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लक्ष्य एवं उद्देश्यों में अन्तर | भूगोल शिक्षण के उद्देश्य | भूगोल शिक्षण के सामान्य उद्देश्य एंव विशिष्ट उद्देश्य

लक्ष्य एवं उद्देश्यों में अन्तर | भूगोल शिक्षण के उद्देश्य | भूगोल शिक्षण के सामान्य उद्देश्य एंव विशिष्ट उद्देश्य
लक्ष्य एवं उद्देश्यों में अन्तर | भूगोल शिक्षण के उद्देश्य | भूगोल शिक्षण के सामान्य उद्देश्य एंव विशिष्ट उद्देश्य

लक्ष्य और उद्देश्यों में अन्तर स्पष्ट करते हुए माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्तर पर भूगोल शिक्षण के उद्देश्यों का निर्धारण कीजिये।

शिक्षण कार्य के लिए उद्देश्यों अथवा लक्ष्यों का पूर्व निर्धारण आवश्यक हैं। उद्देश्य के निर्धारण पर ही कार्य की सफलता निर्भर करती हैं। शैक्षिक उद्देश्यों का निर्धारण समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। समय के अनुसार समाज में परिवर्तन होते हैं तो उसी के अनुरूप शिक्षा के उद्देश्यों में भी परिवर्तन होते हैं। शिक्षण के उद्देश्य शिक्षक द्वारा निर्धारित होते । शिक्षक प्रकरण के तथा पाठ्य सामग्री के अनुसार शिक्षण के उद्देश्य निर्धारित करता हैं।

उद्देश्यों के निर्धारण में शिक्षक को निम्नलिखित चार बातों पर ध्यान देना आवश्यक हैं-

  1. उद्देश्य सामाजिक रूप से मान्य हो ।
  2. शिक्षण द्वारा उद्देश्य में प्राप्यशीलता होनी चाहिये।
  3. उद्देश्य छात्रों के सम्मुख कुछ कार्य प्रस्तुत करें।
  4. विद्यालय तथा छात्रों द्वारा स्वीकार करने योग्य हों।

उद्देश्य को समझने के लिए कुछ विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं का यहाँ उल्लेख करना आवश्यक है-

कार्टर के अनुसार, “उद्देश्य छात्र के व्यवहार में इच्छित परिवर्तन है जो विद्यालय पथ प्रदर्शन व अनुभव का परिणाम होता है।” ब्लूम ने लिखा है कि “शैक्षिक उद्देश्य का अर्थ उन रीतियों की रचना से है जिनके द्वारा शैक्षिक प्रक्रिया के माध्यम से छात्रों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन सम्भव है। परिभाषाओं से स्पष्ट है कि शैक्षिक उद्देश्य व्यापक, हैं। परिवर्तनशील, औपचारिक, सामाजिक दर्शन पर आधारित होते हैं।

लक्ष्य एवं उद्देश्यों में अन्तर
  1. लक्ष्यों का क्षेत्र व्यापक और उद्देश्यों का सीमित होता है।
  2. लक्ष्य सैद्धान्तिक और उद्देश्य वास्तविक होते है।
  3. लक्ष्य आदर्शवादित और उद्देश्य व्यावहारिकता पर आधारित हैं।
  4. लक्ष्यों का निर्धारण समाजशास्त्री और शिक्षा शास्त्री द्वारा होता है। जबकि उद्देश्य विषय शिक्षक द्वारा निर्धारित होते हैं। लक्ष्यों का मापन लम्बी अवधि बाद और उद्देश्य का मापन पाठ की समाप्ति पर होता है।
भूगोल शिक्षण के उद्देश्य

भूगोल शिक्षण के उद्देश्यों को दो वर्गों में विभक्त करके अध्ययन किया जा सकता हैं।

  1. सामान्य उद्देश्य और
  2. विशिष्ट उद्देश्य

भूगोल शिक्षण के सामान्य उद्देश्य

भूगोल शिक्षण के सामान्य उद्देश्य निम्नलिखित है जिनको उच्चत्तर माध्यमिक कक्षा में शिक्षण करते समय भूगोल शिक्षक को ध्यान में रखने चाहिये।

1. छात्रों में प्रकृति के प्रति प्रेम पैदा करना- भूगोल एक ऐसा विषय है जिसमें प्रकृति के सभी तत्वों का अध्ययन करवाया जाता है। ये प्राकृतिक तल, पर्वत, पठार, मैदान, नदियाँ, वनस्पति, जीव-जन्तु, समुद्र, हिमपात आदि हैं। भूगोल में क्षेत्रीय भ्रमण द्वारा छात्रों में प्रकृति के प्रति सौन्दर्य भावना का विकास किया जा सकता है।

2. छात्रों को संकीर्णता से मुक्त कर व्यापक दृष्टिकोण का विकास करना- भूगोल शिक्षण स्थानीय संकुचित क्षेत्र से छात्र को सम्पूर्ण विश्व की कल्पना कराता है। अनमिश स्थानों तथा वहाँ के निवासियों का अध्ययन करके छात्रों में मानवता के प्रति विस्तृत दृष्टिकोण का निर्माण होता है।

3. भूगोल द्वारा छात्रों में राष्ट्रीयता का भाव पैदा करना- भूगोल में जब छात्र अपने देश की प्राकृतिक सम्पदा तथा प्राकृतिक तत्वों का अध्ययन करते हैं तो उनकी विविधता के स्वरूप का ज्ञान छात्रों में गौरवान्वित होने की भावना का विकास होता है।

4. अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का विकास – भूगोल में पृथ्वी तल के विभिन्न क्षेत्रों और वहाँ रहने वाले लोगों के जीवन के बारे में अध्ययन करने से विश्व बन्धुत्व की भावना का विकास होता है। यह जानकर कि वर्तमान में कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं है अपितु अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए देश परस्पर निर्भर है; यह अवबोध उनमें अन्तर्राष्ट्रीयता की भावना का विकास करता हैं।

5. प्राकृतिक संसाधनों के उचित उपयोग का भाव पैदा करना – भूगोल के अध्ययन से छात्रों को यह ज्ञान होता है कि अनेक प्राकृतिक संसाधन जिनके निर्माण में करोड़ों वर्ष लगते हैं, उनको एक बार उपयोग में लाने पर प्रायः समाप्त हो जाते हैं। ऐसा ज्ञान छात्रों में संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के प्रति चेतना पैदा करता हैं।

6. सामाजिक गुणों का विकास करना – भूगोल शिक्षण का एक उद्देश्य छात्रों में सामाजिक गुणों का विकास करना है। भूगोल में छात्र पृथ्वी तल पर भौगोलिक वातावरण की विभिन्नता तथा वहाँ के निवासियों की वातावरण के प्रति अनुक्रिया का अध्ययन करके उनमें लोगों के प्रति सद्भाव पैदा होता है। विश्व घटना चक्र का अध्ययन उनमें विवेकपूर्ण दृष्टिकोण का विकास करता हैं।

7. छात्रों में मानसिक गुणों का विकास करना- भूगोल छात्रों में कल्पना शक्ति का विकास करता है। भूगोल छात्रों में कार्य-कारण सम्भव पर बल देकर उनमें तर्क तथा निर्णय शक्ति का विकास करता हैं।

8. प्राकृतिक पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाये रखना – भूगोल में छात्रों को मानव और प्राकृतिक पर्यावरण के संबंधों का अध्ययन करवाया जाता है। प्रदूषित पर्यावरण किस प्रकार मानव जीवन को प्रभावित करता है? इसका ज्ञान करवाकर छात्रों में पर्यावरण को शुद्ध रखने का भाव पैदा किया जा सकता है।

9. छात्रों को जीविकोपार्जन के योग्य बनाना – भूगोल में छात्रों को कृषि, उद्योग, खनन, व्यापार आदि क्षेत्रों का ज्ञान करवाकर उनमें ऐसी क्षमता का विकास हो कि वे अपने लिए जीविकोपार्जन के क्षेत्र का चयन कर सकें।

भूगोल शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य

सीखने के उद्देश्यों को व्यावहारिक रूप देने या परिभाषित करने के कार्य को उद्देश्यों का विशिष्टीकरण कहते हैं। उद्देश्यों का विशिष्टीकरण अधिगम की क्रियाओं को प्रधानता देता है। विशिष्ट उद्देश्यों का निर्धारण इकाई योजना अथवा दैनिक पाठ योजना में होता हैं। इसमें उद्देश्य के साथ कार्य सूचक क्रियाएँ लिखी जाती हैं। वी.एस. ब्लूम ने 6 अधिगम उद्देश्यों का वर्णन किया हैं। नीचे उद्देश्य तथा उनके सामने कार्यसूचक क्रियाएँ लिखी गई हैं-

उद्देश्य कार्यसूचक क्रियाएँ
1. ज्ञान (Knowledge)

(1) सूची बनाना, (2) परिभाषित करना, (3) चयन करना, (4) कथन करना, (5) प्रत्यास्मरण करना, (6) पहचानना, (7) लिखना, (8) मापन करना।

2. अवबोध (Comprehension) (1) अनुवाद करना, (2) संकेत देना, (3) उदाहरण देना, (4) व्याख्या करना, (S) चयन करना, (6) निर्णय लेना, (7) अर्थापन करना, (8) प्रस्तुत करना।
3. ज्ञानोपयोग (Application) (1) गणना करना, (2) प्रयोग करना, (3) उल्लेख करना, (4) प्रदर्शन करना, (5) पूर्वानुमान लगाना, (6) निर्माण करना, (7) जाँच करना, (8) प्राप्त करना ।
4. विश्लेषण (Analysis) (1) पुष्टि करना, (2) विभाजन करना, (3) विश्लेषण करना, (4) आलोचना करना, (5) भेद करना (Differentiate), (6) तुलना करना।
5. संश्लेषण (Synthesis) (1) मूल्यांकन करना, (2) निर्णय लेना, (3) समालोचना करना (Critical appraisa), (4) तर्क देना, (5) सामान्यीकरण करना, (6) निष्कर्ष देना, (7) संक्षिप्त करना।

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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