समस्या समाधान विधि के चरण लिखिये।
समस्या समाधान विधि के चरण
समस्या विधि की सफलता एवं उपयोगिता के लिए केवल समस्या समाधान के उपर्युक्त सिद्धान्तों को ध्यान में रखना ही पर्याप्त नहीं बल्कि उसे विधिवत् कार्यान्वित करना भी अत्यन्त आवश्यक है। इस विधि को अपनाते समय अध्यापक और विद्यार्थियों को एक निश्चित क्रम के अनुसार चलना चाहिए ताकि समस्या के प्रस्तुतिकरण तथा समाधान की प्राप्ति तक सम्पूर्ण विधि एक निश्चित प्रक्रिया के रूप में दिखाई दे। इस निश्चित क्रम में सामान्यतः निम्नलिखित चरण होते हैं:
1. प्रस्तुतिकरण :- इस विधि में सबसे पहले समस्या का प्रस्तुतिकरण किया जाता है। बच्चों को मानसिक व बौद्धिक रुप से तैयार कर लेना आवश्यक होता है। समस्या ऐसी शब्दावली से प्रस्तुत की जानी चाहिये जिससे एक ओर तो समस्या स्पष्ट हो जाएं तथा दूसरी ओर विद्यार्थियों में रुचि उत्पन्न हो जिससे हमारा शिक्षण कामयाब हो सके। अध्यापक को समस्या की पृष्ठभूमि का उल्लेख करके उसे विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत करना चाहिए।
2. वांछित सामग्री का चयन और संकलन :- आवश्यक निर्देशन के पश्चात् छात्रों को वांछित सामग्री के चयन में सहायता करनी चाहिए और सही दिशा में सामग्री का संकलन करना भी आना चाहिए।
3. निष्कर्ष :- तथ्यों के विश्लेषण करने के बाद उनका निष्कर्ष निकालना होता है। विद्यार्थियों को इस प्रकार से तैयार किया जाना चाहिये जिससे कि स्वयं निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतन्त्र छोड़ दिये जाऐं। आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक को भी छात्रों की यथासंभव सहायता करनी चाहिये जिससे की समस्या समाधान में बच्चों को कोई अड़चन न आए।
4. मूल्यांकन :- निष्कर्ष निकालने के पश्चात् उसका मूल्यांकन होना चाहिये और यदि संभव हो सके तो नियमों का सामान्यीकरण भी किया जाना चाहिये। नियमों के सामान्यीकरण करने से समस्या समाधान की जटिलता खत्म हो जाएगी।
5. लेखा तैयार करना :- अंत में जो कुछ भी छात्र द्वारा समस्या के प्रस्तुतीकरण से समाधान प्राप्ति तक का लेखा तैयार करना चाहिए ताकि यह उसके दूसरी समस्याओं के समाधान में काम आ सके।
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