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उत्तर प्रदेश में प्रमुख उत्पादन आँकड़े (Main Production Figures of Uttar Pradesh)
प्राक्कथन- यदि क्षेत्रफल तथा जनसंख्या की दृष्टि से देखा जाए तो उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र में बहुत कम प्रगति कर पाया है। राज्य की आय का केवल 10% भाग औद्योगिक उत्पादन से प्राप्त होता है। राज्य में औद्योगिक विकास के लिए तिलहन, गन्ना, जूट आदि कच्चा माल सरलता से मिल जाता है। जंगलों में राल, बाँस, इमारती लकड़ी, जड़ी-बूटियों, घास आदि की बहुतायत है। राज्य में दूर-दूर छिटकी हुई खानों में मैंगनेसाइट, फायर क्ले, लाइम स्टोन, जिप्सम, क्वार्टज, डोलोमाइट, फेल्म्पार आदि खनिज पदार्थ उपलब्ध हैं। इन सभी सुविधाओं के होते हुए भी सन् 1951 से पहले राज्य में केवल चीनी, कपड़ा तथा तेल के बड़े उद्योग ही स्थापित हो पाए थे। सन् 1951 के बाद से औद्योगिक क्षेत्र में सुनियोजित प्रयासों के फलस्वरूप राज्य के औद्योगिक विकास में कुछ गति आई है।
वर्ष 2006-07 में राज्य में 6,12,338 लघु औद्योगिक इकाइयाँ कार्यरत थी जिनमें 7,172 करोड़ ₹ का निवेश था तथा इनमें 2,396 हजार व्यक्तियों को रोजगार मिला हुआ था। वर्तमान में लघु औद्योगिक इकाइयों की संख्या बढ़कर 6,45,640 हो गई है जिनमें 9,219 करोड़ ₹ के निवेश के साथ 2,567 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
अध्ययन की सुविधा के लिए हम राज्य के उद्योगों को दो भागों में बाँट रहे हैं—(I) मिल उद्योग तथा, (II) कुटीर उद्योग।
(I) उत्तर प्रदेश में मिल उद्योग
राज्य के प्रमुख मिल उद्योगों का विवरण निम्न प्रकार है-
(1) चीनी उद्योग- उत्तर प्रदेश में देश की लगभग 23% चीनी उत्पादित की जाती है। चोनी के लगभग 105 कारखाने उत्तर प्रदेश में स्थित है। किन्तु राज्य को आधी चीनी मिलों का नशीने पुरानी है जिस कारण इनकी उत्पादन क्षमता कम है। राज्य बीनी निगम की जर्जर चीनी मिलों के स्थान पर नई आधुनिक 2,500 टन प्रतिदिन पेराई क्षमता वाली मिलें लगाई जाएंगी। सहकारी क्षेत्र में भी चीनी मिलों का विस्तारीकरण किया जा रहा है। राज्य की चीनी मिले मुख्यतया मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, शाहजहांपुर, हरदोई, खीरी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर, देवरिया, बाराबंकी, आजमगढ़, सीतापुर आदि जिलों में है। वर्ष 2007-08 में राज्य में 73.20 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ।
(2) सूती वस्त्र उद्योग- उत्तर प्रदेश देश का चौथा बड़ा सूती मिल वस्त्र उत्पादक राज्य है। राज्य में 68 वस्त्र उत्पादक इकाइयों कार्यरत हैं। उत्तर प्रदेश में देश का लगभग 7% सूती वस्त्र तैयार किया जाता है। इस उद्योग में राज्य में 60 मिलें कार्यरत है। राज्य के 85% करघे तथा 40% तकुए कानपुर की 10 सूती मिलों में हैं। मुरादाबाद, मोदीनगर, अलीगढ़, आगरा, मिजांपुर तथा इटावा अन्य प्रमुख सूती मिल नगर है। सुती धागा, भूरे और रंगीन वस्त्र, हॉजरी, दरियाँ राज्य के प्रमुख उत्पादन है।
(3) ऊनी वस्त्र उद्योग- देश की कुल 224 ऊनी वस्त्र मिलों में से 14 मिलें उत्तर प्रदेश में स्थित हैं। राज्य में देश के 10% कमी तकुए पाए जाते हैं। देश में आधुनिक मिलों की शुरुजात राज्य के कानपुर नगर में सन् 1876 में ऊनी मिल खुलने पर हुई। कानपुर की लाल इमली मिल का ऊनी कपड़ा देश भर में प्रसिद्ध है।
(4) कागज उद्योग– देश के कुल कागज उत्पादन का 4.3% इस राज्य से प्राप्त होता है। राज्य की बड़ी कागज मिलें सहारनपुर, मैनपुरी तथा बदायूँ में है। कागज उद्योग उत्तर प्रदेश का चीनी तथा वस्त्र उद्योग के बाद तीसरा बड़ा उद्योग होने जा रहा है।
(5) चमड़ा उद्योग- राज्य में लगभग 2.5 करोड़ गो जातीय, 1.4 करोड़ मेंस जातीय तथा 1 करोड़ से अधिक भेड़-बकरियाँ होने के कारण यहाँ चमड़ा उद्योग उन्नत अवस्था में है। आधुनिक क्रोम चमड़े के कारखाने आगरा तथा कानपुर में हैं। राज्य से देश को लगभग 90% क्रोम चमड़ा तथा 54% सामान्य चमड़ा मिलता है। राज्य के विभिन्न भागों में चमड़ा कमाने और रंगने के 86 केन्द्र हैं।
(6) वनस्पति तेल उद्योग- यह उद्योग राज्य का परम्परागत उद्योग है जो राज्य के प्रचुर तिलहन उत्पादन पर निर्भर है। इस उद्योग के बड़े कारखाने गाजियाबाद, अलीगढ़, मोदीनगर, इलाहाबाद तथा कानपुर में हैं। राज्य में देश का लगभग 18% (1 लाख टन) वनस्पति तेल का उत्पादन होता है।
(7) शराब तथा ऐल्कोहॉल कारखाने- राज्य में इस समय 24 मय निर्माणशालाएँ हैं जिनकी स्थापित क्षमता 2.800 लाख लीटर ऐल्कोहॉल है। उत्तर प्रदेश देश का अग्रणी ऐल्कोहॉल उत्पादक राज्य है।
(8) काँच उद्योग- उत्तर प्रदेश में कांच की चादरें, चिमनियाँ, बोत्तले, वैज्ञानिक उपकरण, बल्ब, वर्तन आदि तैयार होते हैं। राज्य में इस उद्योग के लिए कच्चा माल सुलभ होने के कारण फिरोजाबाद, नैनी, सासनी, शिकोहाबाद, चाराणसी, हिरनगऊ, बालावली, गाजियाबाद, बहजोई, हाथरस आदि में काँच बनाने के 32 कारखाने और चूड़ियाँ बनाने के 90 कारखाने हैं।
(9) सीमेंट उद्योग– उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर जिले में 8 लाख । की क्षमता वाले दो सरकारी सीमेंट कारखाने चुक तथा इल्सा में है। कजराहट में 8 लाख टन की क्षमता का कारखाना भी चालू हो गया है। राज्य में सीमेंट के कुल 16 कारखाने हैं।
(10) जूट उद्योग- राज्य में कानपुर तथा गोरखपुर के निकट सहजनवा की 3 जूट मिले प्रतिवर्ष लगभग 26 हजार मी० टन जूट का सामान तैयार करती हैं।
(11) इलेक्ट्रोनिक्स– सन् 1991 में राज्य के इस उद्योग का भारत में प्रथम स्थान था। उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रोनिक्स कारपोरेशन लि० ने इलाहाबाद, लखनऊ, पनकी (कानपुर), साहिबाबाद (गाजियाबाद), नोएडा तथा रायबरेली में औद्योगिक कॉम्पलैक्स स्थापित किए हैं।
(12) मिनी इस्पात प्लांट्स- राज्य में कोयले तथा लौह-अयस्क की कमी के कारण किसी बड़े इस्पात कारखाने की स्थापना तो नहीं की जा सकी है, किन्तु राज्य में इस समय 23 मिनी स्टील प्लांट्स (विद्युत आर्क भट्टियाँ) है जो प्रतिवर्ष लगभग 1 लाख टन इस्पात का उत्पादन करते हैं।
(13) केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठान- राज्य में केन्द्र सरकार ने अनेक बड़े सरकारी प्रतिष्ठान स्थापित किए हैं जिनमें प्रमुख है- (1) गोरखपुर, गोंडा और इलाहाबाद के उर्वरक कारखाने, (2) वाराणसी की डीजल लोकोमोटिव फैक्ट्री (3) हरिद्वार का भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (अब उत्तरांचल में), (4) ऋषिकेश का इण्डियन इग्स एण्ड फार्मेस्युटिकल्स लि० (उत्तरांचल में), (5) नैनो का भारत पम्प्स एण्ड कम्प्रेसर्स (6) लखनऊ का स्कूटर्स इण्डिया लि० (7) लखनऊ का हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लि० (8) झांसी को ट्रांसफॉर्मर फैक्टी, (9) गाजियाबाद का भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि०, (10) मथुरा का तेलशीचक कारखाना, (11) इण्डियन टेलीफोन इन्डस्ट्रीज (नैनी तथा रायबरेली), (12) भारतीय चमड़ा रंगाई तथा जूता संस्थान (कानपुर), (13) परमाणु शक्ति केन्द्र (नरोग, बुलन्दशहर), (14) मिर्जापुर जिले के सीमेंट कारखाने, आदि।
(II) उत्तर प्रदेश में कुटीर एवं लघु उद्योग
उत्तर प्रदेश में कुटीर न केवल भारत में बल्कि विश्व में नाम कमा रहे हैं। देश के 22 लाख शिल्पियों (कारीगरों) में से 6 लाख अकेले उत्तर प्रदेश में हैं। राज्य के प्रमुख उद्योग-धन्धे निम्नांकित हैं-
(1) हथकरघा उद्योग- यह राज्य का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है। इसके माध्यम से प्रदेश के 15 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। राज्य में 509 हजार से अधिक करघे हैं जो देश के कुल 38 लाख करों का लगभग 14% भाग हैं। हथकरघा सूती वस्त्र के प्रमुख केन्द्र मेरठ, देवबन्द, धामपुर, पिलखुआ, टांडा, मगहर, बाराबंकी, इटावा, मऊ, मुबारकपुर आदि है। हथकरघा रेशमी वस्त्र के प्रमुख केन्द्र वाराणसी, मऊ, बिलासपुर और संडीला है।
(2) कालीन उद्योग– मिर्जापुर, भदोही (वाराणसी), शाहजहाँपुर तथा आगरा, राज्य के प्रमुख कालीन बनाने के केन्द्र हैं। उत्तर प्रदेश पर्याप्त मात्रा में कालीन का निर्यात करता है। राज्य में रंग-बिरंगी दरियाँ तथा छोटे कम्बल भी बनाए जाते हैं।
(3) रेशमी साड़ियाँ एवं चिकन का काम- राज्य में रेशमी साड़ियों के लिए वाराणसी प्रसिद्ध है। चिकन का काम मुख्यतया लखनऊ में होता है।
(4) गुड़ उद्योग- गुड़ के उत्पादन में उ०प्र० का देश के राज्यों में प्रथम स्थान है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने का आधे से अधिक उत्पादन गुड़ बनाने में प्रयुक्त किया जाता है। अकेले मुजफ्फरनगर जिले में 370 खाण्डसारी कारखाने हैं।
(5) जूता उद्योग- यह राज्य का महत्त्वपूर्ण कुटीर उद्योग है। वैसे तो यह उद्योग राज्य के प्रत्येक नगर तथा कस्बे में पनप रहा है किन्तु आगरा व कानपुर इसके प्रमुख बड़े केन्द्र है।
(6) खेल का सामान- राज्य में खेल का सामान बनाने का मेरठ सबसे बड़ा केन्द्र है। यहाँ फुटबाल, वॉलीबाल, हाकी स्टिक, क्रिकेट वैट, रेकेट, हाकी व क्रिकेट की बॉल, शटल कॉक आदि बनाई जाती है। आगरा, सहारनपुर, देहरादून (उत्तरांचल में) तथा वाराणसी में भी खेल का सामान तैयार किया जाता है। राज्य से खेल के सामान का विदेशों को निर्यात किया जाता है।
(7) पीतल और ताँबे के बर्तन- मुरादाबाद, मिर्जापुर, वाराणसी, अलीगढ़ तथा अल्मोड़ा (उत्तरांचल में) पीतल तथा तांबे पर सुन्दर डिजाइनों की नक्काशी की जाती है। मुरादाबाद को भारत का ‘ब्रास टाउन’ कहते हैं। मुरादाबाद से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये के बर्तनों का निर्यात किया जाता है।
(8) लकड़ी का सामान– राज्य के वनों से सागौन, चीड़, हल्दू, शीशम, केल, देवदार आदि लकड़ी मिल जाती है जिससे फर्नीचर तथा अन्य सामान तैयार किया जाता है। वैसे तो राज्य के सभी नगरों में लकड़ी का सामान तथा फर्नीचर तैयार किया जाता है किन्तु बरेली, सहारनपुर, हाथरस, जागरा, मेरठ तथा वाराणसी इस उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं। बरेली का फर्नीचर भारत से बाहर भी जाता है। बरेली ने बैत का सामान बनाने में ख्याति प्राप्त की हुई है।
(9) काँच का सामान- यह उत्तर प्रदेश का बहुत पुराना उद्योग है। फिरोजाबाद काँच की चूड़ियाँ बनाने का प्रमुख केन्द्र है। इस उद्योग में मालाओं के बीज भी बनाए जाते हैं। यह कुटीर उद्योग शिकोहाबाद, फतेहपुर, नैनी, हाथरस, बालावली तथा हिनरगऊ में भी पनप रहा है।
(10) कटलरी का सामान- राज्य में अलीगढ़ का ताला उद्योग, रामपुर का चाकू उद्योग तथा मेरठ का कैची उद्योग विश्वविख्यात है।
(11) खिलौने तथा गुड़िया- उत्तर प्रदेश में लखनऊ तथा वाराणसी खिलीने और गुड़िया बनाने के प्रमुख केन्द्र हैं। लखनऊ तथा आगरा में मिट्टी के और बाराणसी में लकड़ी के खिलौने बनाए जाते हैं। वाराणसी में लकड़ी के खिलीनों में रसोई के बर्तनों का सेट बहुत प्रसिद्ध है।
(12) इत्र फुलेल – कन्नौज, गाजीपुर, जौनपुर, लखनऊ, नैनी आदि इत्र फुलेल के प्रमुख केन्द्र हैं।
(13) दवाएं- राज्य में कानपुर, झांसी, लखनऊ तथा सहारनपुर दबाएँ तैयार करने के प्रमुख केन्द्र हैं।
(14) हाथ से कागज़ बनाना- राज्य में मथुरा, कालपी तथा काजी सराय में हाथ से कागज़ तैयार किया जाता है।
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