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केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (Central Rural Sanitation Programme)
यद्यपि ‘ग्रामीण स्वच्छता‘ राज्य सरकारों का विषय है तथापि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकारों के प्रयासों में सहयोग देने के उद्देश्य से वर्ष 1986 में केन्द्र प्रायोजित ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम लागू किया। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं।
उद्देश्य– (i) ग्रामीण जनता, विशेषकर गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों को स्वच्छता सुविधाएँ उपलब्ध कराने में तेजी लाना, जिससे ग्रामीण जलापूर्ति के प्रयासों में सहायता मिल सके।
(ii) पंचायती राज संस्थाओं तथा स्वैच्छिक संगठनों और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से जनता में सफाई के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना।
(iii) सभी विद्यमान शुष्क शौचालयों को कम लागत वाले स्वच्छ शौचालयों में बदलकर ‘सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करना ।
कार्यक्रम के घटक- इस कार्यक्रम के मुख्य घटक इस प्रकार हैं-(1) गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले ग्रामीण परिवारों के लिए अलग-अलग स्वच्छ शौचालयों का निर्माण, (ii) सूखे शौचालयों को फ्लश शौचालयों में बदलना, (iii) महिलाओं के लिए ग्राम स्वच्छता परिसर का निर्माण, (iv) ग्रामीण स्वच्छता बाजारों और उत्पादन केन्द्रों की स्थापना, (v) दरल व ठोस कूड़ा-करकट के निपटारे के लिए सोखता गड्ढ़ों का निर्माण द्वारा गाँव की पूर्ण स्वच्छता को बढ़ावा देना, (vi) स्वास्थ्य शिक्षा जागरूकता के लिए सघन अभियान चलाना, इत्यादि।
वर्तमान उद्देश्य-1 अप्रैल, 1999 को कार्यक्रम में संशोधन किया गया। अब कार्यक्रम का उद्देश्य अधिक से अधिक ग्रामीण जनसंख्या को इसमें शामिल करना है। स्कूल स्वच्छता को इसका मुख्य अंग बनाया गया है। अब इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ‘सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान’ (Total Sanitation Campaign) चलाया गया है।
प्रगति- सम्पूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम के तहत 30 राज्यों केन्द्र शासित प्रदेशों में 593 ग्रामीण जिलों में 17.885 करोड़ ₹ के व्यय से सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान योजनाएँ स्वीकृत की गई 2007-08 में 1.15 करोड़ ग्रामीण परिवारों को शौचालयों की सुविधा प्राप्त थी. 2008-09 में बढ़कर यह संख्या 1.16 करोड़ हो गई थी। वर्ष 2010-11 के बजट में इस कार्यक्रम के लिए 1,580 करोड़ ₹ का प्रावधान किया गया।
सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan)
देश के 6 से 14 वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को वर्ष 2010 तक आठवीं कक्षा तक की निःशुल्क गुणवत्तापरक प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2000-01 में सर्व शिक्षा अभियान’ की घोषणा की गई जिसे वर्ष 2001-02 में संचालित किया गया था। यह कार्यक्रम राज्य सरकारों के सहयोग से चलाया जा रहा है।
कार्यक्रम की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार है- (1) बालिकाओं, विशेषकर अनुसूचित जाति/जनजाति तथा अल्पसंख्यक वर्ग की बालिकाओं पर ध्यान देना, (II) विद्यालय छोड़कर जा चुकी बालिकाओं को वापिस लाने हेतु अभियान चलाना, (iii) लड़कियों के लिए निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकें, (iv) बालिकाओं को विशेष कोचिंग, (v) शिक्षा के समान अवसरों को बढ़ावा देना, (vi) बालिका शिक्षा सम्बन्धी प्रयोगात्मक परियोजनाओं पर विशेष ध्यान, (vii) 50 प्रतिशत महिला शिक्षकों की नियुक्ति।
इस कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्य इस प्रकार हैं–(1) वर्ष 2007 तक 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चे पाँच वर्ष की शिक्षा पूरी कर ले, (I) 2010 तक 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चे आठ वर्ष की स्कूली शिक्षा पूरी करें, (iii) प्राथमिक स्तर पर वर्ष 2007 तक और बुनियादी शिक्षा के स्तर पर वर्ष 2010 तक सभी लैंगिक एवं सामाजिक भेदभाव समाप्त करना।
इस योजना के सफल क्रियान्वयन को सुनिश्चित करने हेतु प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में ‘राष्ट्रीय सर्वशिक्षा अभियान मिशन’ का गठन किया गया है।
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