मूल्यांकन एवं मापन का अर्थ बताइये तथा मूल्यांकन के उद्देश्य बताइये?
मूल्यांकन एवं मापन का अर्थ :- मूल्यांकन प्रक्रिया के छात्रों को उपलब्धि के विषय में निर्णय दिया जा सकता है। उपलब्धि कितनी और कैसी हुई यह भी जानना आवश्यक है। निर्णय देते समय उपलब्धि का स्तर जानना अनिवार्य है। मापन सम्बंध योग्यता अथवा गुण के विषय में यह ज्ञात करने से है कि उस योग्यता अथवा गुण की कितनी मात्रा मौजूद है। इसके आगे यह भी जानना जरूरी है कि योग्यता अथवा गुण की मात्रा पायी गई वह पर्याप्त एवं समुचित मात्रा में है या नहीं। मूल्यांकन में मापन तथा मूल्य निर्धारण दोनों ही का समावेश होता है। मापक का स्वरूप गुणात्मक अथवा संख्यात्मक हो सकता है। करालेनजर के शब्दों में मापन नियमानुसार वस्तुओं या घटनाओं की संख्या प्रदान करता है। वेलरो कहते हैं, मापन मूल्यांकन का वह भाग है जो प्रतिशत, मात्रा, अंको, मध्यमान तथा औसत आदि के द्वारा व्यक्त किया जाता है।
मूल्यांकन के लिए मापन अनिवार्य है, उसके अभाव में मूल्यांकन वैज्ञानिक रीति से नहीं हो सकता है। मापन का संबंध गणित की विशेष शाखा से है। जिसे सांख्यकीय (स्टेटिस्क) कहते हैं।
मूल्यांकन के उद्देश्य
- बालकों ने योग्यताओं, कुशलताओं, वृत्तियों, समझदारी आदि को अपने स्वयं में किस सीमा तक ग्रहण किया है, इसी की जांच करना।
- बालकों की सफलता, विफलता, बाधाएं तथा कठिनाईयों का समुचित निर्धारण करना।
- मूल्यांकन बालकों को उचित, शीर्षक एवं व्यावसायिक मार्गदर्शन देने में सहायक होता है।
- शैक्षिक कार्यक्रम शिक्षण विधियों आदि की उपयुक्ता की जांच करना।
- पाठ्यक्रम सुधार में सहायक।
- शिक्षकों की सफलता एवं कुशलता का माप करने में उपयुक्त।
शैक्षिक मूल्यांकन से शैक्षिक उद्देश्य किस सीमा तक प्राप्त किये गये यह जाना जा है। उससे छात्रों के व्यक्तित्व की पहचान भी होती है।
IMPORTANT LINk
- समस्या समाधान विधि के चरण
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- शिक्षण योजना पर टिप्पणी लिखिये।
- भूमि निर्वाह नीति से आपका क्या अभिनय है? इसके चरणों को लिखिये।
- इकाई योजना से आपका क्या अभिप्राय है? समझाइये।
- वार्षिक योजना तैयार करने के चरणों को संक्षेप में लिखिये।
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