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टोली शिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा | टोली शिक्षण की विशेषताएँ | टोली शिक्षण के उद्देश्य

टोली शिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा | टोली शिक्षण की विशेषताएँ | टोली शिक्षण के उद्देश्य
टोली शिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा | टोली शिक्षण की विशेषताएँ | टोली शिक्षण के उद्देश्य

टोली शिक्षण अथवा कोर शिक्षण क्या है ? टोली शिक्षण के उद्देश्य एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

टोली शिक्षण का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning and Definition of Team Teaching)

इस प्रविधि का विकास सर्वप्रथम 1955 में हॉबर्ड विश्वविद्यालय में हुआ। इसके बाद यह प्रत्यक्ष 1960 में ब्रिटेन में पहुँचा। ब्रिटेन में इसका विकास जे. फ्रीमेन ने किया। धीरे-धीरे इसका प्रयोग स्कूलों और कॉलेजों में किया जाने लगा। शिकागो विश्वविद्यालय के फासिस चेज ने टोली शिक्षण (Team Teaching) का प्रयोग प्रभावशाली शिक्षण के लिए किया।

कॉलेजों में सफल प्रयोग के बाद टोली शिक्षण का प्रयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सेना के प्रशिक्षण के लिए किया जाने लगा। भारत में इस प्रत्यय का प्रयोग किया जाने लगा, लेकिन इसकी सफलता पर सन्देह भी किया जा रहा है।

टोली शिक्षण को विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न प्रकार से परिभाषित किया है-

डेविड वारविक (David Warwick) के अनुसार, “टोली शिक्षण, संगठन का एक स्वरूप है जिसमें कई शिक्षक अपने साधनों, रुचियों तथा दक्षताओं को इकट्ठा कर लेते हैं तथा विद्यार्थियों की आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षकों की एक टोली द्वारा उन्हें प्रस्तुत किया जाता है और स्कूल की सुविधाओं के अनुसार उपयोग किया जाता है।”

कार्लो-ऑलसन (Carlo-Olson) की विस्तृत परिभाषा के अनुसार टोली शिक्षण इस प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है- “एक अनुदेशनात्मक परिस्थिति जहाँ पर दो या अधिक शिक्षक, शिक्षण-कौशलों से युक्त एक-दूसरे के सहयोग से योजना बनाकर विद्यार्थियों के एक ही समूह पर इनको लागू करते हैं और विशिष्ट प्रकार के अनुदेशन के लिए लचीली सामूहीकरण प्रविधि का प्रयोग करते हैं।”

एक अन्य परिभाषा के अनुसार, “यह एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें दो या अधिक अध्यापक, सहायक सामग्री के साथ या उसके बिना मिलकर योजना बनाते हैं, एक या अधिक कक्षा-समूहों को उपयुक्त अनुदेशनात्मक स्थान और अवधि के अनुसार निर्देश देते हैं और मूल्यांकन करते हैं ताकि टोली के सदस्यों की विशिष्ट योग्यताओं का लाभ उठाया जा सके।”

उपरोक्त परिभाषाओं के संदर्भ में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि टोली शिक्षण व्यवस्था एक स्वरूप है। टोली शिक्षण में भाग लेने वाले शिक्षक अपनी-अपनी क्रियाएँ स्वयं निर्धारित करते हैं। इसके अतिरिक्त शिक्षक सभी साधनों, रुचियों और दक्षताओं को इकट्ठा करते है। इस प्रकार टोली शिक्षण, शिक्षण की एक सुव्यवस्थित प्रणाली है जिसमें कई शिक्षक मिलकर विद्यार्थियों के एक समूह को अनुदेशन (Instruction) प्रदान करते हैं। सामान्यतः इसमें दो या दो से अधिक शिक्षक भाग लेते हैं। ये शिक्षक, शिक्षण की योजना और उसका कार्यान्वयन विद्यार्थियों के समूह के लिए मिलकर करते हैं। टोली शिक्षण में शिक्षण विधियों की योजना, समय के तथा प्रक्रिया लचीली रखी जाती है, ताकि शिक्षण के उद्देश्यों के अनुसार और शिक्षकों की योग्यता के अनुसार टोली शिक्षण के कार्यक्रम में आवश्यक परिवर्तन किये जा सकें।

संक्षेप में, टोली शिक्षण अनुदेशनात्मक व्यवस्था का वह स्वरूप है जिसमें वे शिक्षक और विद्यार्थी संलिप्त होते हैं, जो उन्हें सौंपे जाते हैं, जिसमें दो या अधिक अध्यापकों में इकट्ठे कार्य करने का उत्तरदायित्व दिया जाता है और यह उत्तरदायित्व विद्यार्थियों के एक ही समूह को सम्पूर्ण अनुदेशन देने के लिए या उस अनुदेशन के महत्त्वपूर्ण भाग के लिए होते हैं।

टोली शिक्षण की विशेषताएँ (Characteristics of Team-Teaching)

टोली- शिक्षण की विभिन्न परिभाषाओं के विश्लेषण के परिणामस्वरूप टोली शिक्षण की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरकर सामने आती हैं-

  1. टोली- शिक्षण, शिक्षण विधि मानी जाती है।
  2. इस प्रकार के कार्य में दो या दो से अधिक शिक्षक शिक्षण कार्य में भाग लेते हैं।
  3. टोली- शिक्षण में संलिप्त शिक्षक, शिक्षण की योजना मिलकर बनाते हैं तथा उसे लागू भी मिलकर ही करते हैं। इसके अतिरिक्त मूल्यांकन कार्य भी मिलकर ही किया जाता है।
  4. टोली- शिक्षण सहकारिता (Co-operation) पर आधारित है। टोली-शिक्षण में भाग लेने वाले सभी शिक्षक अपने-अपने साधनों, योग्यताओं तथा अनुभवों को इकट्ठा करने का प्रयास करते हैं।
  5. टोली शिक्षण प्रक्रिया में स्कूल तथा विद्यार्थियों की आवश्यकताओं तथा उपलब्ध साधनों को ध्यान में अवश्य रखा जाता है।
  6. टोली शिक्षण का मुख्य उद्देश्य शिक्षण-अधिगम (Teaching-Learning) को प्रभावी बनाना होता है।
  7. टोली-शिक्षण के दौरान एक विषय के किसी एक प्रकरण (Topic) के विभिन्न पक्ष को एक-एक करके क्रम में दो से अधिक शिक्षक पढ़ाते हैं।
  8. टोली-शिक्षण में शिक्षकों की दूसरे शिक्षकों से दूरी भी दूर हो जाती है।
  9. टोली शिक्षण की योजना लचीली होती है।
  10. टोली-शिक्षण में शिक्षक का उत्तरदायित्व एक ही शिक्षक का न होकर सम्पूर्ण टोली का होता है अर्थात् यह विधि सामूहिक उत्तरदायित्व पर आधारित है।
  11. टोली-शिक्षण अनुदेशन परिस्थितियों को उत्पन्न करने की एक प्रविधि हैं।
  12. टोली शिक्षण में शिक्षक अपनी क्रियाओं को स्वयं निर्धारित करते हैं।

टोली शिक्षण के उद्देश्य (Objectives of Team Teaching)

टोली-शिक्षण के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

  1. शिक्षक-वर्ग में आकर्षक योग्यताओं, दक्षताओं और उनकी रुचियों का सर्वोत्तम उपयोग करना ।
  2. विद्यार्थियों के सामूहीकरण में लचीलेपन को बढ़ाना। इसके अन्तर्गत विद्यार्थियों का विषय में उनकी रुचियों और अभिरुचियों के अनुसार सामूहीकरण (Grouping) किया जाता है।
  3. अनुदेशन की गुणवत्ता में वृद्धि करना।
  4. विद्यार्थियों की रुचियों तथा क्षमताओं के अनुसार कक्षा-शिक्षण को प्रभावशाली बनाना।

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Anjali Yadav

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