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अभिप्रेरणा क्या है? यह कितने प्रकार की होती है तथा इसका अधिगम प्रक्रिया में क्या महत्व है?

अभिप्रेरणा क्या है? यह कितने प्रकार की होती है तथा इसका अधिगम प्रक्रिया में क्या महत्व है?
अभिप्रेरणा क्या है? यह कितने प्रकार की होती है तथा इसका अधिगम प्रक्रिया में क्या महत्व है?

अभिप्रेरणा क्या है? यह कितने प्रकार की होती है तथा इसका अधिगम प्रक्रिया में क्या महत्व है?

प्राणी की क्रिया एवं व्यवहार के पीछे कोई न कोई प्रेरणा होती है। उसी से प्रेरित होकर वह कार्य करता है। इसी प्रेरक शक्ति को अभिप्रेरणा कहा जाता है।

अभिप्रेरणा का अर्थ एवं परिभाषा 

अभिप्रेरणा प्राणी की क्रिया को जाग्रत करने, उसे जारी रखने व उसमें उसकी अभिरुचि को बनाये रखने की प्रक्रिया है। अतः इसका अर्थ- वह शक्ति किसी प्राणी को क्रियाशील बनाती है। मोटिवेशन शब्द की व्युत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘Movere’ से हुई है जिसका अर्थ है- गति करना अर्थात् यह किसी कार्य को जारी रखने में गति प्रदान करती है। अभिप्रेरणा की परिभाषा विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अपनी-अपनी तरह से दी हैं।

1. जॉनसन, ” प्रेरणा सामान्य क्रियाओं का प्रभाव है जो प्राणी के व्यवहार की ओर संकेत करता है और उसका मार्ग निर्देशन करता है।”

2. गुड, “क्रिया को उत्तेजित करने, जारी रखने, और नियंत्रित करने की प्रक्रिया को अभिप्रेरणा कहते हैं।”

3. वुड वर्थ, “प्रेरणा व्यक्ति की वह दशा है जो कि उसे निश्चित व्यवहार करने के लिए और निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उत्तेजित करती है।”

4. गिल्फोर्ड, “अभिप्रेरक एक विशेष आन्तरिक कारक अथवा स्थिति है जो किसी क्रिया को प्रारम्भ करने एवं उसे जारी रखने की प्रवृत्ति रखता है।”

5. एटकिन्सन, “अभिप्रेरणा एक अथवा अनेक प्रभावों को उत्पन्न करने के लिए, व्यक्ति में कार्य करने की प्रवृत्ति को उत्तेजित करती है। “

6. ब्लेयर, जोन्स एवं सिम्पसन, “अभिप्रेरणा एक प्रक्रिया है जिसमें सीखने वाले की आन्तरिक शक्तियाँ अथवा आवश्यकताएँ उसके वातावरण में विभिन्न लक्ष्यों की ओर अग्रसर होती हैं।”

7. जेम्स ड्रेवर, “अभिप्रेरणा एक भावात्मक एवं क्रियात्मक कारक है जो कि चेतन अथवा अचेतन लक्ष्य की ओर होने वाले व्यक्ति के व्यवहार की दशा को निश्चित करने का कार्य करती है।” उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर हम अभिप्रेरणा के कार्यों को समझ सकते हैं।

अभिप्रेरणा के कार्य

अभिप्रेरणा के निम्नांकित चार कार्य हैं-

  • (क) यह बच्चे को ऊर्जावान बनाती है तथा कार्य को प्रारम्भ करती है।
  • (ख) यह अधिगम ऊर्जा के कार्य को दिशा प्रदान करती है।
  • (ग) यह व्यवहार का नियंत्रण करती है।
  • (घ) यह कार्य को जारी रखती है।

अभिप्रेरणा के प्रकार 

अभिप्रेरणा दो प्रकार की होती है- 1. आन्तरिक तथा 2. बाह्य अभिप्रेरणा।

(क) आन्तरिक अभिप्रेरणा : यह व्यक्ति के अन्दर की शक्ति होती है। इसके अन्तर्गत जिज्ञासा, आकांक्षा का स्तर, ख्याति पाने की इच्छा, आदि आते हैं। इसमें अभिप्रेरक, चालक तथा आवश्यकताओं को भी सम्मिलित किया जाता है।

(ख) बाह्य अभिप्रेरणा: ये व्यक्ति के बाहर की शक्तियाँ होती हैं जो पर्यावरण से सम्बद्ध होती हैं। यह अभिप्रेरणा प्रोत्साहन द्वारा दी जाती है। प्रोत्साहन में प्रशंसा, दोषारोपण, पुरस्कार, दण्ड, अंक, श्रेणी, प्रतियोगिता एवं सहयोग आते हैं।

अभिप्रेरणा का महत्व 

अभिप्रेरणा का अधिगम प्रक्रिया में बड़ा भारी महत्व है। यह बालक में अध्ययन के प्रति रुचि जगाती है। इस संबंध में क्रो एवं क्रो ने कहा है, “अभिप्रेरणा सीखने में रुचि उत्पन्न करने के साथ. संबंधित है और इस सीमा तक सीखने की बुनियाद है।”

वस्तुतः अधिगम के साथ अभिप्रेरणा का गहरा संबंध है। सीखना उद्देश्य पूर्ण है। और उसका कोई न कोई लक्ष्य होता है। इसलिए अभिप्रेरणा प्रक्रिया का एक केन्द्रीय तत्व है। कैली (Kelly) के शब्दों में, “सीखने की प्रक्रिया की प्रभावशाली व्यवस्था में अभिप्रेरणा एक केन्द्रीय तत्व है। हर प्रकार के अधिगम में कोई न कोई अभिप्रेरणा अवश्य होती है।”

अभिप्रेरणा अधिगम प्रक्रिया को प्रारम्भ करती है तथा उसे जारी रखने एवं नियंत्रित रखने में महत्ती भूमिका निभाती है। अभिप्रेरणा अधिगम प्रक्रिया को शक्ति प्रदान करती है तथा उसे गति देती है। अभिप्रेरणा ध्यान एवं रुचि को जगाने वाली शक्ति है। अभिप्रेरणा इस तरह अधिगम में बालक के ध्यान एवं रुचि को जगाने का काम करती है। यह व्यक्ति के कार्य (अधिगम) को शक्ति प्रदान करती है। वास्तक में बिना अभिप्रेरणा के अधिगम प्रक्रिया प्रभावी नहीं हो सकती।

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Anjali Yadav

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