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इतिहास कक्ष का महत्त्व |  इतिहास-कक्ष की साज-सज्जा या सामग्री

इतिहास कक्ष का महत्त्व |  इतिहास-कक्ष की साज-सज्जा या सामग्री
इतिहास कक्ष का महत्त्व |  इतिहास-कक्ष की साज-सज्जा या सामग्री

“एक अच्छा संगठित एवं सुव्यवस्थित इतिहास कक्ष, इतिहास के अध्ययन में सौन्दर्य और महत्ता बढ़ाता है।” टिप्पणी कीजिए।

इतिहास कक्ष का महत्त्व

पहले लोगों का विचार था कि इतिहास शिक्षण हेतु किसी विशेष प्रकार के कक्ष की आवश्यकता नहीं है, परन्तु अब यह मान्यता है कि इतिहास एक विज्ञान है। जैसे विज्ञान के शिक्षण हेतु प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है, वैसे ही इतिहास शिक्षण के लिए इतिहास कक्ष आवश्यक एवं उपयोगी होता है, क्योंकि इतिहास का अध्यापक एक वैज्ञानिक विषय का शिक्षण करता है, इसलिए उसके लिए विशेष कक्ष का होना बहुत ही जरूरी होता है। इतिहास कक्ष की अनुपस्थिति में इतिहास शिक्षण प्रभावशाली नहीं हो सकता।

आधुनिक युग में इतिहास शिक्षण में विभिन्न उपकरणों एवं साधनों को अपनाया जा रहा है। यदि इतिहास कक्ष में समस्त उपकरण नहीं होंगे और अलग से इतिहास कक्ष की व्यवस्था नहीं होगी तो शिक्षण कार्य अधूरा रह जाता है। इतिहास शिक्षण के लिए अनुकूल वातावरण पैदा करने के लिए और छात्रों की कल्पनाशक्ति के विकास के लिए इतिहास कक्ष का होना अतीव आवश्यक है। इतिहास कक्ष होने से छात्र विषय का समुचित आदर करते हैं और इतिहास के अध्ययन को गम्भीरतापूर्वक महत्त्व प्रदान करते हैं। इस कारण इतिहास-शिक्षण में इतिहास कक्ष विशेष रूप से उपयोगी है।

 इतिहास-कक्ष की साज-सज्जा या सामग्री

साधारणतया इतिहास कक्ष में निम्नलिखित वस्तुओं की व्यवस्था की जानी चाहिए-

1. प्रायोगिक कार्य हेतु मेजें- इतिहास कक्ष में प्रयोग कार्य के लिए मेजें होनी चाहिए। ये मेजें कक्ष के एक सिरे पर रखी जानी चाहिए। मेजों का प्रयोग छात्र चित्रों को बनाने, मानचित्र बनाने और मॉडल स्मारकों आदि को बनाने के लिए करते हैं।

2. श्यामपट्ट – इतिहास कक्ष में एक श्यामपट्ट होना चाहिए, जिसकी लम्बाई 10 फीट और चौड़ाई 4 फीट होनी चाहिए। श्यामपटूट कई भागों में बँटा होना चाहिए। एक भाग में भारत के मानचित्र की रूपरेखा अंकित होनी चाहिए। दूसरे भाग में राष्ट्रीय इतिहास की सूची होनी चाहिए जिसमें वंशों की रेखाएँ उनके प्रसिद्ध व्यक्तियों के नाम एवं मुख्य घटनाओं का कालक्रमानुसार उल्लेख होना चाहिए। इस भाग का प्रयोग अध्यापक चाक से स्वयं लिखवाने के लिए कर सकेगा। श्यामपट्ट पर सीधा प्रकाश नहीं पड़ना चाहिए, जिससे चमक उत्पन्न न हो सके और छात्र श्यामपट्ट को आसानी से देख सकें।

3. आलमारियाँ – इतिहास कक्ष में आलमारियों की भी व्यवस्था होनी चाहिए। यदि आलमारी दीवार में होगी तो स्थान की बचत हो जायेगी। इन आलमारियों की लम्बाई, चौड़ाई, पर्याप्त होनी चाहिए, जिसमें उन पुस्तकों को रखा जा सके जो वहाँ पर उपलब्ध हैं।

4. प्रदर्शन केस- इतिहास कक्ष में ऐतिहासिक वातावरण उत्पन्न करने के लिए एक प्रदर्शनात्मक केस भी होना चाहिए जो बहुत ही आवश्यक होता है। दीवार के किनारे-किनारे शीशे का एक प्रदर्शन केस होना चाहिए जिसमें प्रतिरूप, सिक्के, मूर्तियाँ और अन्य ऐतिहासिक सामग्री रखा जा सके।

5. चित्र प्रसारक यन्त्र (मैजिक लैटर्न) – कक्ष की पिछली दीवार के पास एक मैजिक लैटर्न या चित्र प्रसारक यन्त्र लगा रहना चाहिए और उसके चित्र दिखलाने के लिए एक पर्दा रहना चाहिए। कमरे के सभी दरवाजों पर काले रंग के या गहरे रंग के परदे लगे रहने चाहिए।

6. एक अन्य श्यामपट्ट- कक्ष की पिछली दीवार पर बाहर की ओर एक छोटा श्यामपट्ट होना चाहिए, जिसमें ऐतिहासिक लेख या चित्र चिपकाये जाने चाहिए। ये चित्र छात्रों द्वारा बनाये गये या पत्र-पत्रिकाओं से काटकर लिये गये हो सकते हैं।

7. रेडियो – इतिहास कक्ष में रेडियो रखने का एक स्थान होना चाहिए जहाँ कि एक सुन्दर-सा रेडियो रखा हो ताकि बच्चे ऐतिहासिक वार्तालाप विशेषज्ञों से सुन सकें। रेडियो पर ऐतिहासिक स्थलों व ऐतिहासिक व्यक्तियों पर परिचर्चा आती है, उन परिचर्चाओं को बच्चों को सुनाना चाहिए ताकि इतिहास के प्रति उनकी रुचि बनी रहे।

8. सूची तथा चित्र – इतिहास कक्ष में सूची एवं चित्रों का संकलन भी किया जाना चाहिए। एक दीवार पर महर्षियों के चित्र लगवाये जा सकते हैं और दूसरी दीवार पर इमारतों के चित्रों को अच्छी तरह मढ़ाकर लटका दिया जाना चाहिए। समस्त वस्तुएँ या चीजें कालक्रमानुसार ही लगायी जानी चाहिए और इनमें मानचित्र, युद्ध-मार्ग, युद्ध-योजना आदि के चार्ट उचित क्रम से लगाने चाहिए जिससे कि छात्रों को विभिन्न राजाओं के उत्थान-पतन के समय आदि का ज्ञान हो सके।

9. काल – रेखा-प्राचीन युग और आधुनिक युग की प्रगति एवं अवनति को रेखाओं द्वारा दिखाया जा सकता है। विभिन्न समय के महापुरुषों के काल में अन्तर, विभिन्न देशों की सभ्यता और आर्थिक उन्नति एवं अवनति की स्पष्टीकरण काल रेखाओं के माध्यम से इतिहास कक्ष में किया जाना चाहिए।

उपर्युक्त वस्तुओं के अतिरिक्त अन्य वस्तुओं का संकलन भी इतिहास काल में होना चाहिए। पुराने समय की नकल के नमूने और ऐतिहासिक पत्र-पत्रिकाएँ आदि भी इतिहास कक्ष में होनी चाहिए। इतिहास कक्ष में एक ग्लोब का होना भी अत्यन्त आवश्यक है। इस प्रकार की सामग्री को इकट्ठा करना और उसे इतिहास कक्ष में सुसज्जित करने का कार्य एक-दो दिन का नहीं है। इतिहास अध्यापक को यह कार्य निरन्तर करते रहना चाहिए। इतिहास अध्यापक को इस बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि वह वस्तुओं के संग्रह में इतना अधिक उत्साह न दिखाये कि इतिहास कक्ष एक संग्रहालय बन जाये । इतिहास कक्ष वैज्ञानिक विषयों की प्रयोगशाला की भाँति ही एक प्रयोगशाला होनी चाहिए और उनमें वे ही वस्तुएँ रखी जानी चाहिए जो छात्र के रोजमर्रा के काम में आती हैं और छात्र की क्रियाशीलता में सहायक सिद्ध होती हैं।

इस प्रकार इतिहास शिक्षण में इतिहास कक्ष की साज-सज्जा का होना अत्यन्त आवश्यक होता है।

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Anjali Yadav

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