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श्रम निकासी का अर्थ | श्रम निकासी के कारण | श्रम निकासी का प्रभाव | श्रम निकासी को रोकने के लिए आवश्यक कदम
श्रम निकासी का अर्थ (Meaning of Labour Turnover) — प्रायः प्रत्येक कारखाने में कार्यरत नियमित श्रमिकों की कुल संख्या में परिवर्तन होता रहता है अर्थात् कुछ श्रमिक स्वेच्छा से छोड़कर चले जाते हैं या कुछ को नियोक्ता निकाल देता है। इस प्रकार जाने वाले श्रमिकों के स्थान पर नये श्रमिक लगाये जाते हैं। श्रमिकों की संख्या में होने वाले इस परिवर्तन को ‘श्रम निकासी’ कहते हैं।
श्रम निकासी के कारण (Causes of Labour Turnover)
किसी संख्या में श्रम निकासी के प्रमुख कारणों को निम्नलिखित तीन शीर्षकों में बांटा जा सकता है—
(I) व्यक्तिगत कारण (Personal Causes)— ये ऐसे कारण होते हैं जोकि श्रमिकों को अपना कार्य छोड़ने के लिए बाध्य करते हैं। इनमें निम्न कारणों को सम्मिलित किया जाता है—
- श्रमिक को श्रेष्ठ कार्य मिल जाना,
- अस्वस्थ या बुढ़ापे के कारण समय से पहले अवकाश ग्रहण करना
- घरेलू समस्याएं एवं पारिवारिक दायित्व
- कार्य का असंतोषजनक वातावरण ।
उपर्युक्त समस्त दशाओं में, श्रमिक अपनी इच्छा से संस्था को छोड़ जाते हैं। इसलिए प्रथम तीन दशाओं में कोई निदान सम्भव नहीं है परन्तु अन्तिम दशा में कार्य के लिए स्वस्थ वातावरण बनाकर श्रमिकों के कार्य छोड़ने से रोका जा सकता है।
(II) अनियन्त्रणीय कारण (Unavoidable Causes) — ये ऐसे कारण होते हैं जिनके अन्तर्गत प्रबन्धन के लिए यह अनिवार्य हो जाता है कि संस्था से कुछ श्रमिकों को छोड़कर जाने के लिए कहा जाए। ये कारण निम्नलिखित है-
- मौसमी प्रकृति का उद्योग होने पर।
- कच्ची सामग्री तथा शक्ति की कमी, उत्पादन कम करने के लिए।
- कारखाना स्थल में परिवर्तन ।
- अयोग्यता जिसके कारण श्रमिक कार्य करने के योग्य नहीं हैं।
- अनुशासनित्मक की कार्यवाही ।
- विवाह होने पर (प्रायः महिलाओं की दशा में)
(III) नियन्त्रणीय कारण ( Avoidable Causes)— ये ऐसे कारण होते हैं यदि प्रबन्धन लगातार ध्यान दे तो श्रम निकासी को कम किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कारण आते हैं—
- मजदूरी व भत्तों में कमी।
- स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी ।
- प्रबन्धकों का अनुचित व्यवहार ।
- पदौनति के अवसरों में कमी।
- कार्य का असंतोषजनक वातावरण।
- भेदपूर्ण भर्ती प्रणाली।
श्रम निकासी का प्रभाव (Effects of Labour Turnover)
यदि अधिक श्रम निकासी है तो इससे उत्पादन की लागत की दर निम्न ढंग से बढ़ जाती है—
- उत्पादन का प्रवाह गड़बड़ हो जाता है।
- नये श्रमिक की कार्य क्षमता कम होती है जिससे आरम्भ में अनुभवी श्रमिक की अपेक्षा उत्पादन कम होता है।
- नये श्रमिक की प्रशिक्षण लागत का व्यय भी होता है।
- नये श्रमिक होने के कारण औजारों के टूटने तथा सामग्री का अपव्यय अधिक होता हैं।
श्रम निकासी को रोकने के लिए आवश्यक कदम (Remedial steps to minimize Labour Turnover)
- जाने वाले श्रमिक के लिए साक्षात्कार रखा जाए और उसके संस्था को छोड़कर जाने के कारण निर्धारित किये जाए।
- श्रमिकों की भर्ती करने से पहले प्रत्येक उपकार्य की आवश्यकतानुसार उपकार्य विश्लेषण एवं मूल्यांकन का निर्धारण किया जाना चाहिए।
- संस्था को कर्मचारी के चुनाव, नियुक्ति व पदोन्नित का Sundew विधि का प्रयोग करना चाहिए।
- प्रबन्धन को सेवा शर्ते लागू करनी चाहिए व श्रमिकों की शिक्षा, प्रशिक्षण आदि का प्रबन्ध करना चाहिए।
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