जीवन परिचय

इरविंग फिशर का जीवन परिचय | irving fisher biography in hindi

इरविंग फिशर का जीवन परिचय

Irving Fisher
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Fisher in 1927
Born (1867-02-27)February 27, 1867

Saugerties, New York
Died April 29, 1947(1947-04-29) (aged 80)

New York City, New York
Nationality United States
Field Mathematical economics
School or
tradition
Neoclassical economics
Alma mater Yale University (PhD) (BA)
Doctoral
advisor
Josiah Willard Gibbs
William Graham Sumner
Influences William Stanley Jevons, Eugen von Böhm-Bawerk
Contributions Fisher equation
Equation of exchange
Price index
Debt deflation
Phillips curve
Money illusion
Fisher separation theorem
Independent Party of Connecticut

द रेट ऑफ इंट्रेस्ट ( 1907), द परचेजिंग पॉवर ऑफ मनी (1911), 100 परसेंट मनी (1935), इनकी प्रमुख पुस्तकें थीं। ब्याज को अर्थशास्त्र का महत्वपूर्ण हिस्सा मानने वाले अमेरिका के महत्वपूर्ण अर्थशास्त्री फिशर ने कार्ड-फायलिंग सिस्टम का आविष्कार किया।

एक गणितज्ञ, सांख्यिकी विशेषज्ञ, समाज सुधारक, शिक्षक और अमेरिका के सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्री इरविंग फिशर का जन्म न्यूयार्क में हुआ। उन्होंने यूरोप जाकर गणित में उच्च शिक्षा हासिल की और अमेरिका वापस आने के बाद येल विश्वविद्यालय वें में गणित पढ़ाना प्रारंभ किया। बाद में वे अर्थशास्त्र विभाग में चले गए। एक आविष्कारक भी थे और उनके एक आविष्कार ‘कार्ड-फायलिंग सिस्टम’ ने उन्हें बहुत धनी बना दिया। लेकिन 1929-32 के ग्रेट डिप्रेशन के दौरान स्टाक मार्केट क्रेश से उन्हें काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

मुद्रा के परिमाण में परिवर्तन के स्वरूप कीमत स्तर में होने वाले परिवर्तन को विनिमय समीकरण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। मुद्रा का परिमाण सिद्धांत बताता है कि मुद्रा का परिमाण ही कीमत स्तर अथवा मूल्य का मुख्य निर्धारक है। यदि मुद्रा के परिमाण में परिवर्तन होगा तो वह ठीक इसी अनुपात में कीमत स्तर में परिवर्तन ला देगा। फिशर के शब्दों में यदि अन्य चीजें अपरिवर्तित रहें तो ज्यो-ज्यों मुद्रा – संचलन की मात्रा बढ़ती है त्यों-त्यों कीमत स्तर प्रत्यक्ष अनुपात में बढ़ता है और मुद्रा का मूल्य घटता जाता है। यदि मुद्रा की मात्रा दुगुनी कर दी जाए तो कीमत स्तर भी दुगुना हो जाएगा। फिशर ने विनिमय के समीकरण की शब्दावली में अपना सिद्धांत इस तरह स्पष्ट किया है: पीटी-एमवी+एमवी

इस समीकरण में एम प्रचलन में साख-मुद्रा की मात्रा तथा वी साख- मुद्रा का प्रचलन वेग है। एमवी+एम ‘वी’ मुद्रा की पूर्ति तथा पीटी मुद्रा की मांग के सूचक हैं। पी अर्थात कीमत-स्तर एक निष्क्रिय घटक है, जो अन्य घटकों के द्वारा निर्धारित होता है। चूंकि पी मुद्रा की कुल पूर्ति (पीएम+एम ‘वी’) के बराबर है, इसलिए वी तथा मुद्रा की कुल पूर्ति का पारस्परिक सीधा आनुपातिक संबंध है। फिशर ने मान लिया था कि ‘वी,वी’ तथा टी स्थिर रहते हैं और एम तथा एम के बीच एक निश्चित अपरिवर्तनशील अनुपात रहता है। ब्याज को फिशर अर्थशास्त्र का प्रमुख अंग मानते थे और उनके अनुसार ब्याज, पूंजी और आय के बीच की कड़ी होता है और सभी आर्थिक रिश्तों का हिस्सा होता है।

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Anjali Yadav

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