ओलिवर क्रॉमवेल जीवन परिचय-Oliver Cromwell Biography in Hindi
ओलिवर क्रॉमवेल
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जन्म : 25 अप्रैल, 1599 मृत्यु 3 सितंबर, 1658 |
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इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड के राष्ट्रमंडल के लॉर्ड प्रोटेक्टर | |
कार्यालय में 16 दिसंबर 1653 – 3 सितंबर 1658 |
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इससे पहले | राज्य का परिषद |
इसके द्वारा सफ़ल | रिचर्ड क्रॉमवेल |
कैम्ब्रिज के लिए संसद सदस्य |
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कार्यालय में २० फरवरी १६४० – ३० जनवरी १६४९ |
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सम्राट | चार्ल्स I |
इससे पहले | थॉमस खरीद |
हंटिंगडन के लिए संसद सदस्य |
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कार्यालय में 31 जनवरी 1628 – 2 मार्च 1629 |
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सम्राट | चार्ल्स I |
इससे पहले | आर्थर मेनवारिंग |
व्यक्तिगत विवरण | |
उत्पन्न होने वाली | २५ अप्रैल १५९९ हंटिंगडन , हंटिंगडनशायर , इंग्लैंड का साम्राज्य |
मर गए | ३ सितंबर १६५८ (उम्र ५९) व्हाइटहॉल का महल , लंदन, द प्रोटेक्टोरेट |
शांत स्थान | टाइबर्न, लंदन |
राष्ट्रीयता | अंग्रेज़ी |
जीवनसाथी |
एलिजाबेथ बॉर्चियर
( एम। १६२० ) |
बच्चे |
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माता-पिता |
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अल्मा मेटर | सिडनी ससेक्स कॉलेज, कैम्ब्रिज |
व्यवसाय | किसान, सांसद, सैन्य कमांडर |
हस्ताक्षर | |
सैन्य सेवा | |
उपनाम |
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निष्ठा | गोल सिर |
शाखा/सेवा |
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सेवा के वर्ष | १६४३–१६५१ |
पद |
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आदेश |
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लड़ाई/युद्ध | अंग्रेजी गृहयुद्ध (1642-1651):
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धार्मिक स्वतंत्रता के पुरोधा क्रॉमवेल ने सेनापति, सांसद एवं स्टेट्समैन की भूमिकाएं बखूबी निभाई। उसने ब्रिटिश इतिहास के क्रूरतम सैन्य अभियान का नेतृत्व किया, लार्ड प्रोटेक्टर की पदवी ग्रहण कर ब्रिटेन पर एकछत्र राज किया और घटनाओं के प्रवाह का रुख बदल दिया।
हहिंगडम में जन्मे क्रॉमवेल की विलक्षण प्रतिभा को इससे आंका जा सकता है कि उसने गैर शाही वंश का होने के बावजूद इंग्लैंड के नरेश चाल्र्स प्रथम के अभियोजन और मृत्युदंड में केंद्रीय भूमिका निभाई। मध्यवर्गीय धरातल से उठकर उसने ब्रिटेन आयरलैंड पर कठोरतम राज किया और बड़े पैमाने पर कैथोलिक की संपदा प्रोटेस्टेंटों में बांटी। जीवन के अंतिम दो दशकों में उसने संसद सदस्य (1640-49), सैन्य योद्धा (1642-51) और राजनेता (1651-58) की भूमिकाएं अद्भुत कुशलता से निभाई। क्रॉमवेल 1640 में संसद में पहुंचा तथा चर्च की बखिया उधेड़ने, राष्ट्र की सुरक्षा संसद से मनोनीत अफसरों को सौंपने एवं संसद के नियमित सत्र की पैरवी से सुर्खियों में उभरा। गृहयुद्ध छिड़ा तो न्यूमॉडेल आर्मी में फोर्टी डेज कमीशंस में भाग लिया और 1647 में लेफ्टिनेंट जनरल एवं फिर लॉर्ड जनरल इन आयरलैंड एंड स्कॉटलैंड बनने में सफल हुआ। उसने पांच युद्धों में भाग लिया, ईस्ट एंग्लिया पर नियंत्रण किया, मास्टन मूर में जीतने के बाद नेरबी, नॉर्थम्पटन और लांगपोर्ट, सामरसेट में शाही फौजों को शिकस्त दी और तमाम शाही ठिकानों पर कब्जा किया। बुद्धिमत्ता से सांसदों व सेना को नियंत्रण में रख उसने दक्षिण वेल्स में विद्रोह को कुचला, प्रेस्टन में स्कॉटों को हराया और यार्कशायर में शांति कायम की। 1649 में आयरलैंड में वेक्सफोर्ड में भयावह नरमेध के बाद अगले साल चार्ल्स द्वितीय की बागी शाही सेना का दमन कर वह सितंबर, 1651 में विजयी महानायक की भांति लंदन में प्रविष्ट हुआ। ईश्वरीय कॉमनवेल्थ के हिमायती क्रॉमवेल ने 1653 में संसद भंग कर अस्थायी साधु-संसद बनाई और स्वच्छंद राज किया। पुत्र के सिंहासनारोहण के इच्छुक क्रॉमवेल ने अंत तक राजा की पदवी नहीं ली। उसके नौसैनिक व सैन्य सुधारों व वित्तीय उपायों ने परवर्ती महाद्वीपीय व औपनिवेशक विषयों की पृष्ठभूमि रची। श्री क्रेज कैथोलिकों, क्रीडों व कौकरों का दमन कर उसने प्रोटेस्टेंटों को उपकृत किया, धार्मिक आजादी बहाल की और प्रजा के प्रति शासकों की जवाबदेही की परंपरा डालकर ब्रिटिशरों व आयरिशों की स्मृति में सदा के लिए दर्ज हो गया।
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