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भूगोल का अर्थ स्पष्ट करते हुए विविध परिभाषाओं का विश्लेषण कीजिये ।
भूगोल का अर्थ- ‘भूगोल’ (Geography) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग आज से लगभग 2300 वर्ष पूर्व इरेटोस्थनीज ने किया। Geography’ शब्द ग्रीक भाषा के शब्दों ‘Geo’ तथा ‘Graphein’ से मिलकर बना हैं, जिसका अभिप्रायः क्रमशः पृथ्वी (Geo = Earth) तथा वर्णन करना (Graphein = to describe and write) अर्थात् पृथ्वी का स्पष्टतः वर्णन करना ही भूगोल है। प्रो. पीटर हैगेट ने भूगोल के अध्ययन को केवल पृथ्वी का ही अध्ययन नहीं माना वरन् इसमें मानवीय अध्ययन को भी समाहित किया है अर्थात् पृथ्वी तथा पृथ्वी पर रहने वाले लोगों का अध्ययन ही भूगोल है।
भूगोल को विस्तृत एवं व्यापक अर्थों में परिभाषित करने का कार्य प्रसिद्ध अमेरीकन भूगोलवेत्ता रिचार्ड हार्टशोर्न ने 1939 में किया। उनके अनुसार, “भूगोल वह विज्ञान है, जो पृथ्वी की सतह के परिवर्तनीय लक्षणों का सही व्यवस्थित तथा आनुपातिक विवरण एवं व्याख्या प्रस्तुत करना है।” इसमें प्रस्तुत शब्द “परिवर्तित लक्षणों” का अभिप्राय भूगोलवेत्ता को स्थानिक विविधताओं से लेना चाहिए, जिन्हें सभी मापनी के मानचित्रों तथा ग्लोब पर प्रस्तुत किया जा सकता है। यहाँ लक्षण शब्द का अभिप्राय भू-दृश्य के दृष्टिगत लक्षणों से है, जिसे कार्ल सावर ने अपनी पुस्तक ‘ The morphology of landscape’ में स्पष्ट रूप से समझाया है। भौगोलिक दृश्य भूमि के अध्ययन में प्राकृतिक दृश्य भूमि तथा मानव निर्मित सांस्कृतिक भू-दृश्य का समानान्तर महत्त्व है। भू-सतह का अभिप्राय: पृथ्वी के चारों ओर विस्तृत परतनुमा आवरण से है, जो पृथ्वी की परिधि का मात्र एक हजारवें भाग के समान मोटा है तथा – जिस पर प्राकृतिक रूप में निर्मित परिवेश में मानव जाति अपना आवास बनाकर विभिन्न जीवों के साथ जीवित रहती है। इस भू-सतह का 70.87 प्रतिशत भाग जलावरित तथा 29.13 प्रतिशत भाग स्थल आवरित है। भू-सतह की औसत मोटाई इस सन्दर्भ में पीटर हैगेट महोदय ने 10 किलोमीटर तक मानी है। जबकि पृथ्वी की आन्तरिक संरचना के अध्ययन के सन्दर्भ में भूसतह जिसे होम्स ने भूपर्पटी कहा है कि मोटाई 8 किलोमीटर से 65 किलोमीटर के मध्य मानी है।
भूगोल की परिभाषा-
विभिन्न विद्वानों ने भूगोल को निम्नानुसार परिभाषित किया है-
(1) “भूगोल पृथ्वी तल का, उसकी क्षेत्रीय भिन्नता के साथ, मानवीय निवास के रूप में अध्ययन है।” -मोंकहाऊस
(2) “भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी के एक स्थान से दूसरे स्थान तक परिवर्तनशील स्वरूपों का वर्णन और उनकी व्याख्या ‘मानव के संसार’ के रूप में करता हैं।” —होर्टशोर्न
(3) “भूगोल में पृथ्वी तल का अध्ययन किया जाता है जो कि मानव का निवास गृह है।” – कार्ल रिटर
(4) ” भूगोल में पृथ्वी तल के विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन उनकी समस्त विशेषताओं के अनुसार किया जाता है।” -रिचथोफेन
(5) ‘भूगोल वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी के उस भाग का अध्ययन किया जाता है जो कि मानव का घर हैं।” – इमेनुएल कान्ट
(6) “भूगोल क्षेत्रीय विज्ञान है जिसमें पृथ्वी तल के क्षेत्रों का अध्ययन उनकी भिन्नताओं तथा स्थानिक सम्बन्धों की पृष्ठभूमि में किया जाता है।” – हेटनर
(7) “भूगोल में भू-क्षेत्र तथा मानव का अध्ययन होता है।” – वूलरिज तथा ईस्ट
इन विद्वानों ने अपनी परिभाषा में तीन बातों को प्रधानता दी है- (i) पृथ्वी तल का वैज्ञानिक अध्ययन (ii) पृथ्वी तल की विभिन्नताओं के आधार पर पृथ्वी के विभिन्न प्राकृतिक भाग, जिनमें मानवीय क्रियाओं की विभिन्नताएँ भी सम्मिलित रहती है। और (iii) तथ्यों के पारस्परिक सम्बन्ध।
पारस्परिक सम्बन्धों की महत्ता पर बल देते हुए उन्होंने लिखा है कि वस्तुओं के अनुपात और सम्बन्ध भी उतने ही तथ्य है जितनी कि वे वस्तुएँ स्वयं होती है।
(8) “भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी तल पर मानव वातावरण के पारिस्थितिक तन्त्र और प्रदेशों के स्थानिक तन्त्र की संरचनाओं तथा पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन करता है। ” -पीटर हैगेट
(9) “भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी तल पर समस्त मानव जाति और उसके प्राकृतिक वातावरण की पारस्परिक क्रियाशील विस्तृत प्रणाली का अध्ययन करता है।” – एकरमैन
(10) “भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी की सतह के विभिन्न क्षेत्रों में प्राकृतिक एवं मानवीय तथ्यों की पारस्परिक क्रियाओं द्वारा निर्मित समिश्र समाकलित प्रदेशों की व्याख्या करता है। ” – आई.पी. गैरासिमोव
(11) “भूगोल वह विज्ञान है, जो भूतल पर विभिन्न अभिलक्षणों की अवस्थिति तथा स्थानिक वितरण की व्याख्या तथा भविष्यवाणी करने वाले सिद्धान्तों का परीक्षण और परिमेय विकास करता है।” – यीट्स
(12) ‘भूगोल हमको स्थल एवं महासागरों में रहने वाले जीवों के बारे में ज्ञान बताने के साथ-साथ विभिन्न लक्षणों वाली पृथ्वी की विशेषताओं को समझाता है।” – स्ट्रेबो
(13) “भूगोल वह विज्ञान है जो पृथ्वी की झलक स्वर्ग में देखता है।” – टॉलमी
(14) “भूगोल के अध्ययन का लक्ष्य पृथ्वी की सतह है। जहाँ उस जलवायु, भू सतही स्वरूप, जल, वन, मरूस्थल, खनिज, पशु एवं मनुष्य का निरीक्षण एवं उनकी व्याख्या होती है।” – वारेनियस
(15) डडले स्टाम्प के अनुसार- (i) पृथ्वी तल तथा उसके निवासियों का विवरण (ii) एवं मानव पारिस्थितिकी का विवरण (iii) पृथ्वी तल की क्षेत्रीय भिन्नताओं का विवरण इस प्रकार स्टेम्प के अनुसार भूगोल में भू-त्तल का वर्णन उसमें व्याप्त क्षेत्रीय भिन्नताओं तथा उनके सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। स्टाम्प ने मानव पारिस्थितिकी के अध्ययन पर भी बल दिया है।
उपर्युक्त परिभाषाओं में हार्टशार्न द्वारा दी गई परिभाषा को तेजी से यूरोप एवं अमेरिका में मान्यता मिली। इसमें कई तथ्यों को एक साथ एकीकृत रूप में विभिन्न स्तर पर सम्बन्धित होते हुए व्यापक रूप में भूतल पर वितरित माना गया है।
भूगोल की उपादेयता –
भूगोल एक महत्त्वपूर्ण विषय है। इसकी उपादेयता निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट है –
- प्राकृतिक संसाधनों की खोज और उनके उपयोग में सहायक।
- प्राकृतिक और सामाजिक आपदाओं का अध्ययन कर उनके समाधान में सहायक होना।
- कृषि की उत्पादन वृद्धि में मृदा तथा फसलों की खोज में सहायता करना।
- विश्व में मानव के निवास योग्य स्थानों की खोज में सहायता करना।
- भूमि उपयोग सर्वेक्षण द्वारा भूमि की उपादेयता में वृद्धि करना।
- मानव और पर्यावरण के मध्य सम्बन्ध का विवेचन कर पर्यावरणीय समस्याओं का अध्ययन कर उनके निराकरण का प्रयास करना।
- उद्योगों के लिए उपयुक्त स्थिति की पहचान कर औद्योगिक विकास में सहायता करना।
- नगरीय और ग्रामीण नियोजन की रूपरेखा तैयार कर उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ना।
- विकास की दृष्टि से पिछड़े क्षेत्रों की पहचान कर उनके विकास की रूपरेखा तैयार करना ।
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