चे ग्वेवारा का जीवन परिचय (Biography of Che Guevara in Hindi)
जन्म : 14 जून, 1928
मृत्यु : 9 अक्टू., 1967
चे ग्वेवारा ने फिदेल कास्त्रो के साथ क्यूबा में उस क्रांतिकारी आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई, जिसके फलस्वरूप क्यूबा की सत्ता पर 1959 में कम्युनिस्टों का कब्जा हुआ। क्यूबा में कई बड़े पदों पर रहने के बाद उन्होंने कांगो और बोलीविया जैसे देशों में जाकर क्रांति कराने का बीड़ा उठाया और मारे गए।
चे ग्वेवारा का जन्म अर्जेंटीना के रोसारियो में हुआ था। उनका पूरा नाम था डॉ. अर्नेस्टो रैफेल ग्वेवारा डि ला सेरना। वे अपने समर्थकों के बीच सिर्फ ‘चे’ अथवा चे ग्वेवारा के नाम से जाने जाते थे। अपने माता-पिता की पांच संतानों में वे सबसे बड़े थे। उनका परिवार स्पेनिश और आयरिश मूल का था। उनके उच्च मध्यवर्गीय परिवार के सदस्य पक्के वामपंथी विचारों के थे। इसी कारण चे भी किशोरावस्था में ही कम्युनिस्ट हो गए। वह बहुत कम उम्र में दमा के रोगी हो गए, लेकिन इसके बावजूद वह एक अच्छे एथलीट थे। 1948 में उन्होंने ब्यूनस आयर्स यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और चिकित्सा विज्ञान के छात्र के रूप में 1953 में अपना अध्ययन पूरा किया। इसी दौरान उन्होंने छुट्टियों में लैटिन अमेरिकी देशों का व्यापक भ्रमण किया। अर्जेंटीना में यूनिवर्सिटी की पढ़ाई करते समय ही कम्युनिस्ट नेता की हैसियत पा चुके थे। बाद में, जब फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में क्यूबा में गुरिल्ला युद्ध शुरू हुआ तो ग्वेवारा क्यूबा पहुंच गए तथा कास्त्रो के कंधे से कंधा मिलाकर वहां कम्युनिस्ट क्रांति को सफल बनाने में जी-जान से जुट गए। 1959 में सत्ता पर काबिज होने के बाद कास्त्रो ने चे को कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों सौपीं, जिनको उन्होंने सफलतापूर्वक निभाया। लेकिन अंततः उन्होंने 1965 में इस उम्मीद में क्यूबा छोड़ दिया कि वह अन्य देशों में क्रांति के लिए माहौल बनाएंगे। ग्वेवारा का कहना था, ‘जनता को क्रांतिकारी परिस्थितियों का इंतजार करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि क्रांतिकारी परिस्थितियां तैयार भी की जा सकती हैं।’
अपनी इसी अवधारणा को चरितार्थ करने के लिए चे पहले कांगो और फिर बोलीविया गए और वहां कम्युनिस्टों को क्रांति के लिए संगठित करने का काम शुरू किया। माना जाता है कि अमेरिका की खुफिया एजेंसी के इशारे पर ग्वेवारा को बोलीविया के सैनिकों ने मार डाला। यह भी कहा जाता है कि सीआईए उन्हें पूछताछ के लिए जिंदा रखना चाहती थी, लेकिन वह बोलीवियाई सैनिकों के कब्जे से निकल भागने के प्रयास में मारे गए।
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