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भूगोल का विद्यालय के अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध

भूगोल का विद्यालय के अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध
भूगोल का विद्यालय के अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध
भूगोल का विद्यालय के अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध की व्याख्या कीजिये ।

भूगोल पृथ्वी का विज्ञान है। प्राचीन भूगोल में पृथ्वी की बनावट, वायुमण्डल, पर्वतों व मैदान आदि प्राकृतिक तत्वों का अध्ययन किया जाता था। विचारों में विकास के साथ भूगोल के विषय क्षेत्र में भी परिवर्तन होने लगा। भूगोल के अध्ययन क्षेत्र में मानव का विकास ही केन्द्र बिन्दु बन गया। भूगोल में पृथ्वी तल के भौतिक एवं जैविक संसाधनों और उनकी क्षेत्रीय विविधताओं का और स्थनिक सम्बन्धों का अध्ययन मानवीय संसार के रूप में किया जाने लगा। स्पष्ट है कि भूगोल में प्राकृतिक तत्वों तथा मानवीय तथ्यों के पारस्परिक संबंध का अध्ययन किया जाता है। निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि भूगोल में भौतिक तथा सामाजिक दोनों प्रकार के विज्ञान सम्मिलित हैं। विद्यालय में पढ़ाये जाने वाले विषय अर्थशास्त्र और इतिहास सामाजिक विज्ञान है अतः ये भूगोल के साथ सम्बन्धित हैं।

भूगोल का अर्थशास्त्र के साथ संबंध :- भूगोल में जब से पृथ्वी का अध्ययन मानव के गृह के रूप में प्रारम्भ हुआ तब से भूगोल तथा सामाजिक विषयों में परस्पर संबंधों में वृद्धि होती गई। अर्थशास्त्र एक सामाजिक विषय हैं जिसमें मानव की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन होता है। आर्थिक क्रियाओं को सम्पन्न करने के लिए मानव संसाधनों का उपयोग करता है। भूगोल में इन प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता, वितरण, मात्रा आदि का अध्ययन होता है। भूगोल और अर्थशास्त्र के परस्पर इस संबंध ने भूगोल की एक शाखा ‘आर्थिक भूगोल’ को जन्म दिया है। भूगोल में वातावरण के संसाधनों का उपयोग करके मानव द्वारा विभिन्न प्रदेशों में अपनाये गये आर्थिक व्यवसाय का अध्ययन होता है। पशु चारण, कृषि, वन, खनिज, उद्योग, परिवहन, वाणिज्य आदि का अध्ययन भूगोल तथा अर्थशास्त्र दोनों में होता है। इस प्रकार दोनों विषयों में परस्पर संबंध है।

भूगोल का इतिहास से संबंध :- भौगोलिक वातावरण इतिहास की आधारशिला की रचना करता है। इसका उदाहरण इंग्लैण्ड है कला का विकास करके वहाँ के निवासियों ने ऐसे साम्राज्य का निर्माण किया जिसमें समुद्र से घिरा हुआ हैं। नाविक कभी सूर्यास्त नहीं होता था। दूसरे देश में संसाधनों का विदोहन और उनको अपने देश में लाकर औद्योगिक विकास करके नवीन इतिहास की रचना की। प्राचीन काल में साम्राज्य विस्तार अथवा अपना प्रभुत्व स्थापित करने के उद्देश्य से अनेक युद्ध हुए हैं। इन युद्धों में विजय अथवा पराजय के लिए युद्ध कौशल के साथ भौगोलिक कारक भी उत्तरदायी रहे हैं। सिकन्दर और पुरु के मध्य युद्ध में पुरु की पराजय के लिए वर्षा का होना एक प्रमुख कारक था। वर्तमान में इराक और विभिन्न राष्ट्रों के मध्य हुए युद्ध के लिए भौगोलिक संसाधन ‘खनिज तेल’ उत्तरदायी था। स्पष्ट है कि भूगोल और इतिहास परस्पर घनिष्ठ रूप में संबंधित हैं।

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Anjali Yadav

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