सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता एवं उद्देश्य को स्पष्ट कीजिये ।
Contents
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन की आवश्यकता
वर्तमान मूल्यांकन व्यवस्था में किसी समय बिन्दु पर लिखित परीक्षा की व्यवस्था है, जब कि छात्र की संवृद्धि एवं विकास सम्पूर्ण सत्र में विकसित होता है। इसी प्रकार वर्तमान व्यवस्था में केवल शैक्षिक पहलुओं का मूल्यांकन होता है, जबकि छात्र के सर्वांगीण विकास में सह शैक्षिक पहलुओं का भी समान महत्व होता है।
यह अब सर्वमान्य तथ्य है कि प्रत्येक बच्चे की प्रकृति एवं सीखने के तरीके की गति में भिन्नता होती है तथा वे अलग-अलग तरीकों से सोखते हैं। हर विषय वस्तु को सीखने-सिखाने के तरीके में भिन्नता होने के कारण प्रत्येक बच्चे की प्रस्तुति एवं अभिव्यक्ति भी पृथक एवं विशिष्ट होती है। अतः यह आवश्यक है कि बच्चों का मूल्यांकन कागज कलम परीक्षा के अतिरिक्त अन्य विधाओं द्वारा भी किया जाये। अन्य विधाओं के प्रयोग से बच्चों की स्मृति क्षमता के स्थान पर अन्य उच्चतर क्षमताओं यथा-अभिव्यक्ति, विश्लेषण, समस्या का समाधान एवं अनुप्रयोग आदि दक्षताओं का विकास संभव होगा। चूँकि प्रत्येक बच्चे की प्रकृति विशिष्ट है और शिक्षण पद्धतियाँ भी भिन्न होती है, अतः एक समान मूल्यांकन पद्धति उपयुक्त नहीं हो सकती है। अतः सतत् व व्यापक मूल्यांकन आवश्यक है। सी.सी.ई. की आवश्यकता को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा दर्शाया गया है –
- शिक्षार्थी के ज्ञान और पाठ्यक्रम के विषयों और अन्य विषयों के बारे में उसकी प्रगति के बारे में सूचना एकत्र करने के लिए विविध प्रकार के तरीकों का उपयोग करना।
- सूचना निरंतर एकत्र करते रहना और उसके अभिलेखबद्ध करना।
- प्रत्येक विद्यार्थी के प्रत्युत्तर देने और सीखने के तरीके और उसमें लगने वाले समय को महत्त्व देना।
- निरंतर आधार पर रिपोर्ट देना और प्रत्येक विद्यार्थी की अनुक्रिया के बारे में संवेदनशील होना।
- ‘फीडबैक’ मुहैया करना, जिससे सकारात्मक कार्यवाही की जा सकेगी और विद्यार्थी को बेहतर ढंग से कार्य करने में सहायता मिलेगी।
- बच्चों पर पड़ने वाले दबाव को कम करना ।
- मूल्यांकन को व्यापक और नियमित बनाना।
- अध्यापक को सृजनात्मक अध्यापन के लिए गुंजाइश मुहैया करना।
- निदान और उपचार के साधन की व्यवस्था करना।
- अपेक्षाकृत अधिक कौशलों वाले शिक्षार्थियों का निर्माण करना।
मूल्यांकन का उद्देश्य यह जानना होता है कि हम शिक्षा के द्वारा उक्त लक्ष्यों को किसी सीमा तक प्राप्त कर पा रहे हैं। इसी क्रम में मूल्यांकन शिक्षा के सरोकारों पर आलोचनात्मक प्रतिपुष्टि की एक प्रणाली है। हम यह स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि विद्यालयों में लागू मूल्यांकन की प्रक्रियायें शिक्षा के लक्ष्यों के संबंध में समग्र प्रतिपुष्टि नहीं प्रस्तुत करती हैं वरन् केवल बच्चे के शैक्षिक एवं अकादमिक प्रगति के बारे में ही जानकारी देती हैं।
सतत् व व्यापक मूल्यांकन के उद्देश्य
- संज्ञानात्मक, मनोप्रेरक (साइकोमोटर) और प्रभावकारी कौशलों का विकास करने में सहायता देना।
- चिंतन की प्रक्रिया पर जोर देना और कंठस्थ करने पर बल न देना।
- मूल्यांकन को अध्यापन-शिक्षा प्राप्ति की प्रक्रिया का अभिन्न अंग बनाना।
- कार्य-निष्पादन का वांछित स्तर बनाए रखने के लिए मूल्यांकन का उपयोग एक गुणवत्ता नियंत्रण साधन के रूप में करना ।
- किसी कार्यक्रम की सामाजिक उपयोगिता, वांछनीयता अथवा प्रभावकारिता निर्धारित करना और शिक्षार्थी, शिक्षा प्राप्ति की प्रक्रिया और शिक्षा प्राप्ति के वातावरण के बारे में उपयुक्त निर्णय लेना।
- अध्यापन और शिक्षा-प्राप्ति की प्रक्रिया को शिक्षार्थी केन्द्रित क्रियाकलाप बनाना।
IMPORTANT LINk
- समस्या समाधान विधि के चरण
- भूमि निर्वाह नीति की विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- शिक्षण योजना पर टिप्पणी लिखिये।
- भूमि निर्वाह नीति से आपका क्या अभिनय है? इसके चरणों को लिखिये।
- इकाई योजना से आपका क्या अभिप्राय है? समझाइये।
- वार्षिक योजना तैयार करने के चरणों को संक्षेप में लिखिये।
- राजनीति विज्ञान में समस्या समाधान विधि द्वारा समस्या चयन सम्बन्धी कौनसी सावधानियाँ रखी जानी चाहिए?
- सतत्- आन्तरिक मूल्यांकन एवं सत्रान्त-बाह्य मूल्यांकन की तुलना कीजिये ।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की संकल्पना को विकसित कीजिये।
- भूगोल शिक्षण में मूल्यांकन की विशेषताएँ
- कक्षा-कक्ष सहभागिता का आंकलन करने की मुख्य कसौटी किस प्रकार की हो सकती है?
- सामाजीकृत अभिव्यक्ति विधि के गुणों की विवेचना कीजिये।
- इकाई योजना के सोपानों को लिखिये।
- इकाई के प्रकारों का उल्लेख कीजियें।
- सतत् व व्यापक मूल्यांकन (CCE) की आवश्यकता को बताइये।
- पाठ योजना के प्रकार समझाइये।
- पाठ योजना की आवश्यकता | lesson plan required in Hindi
- दृष्टान्त सहित उदाहरण नीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रोजेक्ट विधि के अर्थ एवं स्वरूप | Meaning and nature of project method in Hindi
Disclaimer