निरन्तर 2010 की विशेषताओं का वर्णन करें ।
वर्ष 2010-11 निरन्तर की वार्षिक रिपोर्ट जिसमें चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा पर प्रकाश डाला गया है, प्रकाशित की गयी। इस वार्षिक प्रतिवेदन की प्रमुख विशेषतायें निम्न प्रकार हैं—
1. निरन्तर 2010 का सम्बन्ध स्त्रियों की शिक्षा, लिंग तथा शिक्षा से है।
2. निरन्तर 2010 स्त्रियों की शिक्षा और उनसे जुड़े विषयों से सम्बन्धित है।
3. निरन्तर योजना का प्रारम्भ दिसम्बर 2010 में ललितपुर से किया गया तथा इसके मेहरोनी (Mehroni) और मदवारा (Madawara) विकास खण्डों में 112 गाँवों में किशोरियों तथा स्त्रियों के मध्य यह ‘सहजनी शिक्षा केन्द्र’ (Sahjani Shiksha Kendra : SSK) नामक शीर्षक से कार्य सम्पन्न कर रहा है
4. SSK और निरन्तर योजना द्वारा बुन्देलखण्ड में महिलाओं की शिक्षा और कार्य के अधिकार (Right to Work) हेतु 350 महिलाओं और 12 संस्थाओं द्वारा कार्यक्रम सम्पन्न कराया गया।
5. निरन्तर द्वारा राष्ट्रीय स्तर का महिला सशक्तीकरण और शिक्षा हेतु कार्यक्रम चलाया गया।
6. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) द्वारा इसे ललितपुर में तथा उत्तर प्रदेश की मुस्लिम, दलित और आदिवासी महिलाओं में नेतृत्व क्षमता के विकास हेतु अनुदान राशि प्राप्त हुई।
7. निरन्तर द्वारा जुलाई 14 से 16, 2010 में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें लिंगीय असमानता और शिक्षा की गुणवत्ता पर विचार किया गया जिसमें 13 राज्यों के लगभग 80 प्रतिभागियों ने लिया।
8. सर्व शिक्षा अभियान (SSA) छत्तीसगढ़ द्वारा निरन्तर को कस्तूरबा गाँधी आवासीय बालिका विद्यालय (KGBV) में आवासीय प्रशिक्षण हेतु बुभस्कर 17 तथा 19 अगस्त, 2010 को प्रशिक्षण सम्पन्न कराया गया जिसमें छत्तीसगढ़ तथा उससे बाहर की 90 वार्डेन तथा शिक्षक-शिक्षिकायें उपस्थित थीं ।
9. 27-28 दिसम्बर, 2010 में SSA के साथ मिलकर उड़ीसा में लिंगीय समानता हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया।
10. SSA महाराष्ट्र द्वारा निरन्तर के द्वारा चार दिवसीय कार्यशाला दिनांक 20 से 23 दिसम्बर, 2010 को पुणे में आयोजित की गयी।
11. बिहार ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम ‘जीविका’ द्वारा निरन्तर के द्वारा लिंगीय समन्वय हेतु 15 से 18 दिसम्बर, 2010 को प्रशिक्षण का आयोजन जिला तथा ब्लॉक स्तर पर किया गया।
12. योजना आयोग द्वारा 12वीं पंचवर्षीय योजना में दिसम्बर में चेन्नई में 18 और 19 दिसम्बर, 2010 को महिलाओं की सहभागिता पर मंत्रणा की गयी जहाँ निरन्तर द्वारा महिलाओं की शैक्षिक उन्नति हेतु विचार प्रदान किये गये ।
13. यूरोपियन यूनियन (EU) के सहयोग द्वारा संचालित एक प्रोजेक्ट में निरन्तर द्वारा 50 महिलाओं की सहभागिता अधिगमकर्त्ता के रूप में महिला शिक्षण केन्द्र (Mahila Shikshan Kendra : MSK) और ‘किशोरी केन्द्र’ (उत्तर प्रदेश) में 1994 तथा 2000 के मध्य अध्ययन किया गया था।
14. निरन्तर 2010 के अनुसार शिक्षा के द्वारा महिलाओं के लिए सफलता के नये द्वार खुलने के साथ-ही-साथ निर्णय क्षमता, जागरूकता और गतिशीलता आती है।
15. 12वीं ज्वाइण्ट रिवीउ मिशन (Joint Review Mission : JRM) का प्रस्तुतीकरण 19 जुलाई, 2010 को निरन्तर सदस्य द्वारा किया गया जिसमें लिंगीय समन्वय पर बल दिया गया और लिंग, धर्म तथा सामुदायिक मुद्दों पर बहस की आवश्यकता महसूस की गयी ।
इस प्रकार ‘निरन्तर’ अपने चुनौतीपूर्ण लिंग की समानता के कार्य का सम्पादन और उनकी सशक्त भूमिका के प्रस्तुतीकरण हेतु अन्य संस्थाओं, सरकारी और गैर-सरकारी के साथ मिलकर कार्य कर रहा है।
स्वतन्त्रता से पूर्व और स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत में गठित आयोगों ने पाठ्यक्रम के सुधार के विषय में सुझाव दिये। स्वतन्त्र भारत में प्रजातन्त्र की सुदृढ़ता हेतु प्राथमिक स्तर तक सभी की अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान कर दिया गया है। प्राथमिक से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा के पाठ्यक्रम में आयोगों द्वारा अनेकों दोष गिनाये गये हैं, जिससे ‘अपव्यय तथा अवरोधन’ (Wastage and Stagnation) में वृद्धि हो रही है। ये दोष निम्नवत् हैं—
- अव्यावहारिक होना ।
- अति सैद्धान्तिक ।
- आदर्शवादी होना ।
- वास्तविक जीवन हेतु अनुपयोगी होना ।
- लचीला न होना ।
- पुराने ढर्रे पर ही पाठ्यक्रम निर्मित होना
- क्रिया-प्रधान न होना ।
- सर्वांगीण विकास की उपेक्षा ।
- एकांगी होना ।
- नवाचारों को सम्मिलित न करना इत्यादि ।
जब पाठ्यक्रम ही दोषपूर्ण होगा तो स्पष्ट ही है कि शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति कैसे होगी। अतः दोषपूर्ण पाठ्यक्रम के द्वारा भी चुनौतीपूर्ण लिंग की असमानता और उनकी सशक्त भूमिका का प्रस्तुतीकरण नहीं हो पा रहा है, क्योंकि त्रुटिपूर्ण पाठ्यक्रम के कारण चुनौतीपूर्ण लिंग की शिक्षा को या तो अनुपयोगी मानकर उन्हें घर बैठा दिया जाता है या स्वयं ही उनमें अरुचि उत्पन्न हो जाती है। प्राथमिक स्तर पर अनिवार्य तथा निःशुल्क शिक्षा का प्रावधान होने के कारण भी बालिकाओं के विद्यालय छोड़ने की दर चिन्ताजनक है, जिसका एक कारण पाठ्यक्रम की त्रुटिपूर्णता है ।
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