जीवन परिचय

आंग सान सू की का जीवन परिचय | Aung San Suu Kyi Biography in Hindi

आंग सान सू की का जीवन परिचय

आंग सान सू की का जीवन परिचय

आंग सान सू की का जीवन परिचय

आंग सान सू की का संक्षिप्त जीवन परिचय

नाम आंग सान सू की
जन्म 19 जून 1945
जन्म स्थान रंगून
उम्र 76 वर्ष
शिक्षा राजनीति विज्ञान में स्नातक
विश्वविद्यालय लंदन एसओएस विश्वविद्यालय
माता का नाम खिन की
पिता का नाम आंग सान
कार्यक्षेत्र राजनीति

Aung San Suu Kyi Biography in Hindi: नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित आंग सान सू की पिछले लगभग 27 सालों से म्यांमार (बर्मा) में सैनिक तानाशाही के खिलाफ अदम्य साहस के साथ लोकतंत्र बहाली की लड़ाई लड़ रही हैं। वह बर्मा की स्वतंत्रता के वास्तुकार और राष्ट्रीय नेता जनरल आंग सान की पुत्री हैं।

सू की के पिता आंग सान की बर्मा की राजधानी रंगून में 19 जुलाई, 1947 को उनकी स्वतंत्रता-पूर्व कैबिनेट के छह सहयोगियों के साथ हत्या कर दी गई थी। 15 साल की उम्र तक सू की शिक्षा-दीक्षा रंगून में हुई। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गईं, जहां उनकी मां डाव खिन की राजदूत के रूप तैनात थीं। डाव खिन की भारत व नेपाल में तैनात रहीं बर्मा की एकमात्र महिला राजदूत थीं। उन्होंने अपनी बीए की पढ़ाई ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पूरी की। उनका विवाह ब्रिटेन के डॉ. माइकेल एरिस से हुआ तथा दंपती ने दो संतानों को जन्म दिया। वर्षों तक उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में रहने के बाद सू 1988 में बर्मा लौट आईं। इसी साल अगस्त में बर्मा में लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर देशव्यापी आंदोलन शुरू हो गया। इस आंदोलन में सू की ने नेतृत्वकारी भूमिका निभाई। इस आंदोलन के दौरान ही सैनिक सरकार ने एलान किया कि देश में 27 मई को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए जाएंगे, जिसके बाद सू की ने नेशनल लीग फार डेमोक्रेसी नाम से राजनीतिक दल की स्थापना की। उन्होंने लोकतंत्र की बहाली के लिए माहौल बनाने के उद्देश्य से देश में विभिन्न भागों का सघन दौरा किया। सू की की लोकप्रियता से घबराकर 1989 में सेना ने उन्हें नजरबंद कर दिया। उनके नजरबंद होने और एनएलडी के सारे शीर्ष नेताओं के जेल में होने के बावजूद उनकी पार्टी ने चुनावों में भारी बहुमत हासिल किया, परंतु सैनिक सत्ता ने चुनाव नतीजों का सम्मान करने से इनकार कर दिया। नजरबंदी के दौरान ही वह 1990 में विचार की स्वतंत्रता के लिए सखारोव पुरस्कार तथा 1991 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजी गईं।

अंतरराष्ट्रीय दबाव में सैनिक सरकार ने उन्हें रिहा तो कर दिया, लेकिन उनकी पार्टी एनएलडी की गतिविधियों पर रोक लगा दी। लेकिन सू की ने सरकार के इस फैसले की अवहेलना करते हुए लगातार लोकतंत्र बहाली संघर्ष जारी रखा। सन् 2000 और 2002 में भी उन्हें थोड़े-थोड़े समय के लिए गिरफ्तार किया गया।

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Anjali Yadav

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