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आर्थिक नियम (Economic Laws)
नियम का अर्थ (Meaning of Law)
सामान्यतः दो घटनाओं के पारस्परिक सम्बन्ध को प्रकट करने वाले कथन को ‘नियम‘ कहते हैं। प्रो० टगवैत (Tugwell) के शब्दों में, “एक नियम, देखे गए सम्बन्धों का सारांश है।” एनातोल टगवेल के अनुसार, घटनाओं में पाई जाने वाली समानताओं तथा एकरूपता के कथन को सामान्यीकरण, सिद्धान्त अथवा नियम कहते हैं।” उदाहरणार्थ, जैसे-जैसे हम किसी वस्तु की अधिक इकाइयों को खरीदते हैं वैसे-वैसे उस वस्तु से प्राप्त होने वाला तुष्टिगुण (Utility) घटता जाता है। अर्थशास्त्र में इस प्रवृत्ति को “हासमान सीमान्त तुष्टिगुण नियम (Law of Diminishing Marginal Utility) कहते हैं।
नियम के प्रकार (Kinds of Law)
नियम मुख्यतया निम्न प्रकार के होते हैं-
(1) वैधानिक नियम (Statutory Laws)—ये नियम या कानून सरकार द्वारा अपने देशवासियों के लिए बनाए जाते है। ये नियम देश की सीमा में ही लागू होते हैं तथा इन नियमों का उल्लंघन करने वालों को दण्ड दिया जाता है।
(2) नैतिक नियम (Moral Laws)- जो नियम मनुष्य के जीवन को नैतिक दृष्टि से नियमित करने के लिए बनाए जाते हैं, ये नैतिक नियम कहलाते हैं। उदाहरणार्य, सदैव सच बोलना चाहिए, सन्तोष का जीवन व्यतीत करना चाहिए आदि नैतिक नियम हैं।
(3) सामाजिक नियम (Social Laws)–ये नियम विभिन्न समाजों द्वारा अपने सदस्यों के सामाजिक जीवन को नियमित करने के लिए बनाए जाते हैं, जैसे जन्म पर नामकरण संस्कार, मृत्यु पर दाह-संस्कार, विवाह पर कन्यादान आदि ये नियम विभिन्न समाजों में प्रचलित रीति-रिवाजों तथा परम्पराओं पर आधारित होते हैं। इन नियमों का पालन न करने पर मनुष्य का समाज में अनादर होता है।
(4) वैज्ञानिक या प्राकृतिक नियम (Scientific or Natural Laws)- ये नियम कारण’ तथा ‘परिणाम’ के पारस्परिक सम्बन्ध को स्पष्ट करते हैं। अर्थशास्त्र के नियम वैज्ञानिक नियम है, क्योंकि ये मनुष्य के आर्थिक कार्यों सम्बन्धी कारण’ तथा परिणाम की व्याख्या करते हैं। उदाहरणार्थ, मांग का नियम (Law of Demand) बताता है कि यदि अन्य बातें समान रहे तो किसी वस्तु की कीमत के बढ़ने पर (कारण) उसकी मांग घट जाती है (परिणाम)।
आर्थिक नियम का अर्थ (Meaning of Economic Law)
‘आर्थिक नियम’ मनुष्य के आर्थिक प्रयत्नों के कारण तथा ‘परिणाम’ के सम्बन्ध को स्पष्ट करते हैं। दूसरे शब्दों में, दो आर्थिक घटनाओं के पारस्परिक सम्बन्ध को स्पष्ट करने वाला सामान्य कवन ही ‘आर्थिक नियम’ कहलाता है। उदाहरण के लिए जिस दिन बाजार में टमाटर की कीमत बढ़ जाती है उस दिन टमाटर की माँग घट जाती है तथा जिस दिन इसकी कीमत घट जाती है उस दिन इसकी मांग बढ़ जाती है। कीमत का घटना या बढ़ना ‘कारण’ (cause) है जबकि माँग का बढ़ना या कम होना परिणाम (effect) है। इन कारणों तथा परिणामों के पारस्परिक सम्बन्ध के आधार पर हो माँग के नियम का निर्माण किया गया है जो बात है कि यदि अन्य बातें समान रहे तो किसी वस्तु की कीमत के बढ़ने पर उसकी माँग घट जाती है तथा कीमत के कम होने पर उसकी मांग बढ़ जाती है।
परिभाषाएँ (Definitions)- (1) मार्शल (Marshall) के शब्दों में, “आर्थिक नियम अथवा आर्थिक प्रवृत्तियों के कचन वे सामाजिक नियम है जिनका सम्बन्ध व्यवहार की उन शाखाओं से होता है जिनमें मनोवृत्तियों की शक्ति को मौद्रिक मूल्य के द्वारा मापा जा सकता है। इस परिभाषा से ये बातें स्पष्ट होती हैं–(1) आर्थिक नियम मानव की आर्थिक प्रवृत्तियों के कयनमात्र होते हैं, अर्थात् ये नियम केवल सम्भावना (probability) के सूचक होते हैं। (ii) आर्थिक नियम सामाजिक नियम होते हैं। (iii) आर्थिक नियमों का सम्बन्ध मानव की उन क्रियाओं से होता है जिन्हें मुद्रा द्वारा मापा जा सकता है।
(2) रॉबिन्स (Robbins) के अनुसार, “आर्थिक नियम उन समानताओं के कथन हैं जिन पर सीमित साधनों द्वारा असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति करने से सम्बन्धित मानव व्यवहार निर्भर है।”
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