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समाज तथा समाजीकरण में लिंग की भूमिका का वर्णन संचार के संदर्भ में कीजिए ।
वर्तमान युग सूचना और प्रौद्योगिकी का है जिसकी प्रमुख देन सूचनाओं के प्रेषण में जनसंचार के साधनों का आगमन है। जनसंचार के साधनों का महत्त्व किसी एक क्षेत्र तथा स्थान विशेष या व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं रह गया है, इन साधनों ने सम्पूर्ण विश्व के व्यक्तियों को परिवार की भाँति साथ-साथ खड़ा कर दिया है। जनसंचार के साधनों का शिक्षा की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है, क्योंकि इसके द्वारा कम व्यय और कम समय में सूचनाओं तथा ज्ञान का आदान-प्रदान दूर-दराज के लोगों तक किया जाना सम्भव हो रहा है। जनसंचार दो शब्दों से मिलकर बना है-
जन + संचार = लोगों के मध्य आदान-प्रदान करने वाला अभिकरण ।
अंग्रेजी में जनसंचार को ‘Mass Media’ के नाम से सम्बोधित किया जाता है।
सामान्यतः जनसंचार से तात्पर्य ऐसे अभिकरण से है जिसके द्वारा विविध प्रकार की सूचनाओं का आदान-प्रदान दूर-दूर स्थित लोगों के साथ किया जाता है। जनसंचार के विषय में कुछ परिभाषाएँ दृष्टव्य हैं-
सूमरी के अनुसार — “संचार सूचना, आदर्शों एवं अभिवृत्तियों का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुँचाने की कला है ।”
डॉ. गोकुलचन्द्र पाण्डेय के अनुसार- “संचार सूचना व्यक्त अथवा अव्यक्त रूप से सूचनाओं का प्रेषण एवं एकीकरण है ।”
जनसंचार के साधनों की विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-
- सूचनाओं तथा ज्ञान के आदान-प्रदान में सहायक
- देश की, धर्म की, जाति की तथा लिंगीय भेद-भावों की सीमा से परे है।
- इसके अन्तर्गत सूचनाओं का प्रेषण तथा स्वीकरण दोनों आता हैं
- एक साथ विशाल जनसमूह से अन्तःक्रिया तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान ।
- सूचना के साथ-साथ जन-जागरूकता लाने की विशेषतायुक्त ।
समाज तथा समाजीकरण में लिंग की भूमिका के सशक्तीकरण के साधन के रूप में जनसंचार के कार्य तथा भूमिका
जनसंचार के साधनों से कोई भी क्षेत्र तथा समस्या अछूती नहीं है, अपितु इन साधनों ने दीन-हीन व्यक्तियों, पिछड़ी जातियों, अक्षमतायुक्त तथा हाशिये पर खड़े लोगों की शिक्षा हेतु व्यापक प्रसार-प्रचार तथा कार्यक्रम तैयार कर उनको समानान्तर धारा में लाने के लिए प्रयास किये हैं और ये प्रयास अविराम गति से चल रहे हैं। हम यह भली प्रकार जानते हैं कि लिंग अर्थात् लड़का-लड़की के आधार पर भेद-भाव, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित सभी व्यक्तियों में व्याप्त है, क्योंकि यह हमारी मानसिकता बन चुकी है कि अगर कुछ भी लेना-देना हो या न हो, बेटी के जन्म की बात सुनते ही अनजान व्यक्तियों के चेहरे पर भी उदासी आ जाती है। ऐसे समाज में सहज ही परिकल्पना की जा सकती है कि लड़कियों की सुदृढ़ता और सशक्तीकरण की क्या स्थिति होगी ? समाजीकरण तो समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति का होता है, परन्तु स्त्री-पुरुष के समाजीकरण में लैंगिक भेद-भावों का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। वर्तमान में सरकार द्वारा प्रायोजित तथा नैतिक-सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए जनसंचार के साधन जागरूकता लाकर लैंगिक भेद-भावों को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में जनसंचार के साधनों के कार्यों तथा भूमिका का संक्षिप्त लेखा-जोखा निम्न प्रकार है-
1. मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान प्रदान करना ।
2. स्त्रियों के लिए विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण तथा मुद्रित साधन द्वारा अलग से स्तम्भ प्रकाशित करते हैं ।
3. स्त्री संवाद के द्वारा स्त्रियों की समस्याओं से लोगों को अवगत कराकर उनके प्रति संवेदना जागृत करने का कार्य ।
4. स्त्रियों के प्रति हो रहे अपराधों से सम्बन्धित खबरों और स्थलों तथा अपराधियों को चिन्हित कर सावधान करना, जिससे महिलाओं का सशक्तीकरण और समाजीकरण हो रहा है।
5. लैंगिक दुर्व्यवहार, घरेलू हिंसा, लिंगीय असमानता आदि से सम्बन्धित खबरों और उनके लिए बनाये गये कानूनी प्रावधानों से लोगों को अवगत कराकर स्त्रियों की समाजीकरण की गति को तीव्र करना ।
6. जनसंचार के साधनों के पास विशाल जन समूह की ताकत होती हैं, अतः यह किसी भी प्रकार के लैंगिक असमानतापूर्ण व्यवहार और हिंसा से न्याय प्रदान करने में दबाव बनाता है, जिससे इनसे दबंग और असामाजिक तथा स्त्रियों के अधिकारों का हनन करने वाले डरते I
7. ये माध्यम स्त्री शिक्षा के महत्त्व और सरकार द्वारा किये गये प्रावधानों से लोगों को अवगत कराते हैं जिससे इनका समाजीकरण और सशक्तीकरण होता है ।
8. ये माध्यम शिखर पर पहुँचने वाली महिलाओं के जीवन, कार्यों, संघर्ष तथा परिवार के साथ को दिखाते हैं जिससे अन्य लोग प्रेरणा ग्रहण कर इनकी सुदृढ़ता और समाज में, सम्मान दिलाने हेतु आगे आते हैं।
9. बालिकाओं तथा स्त्रियों में ये साधन लेखों, कहानियों, कविता, खबर, कथा, डॉक्यूमेण्ट्री, धारावाहिक आदि के द्वारा उत्साह भरते हैं जिससे उनमें हीन मनोवैज्ञानिकता का अन्त होता है और आत्म-विश्वास जागृत होता है।
10. महिलाओं को उनके अधिकारों तथा स्वतन्त्रता से परिचित कराते हैं जिससे वे समाजीकरण में सक्रिय भूमिका निभा कर अपने सशक्तीकरण की राह तय करती हैं ।
11. जनसंचार के साधनों द्वारा लैंगिक मुद्दों पर खुली बहस तथा परिचर्चा का आयोजन किया जाता है जिससे जागरूकता आती है।
12. जनसंचार के साधन सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलन्द करते हैं जिससे भी लिंगीय सशक्तीकरण तथा समाजीकरण में वृद्धि होती है।
13. जनसंचार के साधनों द्वारा समय-समय पर घटते लिंगानुपात तथा उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं से अवगत कराया जाता है, आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण किया जाता है। इससे भी जन-जागरूकता आती है तथा लिंगीय सुदृढ़ता और उनके समाजीकरण में सहायता प्राप्त होती है।
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