठेका खाता के क्रेडिट में दिखाया जाता है।
(3) सामग्री की वापसी (Return of Materials) – ठेके से जो सामग्री विक्रेता अथवा स्टोर को वापस की जाती है, उसे भी ठेका खाता में क्रेडिट किया जाता है।
(4) स्थानान्तरित सामग्री (Materials Transferred)- जो सामग्री दूसरे ठेका को स्थानान्तरित कर दी जाती है, उसे भी ठेका खाता के क्रेडिट में दिखाया जाता है।
( 5 ) सामग्री की बिक्री (Sale of Materials)- जो सामग्री ठेका के लिए क्रय की गयी हो किन्तु ठेका में उसका प्रयोग नहीं किया गया हो तो उसे भी ठेका खाता के क्रेडिट पक्ष में दिखाया जायेगा। हाँ, यदि सामग्री लाभ पर बेची गयी हो तो बिक्री से प्राप्त राशि को ठेका खाता के क्रेडिट में दिखाया जायेगा। साथ ही लाभ की राशि को डेबिट पक्ष में दिखाया जायेगा। इसी में प्रकार यदि सामग्री को बेचने से हानि हुई हो तो इसे ठेका खाता के क्रेडिट पक्ष में लाभ-हानि खाता में हस्तान्तरित करके दिखाया जायेगा। यदि किसी प्लाण्ट एंव मशीन (ठेका से सम्बन्धित) को लाभ अथवा हानि पर बेचा गया हो तो इसके अनुरूप लेखा किया जायेगा।
(6) प्लाण्ट एवं मशीन की वापसी (Return of Plant and Machinery)- ठेका कार्य समाप्त होने पर अथवा कार्य के मध्य में ही प्लाण्ट एवं मशीन को ठेका स्थल से लौटा दिया जाता है तो उसके मूल्य में ह्रास की राशि घटाकर शेष राशि को ठेका खाता में क्रेडिट किया जाता है।
(7) सामग्री व संयन्त्र के नष्ट होने पर हानि (Loss on Loss of Material and Plant etc.) – यदि कार्य-स्थल (Site) पर पड़ी हुई सामग्री या प्लाण्ट दुर्घटना, अग्नि या चोरी से नष्ट हो जाती है तो इन्हें ठेका का व्यय नहीं माना जाता है क्योंकि जब ये साइट पर भेजे गये होंगे, तब अवश्य ही डेबिट किये गये होंगे। अतः इन्हें ठेका खाता के क्रेडिट में दिखाया जाता है। हाँ. इस खाता को लाभ-हानि खाता के अन्तर्गत हानि की भाँति डेबिट में दिखाया जायेगा।
(II) जब ठेका अपूर्ण हो (When Contract is Incomplete)
( 1 ) चालू कार्य (Work-in-Progress)- यदि ठेकेदार के वित्तीय वर्ष के अन्त तक ठेका कार्य पूरा नहीं हो पाता है तो उस तिथि तक किया गया कार्य चालू कार्य कहलाता है। चालू कार्य का मूल्य ठेका खाता के क्रेडिट पक्ष में दिखाया जाता है जिससे पूरा किया गया कार्य पर लाभ-हानि की सही-सही जानकारी हो सके। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित मदों को शामिल किया जाता है-
- प्रमाणित कार्य का मूल्य (Cost of Work Certified)
- अप्रमाणित कार्य का मूल्य (Cost of Work Uncertified)
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