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अर्थशास्त्र का क्षेत्र (Scope of Economics)
आधुनिक अर्थशास्त्री ‘अर्थशास्त्र के क्षेत्र के अन्तर्गत तीन बातों को सम्मिलित करते हैं–(I) अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री, (II) अर्थशास्त्र का स्वभाव- अर्थशास्त्र विज्ञान है या कला या दोनों तथा (III) अर्थशास्त्र की सीमाएँ।
अर्थशास्त्र की विषय सामग्री (Subject Matter of Economics)
अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री का ज्ञान हमें अर्थशास्त्र की विभिन्न परिभाषाओं से होता है। हम जानते हैं कि अर्थशास्त्र की परिभाषाओं में विभिन्नता पाई जाती है जिस कारण अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री सम्बन्धी विभिन्न दृष्टिकोण पाए जाते हैं जिन्हें मुख्यतया चार वर्गों में बाँटा जा सकता है—(1) प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों का मत, (ii) कल्याणवादी अर्थशास्त्रियों का मत, (iii) रॉबिन्स का मत, तथा (iv) आधुनिक दृष्टिकोण |
(1) प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों का मत-एडम स्मिथ, जे० बी० से मिल सीनियर आदि प्राचीन अर्थशास्त्रियों ने ‘पन’ (Wealth) को अर्थशास्त्र की विषय-सामग्री बताया। उनके विचार में अर्थशास्त्र धन के स्वभाव, कारणों आदि का विवेचन करता है। किन्तु उनके इस विचार की कटु आलोचना की गई क्योंकि उन्होंने धन को प्रमुख तथा मनुष्य को गौण स्थान दिया था। केवल धन की ही अर्थशास्त्र के अध्ययन का विषय मानना उचित नहीं समझा गया।
(2) कल्याणवादी अर्थशास्त्रियों का मत- तत्पश्चात् मार्शल तथा उनके साथियों ने बताया कि भौतिक कल्याण (Material Welfare) का अध्ययन किया जाता है। उनके विचार में अर्थशास्त्र सामाजिक, वास्तविक तथा साधारण मनुष्य को उन आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन है जो भौतिक कल्याण से सम्बन्धित है। इस प्रकार इन अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र में मानव के धन के स्थान पर मनुष्य के भौतिक कल्याण पर अधिक बल दिया।
(3) रॉबिन्स का मत- रॉबिन्स ने मार्शल तथा अन्य कल्याणवादी अर्थशास्त्रियों के मत की कटु आलोचना की तथा अर्थशास्त्र की ‘दुर्लभता का विज्ञान (Science of Scarcity) बताया रॉबिन्स के विचार में, अर्थशास्त्र मनुष्य के उन सभी कार्यों का अध्ययन करता है जिनका सम्बन्ध असीमित आवश्यकताओं तथा वैकल्पिक प्रयोग वाले सीमित साधनों से है। संक्षेप में, अर्थशास्त्र में चुनाव की समस्या (Problem of Choice) का अध्ययन किया जाता है।
(4) आधुनिक दृष्टिकोण- सम्बुजलसन, बेनहम, पीटरसन आदि आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार वर्तमान में दुर्लभ साधनों के कुशलतम आवंटन (allocation) तथा प्रयोग की समस्या मुख्यतया चुनाव की समस्या है तथा भविष्य में उनमें वृद्धि की समस्या आर्थिक विकास की समस्या है। इन विद्वानों के मत में अर्थशास्त्र का सम्बन्ध दुर्लभ साधनों के कुशलतम बँटवारे तथा उपयोग द्वारा आर्थिक विकास की गति को तीव्र करने तथा सामाजिक कल्याण में वृद्धि करने से है।
आर्थिक चक्र का अध्ययन (Study of Economic Circle)-आधुनिक अर्थशास्त्रियों के विचार में अर्थशास्त्र का सम्बन्ध साधनों के मितव्ययी उपयोग से है। हमारी आवश्यकताएं (Wants) तो जसीमित होती है, किन्तु उन्हें पूर्ण करने वाले साधन (Means) सीमित होते हैं। इन साधनों (धन) की प्राप्ति के लिए हमें प्रयत्न (Efforts) करने पड़ते हैं। साधनों के उपयोग द्वारा अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने पर हमें सन्तुष्टि (Satisfaction) मिलती है। सन्तुष्टि प्राप्त हो जाने पर मनुष्य की आवश्यकताएँ सदैव के लिए समाप्त नहीं हो जातीं बल्कि कुछ समय बाद वे फिर अनुभव की जाने लगती हैं अथवा कुछ नई आवश्यकताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। इसलिए मनुष्य धन प्राप्ति द्वारा आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहता है। आवश्यकताएँ-प्रयत्न-धन-सन्तुष्टि, इस आर्थिक चक्र (Economic Circle) का ही अर्थशास्त्र में अध्ययन किया जाता है।
IMPORTANT LINK
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