तलपट का अर्थ बताइये। क्या परीक्षा सूची का मिलान लेखा पुस्तकों की शुद्धता का अपूरक प्रमाण है? स्पष्ट कीजिये।
परीक्षा-सूची या तलपट (Trial Balance)- सामान्य शब्दों में, “परीक्षा सूची या तलपट खाता बही के समस्त खातों तथा रोकड़ पुस्तक के योग अथवा शेष से एक निश्चित तिथि को बनायी गयी एक सूची है जिसका उद्देश्य लेखा पुस्तकों में गणितीय शुद्धता की जाँच करना है।”
जे. आर. बाटलीबॉय (J.R. Batliboi) के अनुसार, “तलपट खाताबही के डेबिट एवं क्रेडिट पक्षों को लेकर बनाया गया एक विवरण है जिसका उद्देश्य बहियों की अंकगणितीय शुद्धता की जाँच करना है।”
आर. एन. कार्टर (R.N. Karter) के अनुसार, “तलपट उन डेबिट एवं क्रेडिट बाकियों की अनुसूची है जो खाताबही के खातों से तैयार की जाती है और इसमें रोकड़ पुस्तक के रोकड़ तथा अधिकोष (बैंक) शेष को भी सम्मिलित किया जाता है।”
डोनाल्ड एच. मेकेन्जी (Donald H. Mackenzic) के अनुसार, “परीक्षा सूची खाताबही में खातों के शेषों की सूची है।”
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क्या परीक्षा-सूची का मिलान लेखों पुस्तकों की शुद्धता का अचूक प्रमाण है? (IS TRIAL BALANCE CONCLUSIVE PROOF OF ACCOUNT BOOKS?)
द्वि-प्रविष्टि प्रणाली के अन्तर्गत प्रत्येक व्यवहार का उल्लेख दो खातों के विपरीत पक्षों में किया जाता है तथा इन्हीं खातों की सहायता से परीक्षा सूची तैयार की जाती है। परीक्षा-सूची के डेबिट तथा क्रेडिट पक्ष की राशि का योग समान होने पर सामान्यतः यह मान लिया जाता है कि खतौनी के कार्य में अंकगणितीय त्रुटि नहीं हुई है किन्तु परीक्षा-सूची में दोनों पक्षों का मिलान इस बात का अचूक प्रमाण नहीं है कि खातें पूर्णतः शुद्ध हैं। इसे निम्नानुसार और अधिक स्पष्ट किया जा सकता है-
(क) परीक्षा-सूची से ज्ञात न होने वाली अशुद्धियाँ (Errors which cannot be located by Trial Balance)
1. भूल सम्बन्धी अशुद्धियाँ (Errors of Omission)- जर्नल अथवा अन्य प्रारम्भिक लेखा पुस्तकों में यदि कोई व्यवहार लिखने से छूट जाये तो इस त्रुटि का परीक्षा सूची के मिलान पर कोई प्रभाव नहीं होगा, जैसे रु. 500 के नकद विक्रय का उल्लेख प्रारम्भिक लेखा पुस्तकों में ही न किया जाये तो यद्यपि परीक्षा-सूची के दोनों पक्षों का योग रु. 500 से कम हो जायेगा। किन्तु दोनों पक्षों के योग में समानता होगी।
2. प्रारम्भिक लेखे की अशुद्धियाँ (Errors of Primary Record)- यदि प्रारम्भिक लेखा पुस्तकों में ही गलत राशि से प्रविष्टि की जाये तो इस त्रुटि का परीक्षा सूची के मिलान पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, जैसे, जर्नल प्रविष्टि करते समय रु. 15,000 की राशि के स्थान पर रु. 1.500 ही लिखा जाये।
3. खतौनी में अशुद्धियाँ (Errors in Posting)- यदि जर्नल की खतौनी करते समय कोई राशि सही पक्ष में किन्तु गलत खाते में लिख दी जाये तो इस त्रुटि की जानकारी परीक्षा-सूची के मिलान से नहीं हो सकेगी, जैसे, खतौनी करते समय ‘महेश का खाता’ के डेबिट पक्ष में लिखी जाने वाली राशि ‘दिनेश का खाता’ के डेबिट पक्ष में लिख दी जाये।
4. खतौनी में छूट जाने वाली अशुद्धियाँ (Errors of Omission in Posting)- जर्नल की खतौनी करते समय यदि समान राशि के खातों की प्रविष्टि न की जाये तो परीक्षा-सूची के मिलान पर इसका प्रभाव नहीं होगा।
5. क्षतिपूरक अशुद्धियाँ (Compensatory Errors)- कभी-कभी कुछ अशुद्धियाँ ऐसी होती हैं जिनका प्रभाव दूसरी अशुद्धियों से समाप्त हो जाता है। इन्हें क्षतिपूरक अशुद्धियाँ कहते हैं। अशुद्धियों से परीक्षा-सूची का योग असमान नहीं हो पाता, जैसे, ‘अशोक का खाता’ के डेबिट पक्ष में रु. 95 कम लिखे गये, वहीं ‘किशोर का खाता’ के क्रेडिट पक्ष में रु. 95 कम लिखे गये।
6. सैद्धान्तिक अशुद्धियाँ (Errors of Principle)- द्वि-प्रविष्टि प्रणाली में सिद्धान्तों के पूर्ण ज्ञान के अभाव में की गयी त्रुटि की जानकारी परीक्षा-सूची से नहीं हो पाती, जैसे, सम्पत्ति के क्रय पर सम्पत्ति खाता के स्थान पर क्रय खाता खोला जाये।
(ख) परीक्षा-सूची से ज्ञात होने वाली अशुद्धियाँ (Errors which can be located Trial Balance)
सामान्यतः निम्नलिखित अशुद्धियाँ परीक्षा-सूची के योग को प्रभावित करती हैं
- रोकड़ पुस्तक अथवा अन्य सहायक पुस्तकों का योग लगाने अथवा योग आगे ले जाने में हुई त्रुटि ।
- जर्नल तथा अन्य प्रारम्भिक लेखा पुस्तकों से खाताबही में प्रविष्टि करते समय किसी एक खाता में प्रविष्टि न करने से सम्बन्धित त्रुटि
- जर्नल तथा अन्य प्रारम्भिक लेखा पुस्तकों से खाता बही में खतौनी करते समय किसी एक खाता के गलत पक्ष में अथवा गलत राशि से की गयी प्रविष्टि ।
- किसी खाता बही के खातों का योग लगाने, योग आगे ले जाने अथवा शेष या आधिक्य निकालने में की गयी त्रुटि ।
- किसी खाते की राशि परीक्षा-सूची में न लिखे जाने, अशुद्ध लिखे जाने अथवा गलत पक्ष में लिखे जाने पर।
- देनदारों एवं लेनदारों की सूचियाँ बनाने में हुई त्रुटि।
- परीक्षा-सूची के योग में हुई त्रुटि ।
उपर्युक्त विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि परीक्षा-सूची का योग डेबिट अथवा क्रेडिट में से किसी एक पक्ष को प्रभावित करने वाली त्रुटि से प्रभावित होता है किन्तु दोनों पक्षों को प्रभावित करने वाली त्रुटियों की जानकारी इससे नहीं हो पाती। अतः यह कहा जा सकता है कि “परीक्षा-सूची लेखा पुस्तकों की गणितीय शुद्धता का प्रमाण है किन्तु इस बात का अचूक प्रमाण नहीं है कि खाते पूर्णतः सत्य हैं।”
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