स्थल मण्डल से आप क्या समझते हैं?
भूगोल का अध्ययन क्षेत्र तीन मण्डलों- स्थलमण्डल, जल मण्डल और वायुमण्डल में विभक्त है। इस दृष्टि से भूगोल का क्षेत्र व्यापक है। स्थल मण्डल को अंग्रेजी में Geosphere कहते हैं। यहाँ Geo का अर्थ पृथ्वी से सम्बन्धित है और sphere का अर्थ मण्डल है। इससे स्पष्ट है कि पृथ्वी से सम्बन्धित ज्ञान स्थल मण्डल के अन्तर्गत आता है। इसमें पृथ्वी तल के ऊपर निर्मित भू-आकृतियों के साथ पृथ्वी की कुछ गहराई तक की संरचना का अध्ययन किया जाता है। स्थल मण्डल का जीव जगत के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। पृथ्वी का ऊपरी ठोस आवरण ही जीव और वनस्पति को आश्रय स्थल प्रदान करता है। स्थल मण्डल में पृथ्वी की बनावट, पृथ्वी तल पर स्थित स्थलाकृति, भू-संचलन, चट्टान, मृदा, भूकम्प, ज्वालामुखी क्रिया, पर्वत, पठार, मैदान, स्थल रूपों में परिवर्तन करने वाली शक्तियाँ व साधन, अपक्षय, अपवाह तंत्र का अध्ययन सम्मिलित है। स्थल मण्डल के अध्ययन ने निम्नलिखित विज्ञानों को जन्म दिया है-
- स्थलाकृतिक विज्ञान (Geomorphology)
- भूगर्भ शास्त्र (Geology)
- मृदा विज्ञान (Science of Soils)
- खनिज विज्ञान (Mineralogy)
- भूकम्प विज्ञान (Sicsmology)
IMPORTANT LINK
- भूगोल विषय की मानव के दैनिक जीवन में उपादेयता या महत्व
- भूगोल के विकास में सम्भववाद के योगदान
- भूगोल का विद्यालय के अन्य विषयों के साथ सम्बन्ध
- विद्यालय शिक्षा के पाठ्यक्रम महत्व एवं आवश्यकता क्या है?
- लक्ष्य एवं उद्देश्यों में अन्तर | भूगोल शिक्षण के उद्देश्य | भूगोल शिक्षण के सामान्य उद्देश्य एंव विशिष्ट उद्देश्य
- भूगोल का अर्थ स्पष्ट करते हुए विविध परिभाषाओं का विश्लेषण कीजिये ।
- भूगोल के स्वरूप (Nature) को स्पष्ट कीजिये।
- राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा (NCF) 2005 के प्रपत्र की मुख्य अभिशंसाओं का वर्णन कीजिये।
- प्राकृतिक विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में अन्तर
- सामाजिक अध्ययन की पृष्ठभूमि | Backgrounds of Social Studies in Hindi
Disclaimer