जीवन परिचय

जर्दानो ब्रूनो का जीवन परिचय | Giordano Bruno Biography in Hindi

जर्दानो ब्रूनो का जीवन परिचय

जर्दानो ब्रूनो - विकिपीडिया

जन्म- सन् 1548

मृत्यु- सन् 1600

सर्वेश्वरवाद – ईश्वर एवं विश्व एक ही हैं। विश्व ईश्वर से रचित है और ईश्वर में ही स्थित है। ब्रूनो ईश्वर की प्रकृतिवादी संकल्पना कर ईश्वर को जगत में अंतर्यामी मानकर सर्वेश्वरवाद की स्थापना करते हैं।

गियोर्दानो ब्रूनो का जन्म इटली के नीला नगर में हुआ था। इनकी शिक्षा नेपल्स में हुई। पहले वह कैथोलिक पादरी बने, किंतु विचार भिन्नता के कारण कैथोलिक मत को छोड़ दिया। प्रोटेस्टेंट मत भी इन्हें आकर्षित नहीं कर सका। वे फ्रांस, इंग्लैंड और जर्मनी में घूमते रहे। पुनः जब वे इटली लौटे तो उन्हें सात वर्ष तक बंदी बनाकर रखा! गया, परंतु वह अपने विचारों पर दृढ़ रहे। अपने स्वतंत्र पूर्वाग्रह रहित विचारों के कारण 17 फरवरी, सन् 1600 में उन्हें जिंदा जला दिया गया।

ब्रूनो के इस आत्म बलिदान ने दर्शन के इतिहास में उन्हें अमर कर दिया। पाश्चात्य दर्शन अपने मध्ययुगीन काल में ईसाई धर्म के आसपास केंद्रित रह गया था। दर्शन को उन्होंने धर्म से मुक्त कराया। ब्रूनो एक महान स्वतंत्र चिंतक व भावुक कवि थे। पाइथागोरस, प्लेटो, प्लोटाइनस, निकोलस तथा कॉपरनिकस जैसे दार्शनिकों से वे प्रभावित थे। ब्रूनो का दर्शन आगे आने वाले बुद्धिवादी, दार्शनिक, स्पीनोजा एवं लाइबिनित्ज को दिशा-निर्देश देता है। इन दोनों दार्शनिकों ने ब्रूनो के दर्शन को विकसित किया है। ब्रूनों के अनुसार यह संपूर्ण जड़-चेतन रूप विश्व ईश्वर का ही स्वरूप है। स्वयं ईश्वर ही जड़-चेतनमय जगत में व्याप्त है। ईश्वर एवं विश्व एक ही हैं। ईश्वर जगत में अंतर्यामी है। ईश्वर व जगत एक ही तत्व के दो पहलू हैं। पूर्ण चैतन्य की दृष्टि से जो ईश्वर है, विस्तार के दृष्टिकोण से वही जगत है। विश्व ईश्वर से रचित है और ईश्वर में ही स्थित है। ईश्वर के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरी सत्ता नहीं है। ब्रूनो ईश्वर के तीन रूप मानते हैं ईश्वर विश्वरूप, विश्वात्मरूप और परमार्थ सत् है। विश्व में जो चेतन सत्ता व्याप्त है, ब्रूनो ने उसको अणु, चिद्, अणु और जीवाणु के नाम से पुकारा है। ब्रूनो ईश्वर की प्रकृतिवादी संकल्पना कर ईश्वर को जगत में अंतर्यामी मानकर सर्वेश्वरवाद की स्थापना करते हैं। ब्रूनो की मान्यता है कि ईश्वर का साक्षात्कार निर्विकल्प और सत्ता एक ही हैं। जड़ और चेतन का भेद सर्वेश्वरवादी दृष्टि से काल्पनिक है। यह भेद यथार्थ रूप नहीं है।

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Anjali Yadav

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