आधुनिक भारतीय इतिहास में डॉ. रमेश चन्द्र मजूमदार का योगदान बताइये।
अथवा
इतिहास लेखन की भारतीय परम्परा में आर. सी. मजूमदार का योगदान बताइये।
यद्यपि भारतीय सभ्यता में इतिहास लेखन की परम्परा बहुत प्राचीन हैं तथा इतिहास को पंचम वेद की संज्ञा प्रदान की गई हैं। कौटिल्य तथा कल्हण की परम्परा को आगे बढ़ाने का श्रेय डा. रमेश चन्द्र मजूमदार को दिया जाता हैं। उनका भारतीय इतिहास लेखन में सबसे बड़ा योगदान तथ्यों पर आधारित इतिहास लेखन रहा हैं, उनका योगदान निम्न अनुसार हैं:
डॉ. रमेश चन्द्र मजूमदार (1888-1963 ई.):- डा. मजूमदार भारतीय इतिहास के अद्वितीय विद्वान थे। वे प्राचीन मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास के अच्छे ज्ञाता थे। भारतीय इतिहास लेखन में उनका योगदान मौलिक एवं तथ्यों पर आधारित हैं। उनका इतिहास दर्शन उनकी विविध पुस्तकों से प्रतिबिम्बित होता हैं। कारपोरेट इन ऐन्शियन्ट इण्डिया उनकी प्रमुख कृति हैं। बंगाल का इतिहास तथा जावा पर उनके शोधपूर्ण ग्रन्थ अपना स्वतन्त्र महत्व रखते हैं। डा. राय चौधरी के साथ मिलकर उन्होंने AD VANCED HISTORY OF INDIA नामक ग्रन्थ लिखा, जिसमें प्राचीन से आधुनिक समय तक के भारतीय इतिहास का विवरण मिलता हैं। कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने भारतीय विधा भवन को स्थापित कर भारत का वृहत इतिहास पुनः लिखने के लिए मजूमदार को सम्पादक बनाया जहाँ से मजूमदार ने HISTORY AND CULTURE OF INDIAN PEOPLE सीरीज का किया था। इसमे उन्होंने प्रारम्भिक काल से महमूद गजनवी तक का विवरण दिया हैं, साथ ही भारतीय इतिहास को तीन खण्ड़ों में विभाजित किया प्राचीन काल, प्रारम्भ से 1000 ई. तक मध्यकाल 1000 ई. से 1818 ई. तक और आधुनिक काल 1818 ई. से आगे तक निर्धारित किया गया हैं। इस लेखन कार्य में मजूमदार के रूढ़िवादी विचार स्पष्ट दिखाई देते हैं। इसमें प्रथम बार लिखा गया हैं कि हिन्दू-मुस्लिम दो पृथक संस्कृतियाँ हैं, जो असत्य नहीं पर दोनों में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित करने का प्रयास नहीं किया गया। मूलत: एक यह लेखन कार्य भी राजनीतिक सीरीज बनकर रह गया। इन तीनों खण्ड़ों का अनुवाद पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभागाध्यक्ष डा. योगेन्द्र मिश्र ने 1954 ई., 1958 ई. तथा 1961 ई. में किया। तीसरे खण्ड़ में भारत-पाक विभाजन, रियासतों के विलय और भारत को संविधान के सारांश को परिशिष्ट के रूप में जोड़ा गया।
भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम को नये अर्थ में प्रस्तुत करने के उद्देश्य से मजूमदार ने भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर अनेक खण्ड़ों में ग्रन्थ की रचना की हिस्ट्री ऑफ फ्रीडम मूवमेन्ट में उन्होंने यह बताने का प्रयास किया हैं कि वस्तुतः कौन-कौन सी घटनाएं कब घटित हुई। यह ग्रन्थ अंग्रेजी भाषा में 11 वोल्यूम्स में प्रकाशित हुआ। उनकी अन्य प्रकाशित रचनाएं- दि वाकाटक, गुप्त, दि क्लासिकल एज: द वैदिक एज, द एज ऑफ इम्पीरियल यूनिटी: क्लासिकल एकाउण्ट्स ऑफ इण्डिया, द स्ट्रगल फॉर एम्पायर, द इज ऑफ इम्पिरियल कन्नौज आदि। उन्होंने हेरास स्मारक भाषण माला में इतिहास लेखन से संबंधित जो व्याख्यान दिया वह बाद में HISTORY GRAPHYIN MOD ERN INDIA नाम से प्रकाशित हुआ। उनके द्वारा सम्पादित पुस्तक THE HIS TORY AND CULTURE OF INDIAN PEOPLE एक राष्ट्रीय भावना से पूर्ण इतिहास दृष्टि प्रस्तुत करती हैं। अनेक इतिहास लेखन की विशेषताओं को देखकर ही उनको एक राष्ट्रीय इतिहासकार कहा गया हैं। उन्होंने अनुभव किया कि आधुनिक भारतीय इतिहासकार वस्तु निष्ठता से हटकर राजनैतिक नीतियों और सिद्धांतों की और उन्मुख हो रहा हैं और सरकार इतिहासकारों को मद और प्रतिष्ठा से आकर्षित कर रही हैं। उनका इतिहास लेखन ऐतिहासिक व्याख्या और निष्पक्ष राष्ट्रीयता के विचारों से प्रेरित हैं।
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