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विखंडन सिद्धान्त (Constructive Theory in Hindi)

विखंडन सिद्धान्त (Constructive Theory in Hindi)
विखंडन सिद्धान्त (Constructive Theory in Hindi)

विखंडन सिद्धान्त पर प्रकाश डालें ।

संरचनावादी एक तरफ जहाँ कुछ सत्ता संरचनाओं को लाभप्रद अवस्था को अधिक या कम स्थाई मानते हैं (जिससे पितृसत्ता, श्वेतावर्णीयता, बुर्जुआ या इसी प्रकार के वर्गों को बताया जा सके) विखंडन विश्लेषण इन निश्चित वर्गों को संदेह के साथ देखते हैं। इसके आधार पर ‘जेन्डर’ की किसी ‘वास्तविक’ वस्तु से भ्रमित नहीं किया जा सकता। किसी वास्तविक तथ्य की ओर इशारा करने के बजाय ‘जेण्डर’ स्वयं में एक वर्ग है।

“लिंग, जो कि जैविक रूप से निर्धारित वर्ग है उसका राजनीतिक व्यावहारिक विकल्प” के रूप में ” जेन्डर” एक सामाजिक निर्मित को इंगित करता है । अतः इसको परिवर्तित किया जा सकता है। हालांकि हम इसको प्राकृतिक मान कर देखने के आदी हो चुके हैं परन्तु हमें समझना चाहिए कि ‘जेंडर’ सामाजिक निर्मित है जो वर्ग इस प्रकार से प्राकृतिक या सामान्यीकृत कर दिए जाते हैं वे बहुत आसानी से बहिष्कृत किए जा सकते हैं। जैसे कि ‘जेन्डर समानता’ लाने के लिए बनी नीतियाँ सरल दिखाई पड़ती है परन्तु यह नीतियाँ ‘जेन्डर’ को सीधे और स्पष्टता से परिभाषित करने के कारण वह आवश्यक समझने लगती है कि समानता लाने के लिए ‘जेन्डर’ को वर्ग में रख दिया जाए तथा इसका नतीजा यह होता है कि इसमें अधिकारों को ‘सुनिश्चित’ करने के बजाय उन्हें ‘नकारा’ (deny) अधिक जानने लगता है। इसलिए विखण्डन नारीवाद किसी भी वर्ग के सामान्यीकरण या प्राकृतिक बताने के खिलाफ है तथा यह इस तथ्य को सामने रखते हैं कि यह सब समाज द्वारा निर्मित वर्ग हैं तथा समाज ही इसे बनाए रखने में मदद करता है।

विखंडन नारीवाद पूर्व में निर्मित सभी सत्ता संबंधों को भंग करने की सिफारिश करते हैं। वह इस प्रकार की सभी प्रचलित धारणाओं, जैसे लैंगिकता जैण्डर, नस्ल, वर्ग में व्यवधान उत्पन्न करने के लिए विभिन्न विधियों को प्रयुक्त करते हैं। जैसे इसके लिए वे पहले से ज्ञान को पुनः नया नाम दे सकते हैं जिससे वह अपरिचित श्रेणी का हो जाए, वस्तुओं का क्रम उलट सकते हैं। सम्मानित विमर्शो में चौंका देने वाले रूप कों को ला सकते हैं, किसी दूसरे ही नजरिये से परिचय का पुनः पाठ कर सकते हैं, या पुराने शब्दों के नए अर्थ गढ़ सकते हैं।

संरचनावादी (तथा कुछ सीमा तक समाजीकरण सिद्धांतकारों की तरह) सिद्धांतों की तरह ही विखंडन ने शैक्षिक सुधार काफी मात्रा में वैकल्पिक पाठों तथा नयी व्याख्याओं पर “निर्भर होते हैं परन्तु फिर भी विखंडनवादी कक्षा अभ्यास, संरचनावादी तथा समाजीकरण सिद्धान्तों में अन्तर रखती हैं।

जेण्डर-अन्तर सिद्धान्त के आभासी-तत्ववाद जो देखभाल तथा नारीत्व को महत्व देते हैं; को विखंडन सिद्धांतवादी चुनौती देते हैं। जेण्डर अन्तर सिद्धान्त शिक्षा को एक संबंध परक नजरिये की तरह परिभाषित करते हैं जहाँ नारीत्व पूर्ण कर्त्तव्यों, देखभाल तथा महिलाओं को सहज ज्ञान क्षमता को केन्द्रीय महत्वपूर्ण स्थान प्रदान किया जाता है। जबकि विखंडन सिद्धांत, जेण्डर से संबंधित सभी धारणाओं को पुनर्संरचित या विखंडित करने की जरूरत पर बल देते हैं। साथ ही उस वर्गीय धारणाओं को भी ध्वस्त करते हैं जो कि जेण्डर अन्तर सिद्धांत सहज ज्ञान तथा देखभाल को नारीत्व के गुण बताकर महिमा मंडित करता है ।

सारांशत: यह कहा जा सकता है कि विखण्डन सिद्धांत या विखण्डनात्मक सिद्धान्त में विखंडित करके अध्ययन प्रस्तुत किया जाता है। जैसे भारतीय समाज है। यदि हम इसको विखण्डित रूप से अध्ययन करें तो यह व्यक्तियों, जातियों, धर्म इत्यादि में बँटा हुआ है। लिंग के आधार पर भी सम्पूर्ण विश्व बँटा है। स्त्री तथा पुरुष दोनों के लिए भले ही समान अधिकार और स्वतंत्रता की बात कही जा रही हो परंतु प्रकृति ने भी स्त्री और पुरुष के मध्य अंतर किया है विखण्डनात्मक सिद्धान्त के अनुसार हमारा समाज कई प्रकार से बँटा हुआ है।

इस सिद्धान्त के महत्व को निम्न रूप में देख सकते हैं-

(i) इस सिद्धान्त के द्वारा भारतीय समाज को स्तरीकृत किया गया है ।

(ii) विखण्डनात्मक सिद्धान्त के द्वारा ही विपरीत लिंग एक दूसरे के पूरक होते हैं ।

(iii) इस सिद्धान्त के द्वारा शिक्षा की सूक्ष्मता का ज्ञान प्राप्त होता है।

(iv) यह सिद्धान्त अपनी प्रकृति के विपरीत समन्वय पर बल देता है ।

(v) इस सिद्धान्त के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति की व्यक्तिगत क्षमताओं का उपयोग किया जाता है।

(vi) यह सिद्धान्त शिक्षण के लिए काफी उपयोगी है ।

1980 के दशक में यह मानविकी और सामाजिक विज्ञान के विविध क्षेत्रों में कट्टरपंथी सैद्धान्तिक उद्यमों की एक श्रृंखला है जिसमें दर्शन और साहित्य, कानून, मनोविश्लेषण, मानव विज्ञान, धर्मशास्त्र, नारीवाद, समलैंगिक अध्ययन, राजनीतिक सिद्धान्त, इतिहास लेखन आदि । 20 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में बौद्धिक रूझानों के बारे में ध्रुवीय विचार-विमर्श में कभी-कभी निर्जलीकरण और बेवकूफ संदेह का सुझाव देने के लिए निर्णायक रूप से विखण्डन का उपयोग किया जाता था। लोकप्रिय उपयोग में इस शब्द का अर्थ पारंपरिक परम्परा और विचारों के पारंपरिक तरीकों का एक महत्वपूर्ण खंडन है ।

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Anjali Yadav

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