मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं?
मूल्यांकन का अर्थ – शिक्षण क्रियाओं द्वारा ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों का विकास किया जाता है। निष्पत्ति परीक्षा द्वारा ज्ञानात्मक पक्ष के विकास का मापन किया जाता है। क्रियात्मक तथा भावात्मक पक्षों के विकास का मापन करना कठिन होता है, क्योंकि गुणात्मक चरों का मापन करना सम्भव नहीं होता है। इसलिए मूल्यांकन प्रक्रिया अधिक उपयोगी होती है। मूल्यांकन प्रक्रिया में गुणात्मक तथा परिमाणात्म्क के सम्बन्ध में जानकारी की जाती है। इसलिये आज शिक्षा में मापन की अपेक्षा मूल्यांकन को प्रमुख स्थान दिया जाता है। मापन की प्रक्रिया संकुचित है।
शिक्षा के अन्तर्गत केवल छात्रों की निष्पत्तियों का मापन करना ही पर्याप्त नहीं होता है अपितु शिक्षण की प्रक्रिया, शिक्षण विधियों, प्रविधियों, शिक्षण सहायक सामग्री, पुस्तकें, शिक्षण उद्देश्य आदि सभी तत्त्वों एवं क्रियाओं की उपयुक्तता का मूल्यांकन करना आवश्यक होता है। शिक्षण प्रक्रिया के विकास एवं सुधार के लिये मूल्यांकन विधि अधिक उपयोगी सिद्ध होती है। अतः यहाँ मूल्यांकन प्रक्रिया का विवेचन किया गया है।
शिक्षक जब उद्देश्य के लिये अधिगम-परिस्थितियों का सावधानी से निर्धारण कर लेता है तब मूल्यांकन के लिये परीक्षा का निर्माण किया जाता है। इस परीक्षा से यह निश्चय किया जाता है कि इन उद्देश्यों की प्राप्ति कहाँ तक हो सकी है। मेगर का कथन है कि इस सोपान में शिक्षक नियोजन, शिक्षण विधियों, प्रविधियों, अनुदेशन तथा अन्य शिक्षण सहायक सामग्री की उपयोगिता का मूल्यांकन करता है, जिससे उनमें सुधार तथा विकास के लिये शिक्षक को प्रोत्साहन मिलता है। उसके आधार पर शिक्षक उत्तम साधनों तथा स्रोतों का प्रयोग अधिगम के लिये करता है जिससे उसके शिक्षण कौशल का विकास होता है। इसके लिये शिक्षक मानदण्ड-परीक्षा की रचना करता है।
निष्पत्ति परीक्षा तथा मानदण्ड परीक्षा में अक्सर भ्रम हो जाता है। इन दोनों में अन्तर होता है। मानदण्ड-परीक्षा उद्देश्यों के मूल्यांकन पर बल देती है जबकि निष्पत्ति परीक्षा पाठ्यवस्तु के मापन को महत्त्व देती है।
मूल्यांकन की परिभाषा – मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा अधिगम परिस्थितियों तथा सीखने के अनुभवों के लिये प्रयुक्त की जाने वाली सभी विधियों एवं प्रविधियों की उपादेयता की जाँच की जाती है। मूल्यांकन शब्द शिक्षा तथा मनोविज्ञान के विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त किया गया है तथा इसको कई प्रकार से परिभाषित भी किया गया है, क्वालेन तथा हन्ना की परिभाषा अधिक सार्थक प्रतीत होती है। उसके अनुसार-
“विद्यालय द्वारा छात्र के व्यवहार परिवर्तन के सम्बन्ध में प्रदत्तों के संकलन तथा उसकी व्याख्या करने की प्रक्रिया को मूल्यांकन कहते हैं।”
उदयपुर में बोर्ड पेपर सेंटर्स की जून 1967 में हुई गोष्ठी के अनुसार, “मूल्यांकन उद्देश्य आधारित अनुदेशन एवं छात्रों की प्रगति का निरन्तर एवं विस्तृत निर्धारण, अनुदेशन एवं अधिगम सुधार करने की प्रक्रिया है, जिससे कि बालक के पूर्ण विकास में योगदान मिल सके।”
मूल्यांकन प्रक्रिया का सम्बन्ध शिक्षण के मापन और अधिगम के उद्देश्यों की प्राप्ति से होता है। परम्परागत परीक्षा प्रणाली में पाठ्य-वस्तु तथा छात्रों की निष्पत्तियों को ही महत्तव दिया जाता है। छात्रों की सफलता तथा असफलता का उत्तरदायित्व शिक्षक न होकर उन्हीं का माना जाता है। इसलिये शिक्षण की प्रक्रिया में अधिक विकास एवं परिवर्तन नहीं हो सका है। मूल्यांकन प्रक्रिया अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति के आधार पर अपने शिक्षण, शिक्षण विधियों, प्रविधियों तथा सहायक सामग्री की उपादेयता का मूल्यांकन करती है, क्योंकि छात्रों की सफलता और असफलता के लिये अधिगम परिस्थितियाँ ही वास्तव में उत्तरदायी होती हैं, परन्तु अभी इस प्रक्रिया का उपयोग शिक्षा में पूरी तरह नहीं हो पा रहा है क्योंकि मूल्यांकन के लिये शिक्षा एवं प्रशिक्षण के उद्देश्य स्पष्ट नहीं हैं तथा शैक्षिक मापन अक्सर कठिन होता है।
IMPORTANT LINk
- समस्या समाधान विधि के चरण
- भूमि निर्वाह नीति की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- शिक्षण योजना पर टिप्पणी लिखिये।
- भूमि निर्वाह नीति से आपका क्या अभिनय है? इसके चरणों को लिखिये।
- इकाई योजना से आपका क्या अभिप्राय है? समझाइये।
- वार्षिक योजना तैयार करने के चरणों को संक्षेप में लिखिये।
- राजनीति विज्ञान में समस्या समाधान विधि द्वारा समस्या चयन सम्बन्धी कौनसी सावधानियाँ रखी जानी चाहिए?
- सतत्- आन्तरिक मूल्यांकन एवं सत्रान्त-बाह्य मूल्यांकन की तुलना कीजिये ।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की संकल्पना को विकसित कीजिये।
- भूगोल शिक्षण में मूल्यांकन की विशेषताएँ
- कक्षा-कक्ष सहभागिता का आंकलन करने की मुख्य कसौटी किस प्रकार की हो सकती है?
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के गुणों की विवेचना कीजिये।
- इकाई योजना के सोपानों को लिखिये।
- इकाई के प्रकारों का उल्लेख कीजियें।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की आवश्यकता को बताइये।
- पाठ योजना के प्रकार समझाइये।
- पाठ योजना की आवश्यकता | lesson plan required in Hindi
- दृष्टान्त सहित उदाहरण नीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रोजेक्ट विधि के अर्थ एवं स्वरूप | Meaning and nature of project method in Hindi
Disclaimer